कीड़ों से बचाने
बहुत पीले दांतों को सफेद बनाने के तरीके
कहते हैं कि किसी को प्यार से दी हुई एक स्माइल उसके कई दुखों को कम कर सकती है। इसीलिए स्माइल को बहुत अनमोल माना गया है। पिक्चर परफेक्ट स्माइल में स्वस्थ दांतों का बड़ा योगदान होता है। यही कारण है कि दांत किसी के भी व्यक्तित्व को खूबसूरत बनाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इससे ठीक विपरीत अगर किसी के भी दांत गंदे, बदरंग या पीले हों तो व्यक्तित्व को खराब कर सकते हैं। इसीलिए जरूरी है कि आप अपने व्यक्तित्व को प्रभावशाली बनाने के लिए अपने दांतों का विशेष ख्याल रखें। यदि आप दांतों को जीवनभर मजबूत और सड़नरहित बनाए रखना चाहते हैं तो हम आपको बता रहे हैं दांतो की केयर के कुछ खास तरीके। इन्हें अपना लेंगे तो दांत हमेशा चमचमाते सफेद बने रहेंगे।
ऐसे पता लग जाएगा कि दांतों की केयर जरूरी है
दांत बदरंग होने लगें, खाना दांत में फंसने लगे और ठंडा-गर्म लगने लगे तो कैविटी हो सकती है। ऐसा होने पर
तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। शुरुआत में ही ध्यान देने पर कैविटी बढ़ने से रुक जाती है।
बचाव- कीड़ा लगने से बचने के लिए दोनों समय ब्रश करें। मीठी और स्टार्चयुक्त चीजें कम खाएं। मीठी चीजें खाने के बाद कुल्ला करें या ब्रश करें।
तुरंत राहत के लिए - दांतों में कीड़ा लग जाए व बहुत अधिक दर्द करने लगे तो रासिटामोल, एस्प्रिन आदि ले सकते हैं। दवा न होने पर लौंग दाढ़ में दबा लें या लौंग का तेल भी लगा सकते हैं। यह मसूड़ों के दर्द से राहत दिलाता है। इसके बाद डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जाएं।
कैसे लगता है दांत में कीड़ा
हमारे मुंह में आमतौर पर बैक्टीरिया रहते हैं। ये बैक्टीरिया दांतों पर तब हमला करते हैं, जब हम खाना खाने के बाद कुल्ला या ब्रश न करें।
ऐसे में खाने के कुछ कण मुंह में रह जाते हैं। ऐसा होने पर खाना खाने के 20 मिनट के अंदर ही बैक्टीरिया खाने के कणों, खासकर मीठी या स्टार्च वाली चीजों को एसिड में बदल देते हैं।
फिर दांतों में प्लाक बन जाता है। प्लाक दांतों से चिपक जाता है। यदि काफी दिनों तक दांतों की ढंग से सफाई न हो तो दांतों मे कैविटी हो जाती है।
फिलिंग करवा लें
जब दांतों में कीड़ा लगता है तो फिलिंग करवानी पड़ती है। कीड़े के कारण दांतों में होने वाले दर्द से फिलिंग करवा लेने से बहुत हद तक राहत मिलती है।
फिलिंग के प्रकार-
टेंपररी फिलिंग- टेंपररी फिलिंग उस वक्त करवाते हैं, जब दांतों में गहरी कैवेटी न हो। टेंपररी फिलिंग के कारण दर्द या सेंसटिविटी नहीं होने पर परमानेंट फिलिंग कर दी जाती है। फिर भी दिक्कत होती है तो रूट कनाल प्रोसेस का सहारा लिया जाता है या फिर दांत निकाल दिया जाता है।
सिल्वर फिलिंग - सिल्वर फिलिंग करने को एमैल्गम कहते हैं। इसे सिल्वर, टिन, कॉपर को मरकरी के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है। इसमें दांतों की सफाई कर कैविटी कटिंग की जाती है। इसके बाद जिंक फॉस्फेट सीमेंट की लेयर लगाई जाती है ताकि फिलिंग में इस्तेमाल होने वाली मरकरी जड़ तक पहुंचकर नुकसान न पहुंचाए। यह दूसरी फिलिंग से सस्ती और ज्यादा मजबूत होती है।
कंपोजिट फिलिंग- इसे कॉस्मेटिक या टूथ कलर फिलिंग भी कहते हैं। इसे बॉन्डिंग टेक्नीक और लाइट क्योर मेथड से तैयार किया जाता है। इस प्रोसेस में पहले कैविटी कटिंग की जाती है। फिर सरफेस को फॉस्फेरिक एसिड के साथ खुरदुरा किया जाता है। इससे सरफेस एरिया बढ़ने के अलावा मैटेरियल अच्छी तरह सेट हो जाता है।
जीआईसी फिलिंग- इसका पूरा नाम ग्लास इनोमर सीमेंट फिलिंग है। यह ज्यादातर बच्चों में या बड़ों में कुछ सेंसेटिव दांतों में की जाती है। इसमें सिलिका होता है। यह हल्की होती है, इसलिए चबाने वाले दांतों में यह फिलिंग नही की जाती है।
जब फिलिंग करवाएं तो ये ध्यान रखें-
- कैविटी की शेप और साइज के हिसाब से फिलिंग करवाएं।
- कैविटी काफी बड़ी हो और उसे पूरा सपोर्ट मिले नहीं तो फिलिंग बहुत जल्दी निकल जाती है।
- ध्यान रखें कि सही मैटेरियल और तकनीक इस्तेमाल हो।
- फिलिंग कराने के बाद कई बार दांत में सेंसिटिविटी आ जाती है, यानी उस दांत पर ठंडा या गर्म महसूस होने लगता है, लेकिन यह कुछ दिनों में ठीक न हो तो डॉक्टर को दिखाएं।
- हर 6 महीने में फिलिंग चेक करवाएं।
दांतों को सुरक्षित रखने के लिए खाएं ये चीजें
- चीनी वाली च्यूइंगम दांतों के लिए खराब होती है, लेकिन बिना चीनी वाली च्यूइंगम दांतों के लिए अच्छी मानी जाती है। बिना चीनी वाले च्यूइंगम मुंह में एक एसिड बनाती है, जो दांतों पर एक सुरक्षित कवर बनाता है।
- सुबह-शाम ब्रश करना न भूलें। रात में चॉकलेट, बिस्किट, मिठाइयां, जंक फूड आदि न लें तो बेहतर होगा।
पीले दांतों को सफेद बनाने के लिए अपनाएं ये तरीके
कोको- कोको को दांतों के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। इसमें मौजूद तत्व मसूड़ों के फूलने व दांतों को सड़ने से बचाते हैं।
अजवाइन- रोज खाने के बाद थोड़ी-सी अजवाइन खाना दांतों के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। अजवाइन दांतों को नेचुरली ब्रश कर देता है और सलाइवा को भी बढ़ाता है।
सेब- मसूड़ों को हेल्दी और दांतों को मजबूत बनाने के लिए रोजाना एक सेब खाना बहुत अच्छा होता है। सेब खाने से दांतों की सफाई होती है। मुंह की लार में वृद्धि होती है। इसके कारण दांतों में सड़न पैदा करने वाले बैक्टीरिया टिक नहीं पाते हैं।
दूध- दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम होता है। रोजाना दो गिलास दूध पीने से दांतों को बहुत लाभ होता है।
तिल- तिल चबाना भी दांतों के लिए बहुत लाभदायक होता है। तिल से कैल्शियम मिलता है। यह दांतों को मजबूत बनाता है। साथ ही, इन्हें चबाने से दांतों में जमा हुआ प्लाक भी खत्म होता है।
चीज- चीज और पनीर दांतों के लिए बहुत अच्छे होते हैं। चीज व पनीर में भरपूर मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है, जो दांतों को मजबूत बनाता है। अगर आपके दांतों में सड़न होने लगी है तो रोजाना चीज का एक छोटा-सा टुकड़ा खाइए। दांतों में होने वाली सड़न रुक जाएगी।
पानी पिएं- कम से कम आठ से दस गिलास पानी रोजाना पिएं। भरपूर मात्रा में पानी पीने से न सिर्फ शरीर से विषैले तत्व बाहर होते हैं, बल्कि दांतों में सड़न जैसी समस्या पैदा नहीं होती है।
कीवी- कीवी फ्रूट विटामिन सी का एक बहुत अच्छा स्रोत है। शरीर में संतुलित मात्रा में विटामिन सी हो तो कोलेजन का स्तर सही बना रहता है। इससे दांत व मसुड़े, दोनों मजबूत होते हैं।
नाशपाती- नाशपाती एक रेशेदार फल है जो दांतों की सफाई के साथ ही उसे सफेद और मजबूत बनाने का काम भी करता है।
कच्चा प्याज- यदि आप मुंह की दुर्गंध के डर से कच्चे प्याज के सेवन से डरते हैं तो इस डर को अपने मन से हटा दीजिए, क्योंकि ये दांतों के लिए बहुत लाभदायक होता है। कच्चा प्याज दांतों को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है।
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