हाल के कुछ बरसों में चॉकलेट को काफी मीडिया कवरेज मिला है। कई शोध यह बताते हैं कि आपके दिल की सेहत को सही रखने में चॉकलेट की भूमिका काफी अहम होती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि कोकोआ फ्लेवोनॉयड से भरपूर होता है। यह तत्व दिल की अच्छी सेहत के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है।
फ्लेवोनॉयड पौधों को पर्यावरण में मौजूद विषैले पदार्थों से बचाता है। इसके साथ ही यह उन्हें हुए नुकसान की भी भरपाई करता है। यह तत्व कई खाद्य पदार्थों, जैसे फलों और सब्जियों में पाया जाता है। फ्लेवोनॉयड एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं और इन खाद्य पदार्थों का सेवन हमें काफी लाभ पहुंचाता है।
एंटी-ऑक्सीडेंट्स शरीर की कोशिकाओं और उत्तकों को फ्री-रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते हैं। हमारी नियमित शारीरिक प्रक्रिया के दौरान ही फ्री-रेडिकल्स का निर्माण होता है। सांस लेने की प्रक्रिया के दौरान कई प्रदूषक तत्व हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, यही फ्री-रेडिकल्स हमारी शारीरिक संरचना को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं। इसके साथ ही धूम्रपान से भी फ्री-रेडिकल्स बनते हैं। यदि आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स न हों, तो ये फ्री-रेडिकल्स हमें काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। एंटी-ऑक्सीडेंट्स की कमी से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल रक्तवाहिनियों की दीवारों के साथ चिपक जाता है, जो आगे चलकर दिल की गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है।
फ्लेवानोल्स फ्लेवोनॉयड का ही एक प्रकार है जो कोकोआ और चॉकलेट में मिलता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट खूबियां होती हैं। और साथ ही शोध यह भी प्रमाणित करते हैं कि फ्लेवोनॉयड दिल की सेहत पर कई प्रकार से सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह रक्तचाप को कम करता है, दिल और दिमाग में रक्त-प्रवाह को सुधारता है। और साथ ही रक्त प्लेट्लेट्स की चिकनाई कम करता है। इससे खून का थक्का जमने की आशंका कम हो जाती है।
ये प्लांट कैमिकल्स सिर्फ चॉकलेट में ही नहीं पाए जाते। चॉकलेट के अलावा सेब, क्रेनबैरी, मूंगफली, प्याज, चाय और रेड वाइन में भी यह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं।
फ्लेवोनॉयड पौधों को पर्यावरण में मौजूद विषैले पदार्थों से बचाता है। इसके साथ ही यह उन्हें हुए नुकसान की भी भरपाई करता है। यह तत्व कई खाद्य पदार्थों, जैसे फलों और सब्जियों में पाया जाता है। फ्लेवोनॉयड एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं और इन खाद्य पदार्थों का सेवन हमें काफी लाभ पहुंचाता है।
एंटी-ऑक्सीडेंट्स शरीर की कोशिकाओं और उत्तकों को फ्री-रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते हैं। हमारी नियमित शारीरिक प्रक्रिया के दौरान ही फ्री-रेडिकल्स का निर्माण होता है। सांस लेने की प्रक्रिया के दौरान कई प्रदूषक तत्व हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, यही फ्री-रेडिकल्स हमारी शारीरिक संरचना को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं। इसके साथ ही धूम्रपान से भी फ्री-रेडिकल्स बनते हैं। यदि आपके शरीर में पर्याप्त मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स न हों, तो ये फ्री-रेडिकल्स हमें काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। एंटी-ऑक्सीडेंट्स की कमी से शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल रक्तवाहिनियों की दीवारों के साथ चिपक जाता है, जो आगे चलकर दिल की गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है।
फ्लेवानोल्स फ्लेवोनॉयड का ही एक प्रकार है जो कोकोआ और चॉकलेट में मिलता है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट खूबियां होती हैं। और साथ ही शोध यह भी प्रमाणित करते हैं कि फ्लेवोनॉयड दिल की सेहत पर कई प्रकार से सकारात्मक प्रभाव डालता है। यह रक्तचाप को कम करता है, दिल और दिमाग में रक्त-प्रवाह को सुधारता है। और साथ ही रक्त प्लेट्लेट्स की चिकनाई कम करता है। इससे खून का थक्का जमने की आशंका कम हो जाती है।
ये प्लांट कैमिकल्स सिर्फ चॉकलेट में ही नहीं पाए जाते। चॉकलेट के अलावा सेब, क्रेनबैरी, मूंगफली, प्याज, चाय और रेड वाइन में भी यह तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं।
क्या सभी चॉकलेट सेहतमंद होते हैं ?
इससे पहले कि आप चॉकलेट खाने के लिए लपकें, हम आपको एक जरूरी बात बताते हैं। आपके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि सभी प्रकार के चॉकलेट फायदेमंद नहीं होते। और न ही सभी प्रकार के चॉकलेट में फ्लेवानोल्स होते हैं। फ्लेवानोल्स के कारण कोकोआ का स्वाद बहुत कड़ा हो जाता है। चॉकलेट बनाते समय इस स्वाद को कम करने के लिए चॉकलेट को कई स्तर से गुजारा जाता है। चॉकलेट को जितनी अधिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, फ्लावेनोल्स की मौजूदगी उतनी ही कम होती जाती है।
बाजार में मिलने वाली अधिकतर चॉकलेट ऐसे कई चरणों से गुजरती हैं। पहले ऐसा माना जाता था कि डॉर्क चॉकलेट में सबसे अधिक फ्लेवानोल्स होते हैं, लेकिन डॉर्क चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया जानने के बाद इसकी वास्तविकता का ज्ञान हुआ। अच्छी बात यह है कि अधिकतर चॉकलेट निर्माता कंपनियां चॉकेलट में फ्लेवानोल्स को बनाये रखने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। लेकिन, तब तक आपको डॉर्क चॉकलेट का ही सेवन करना चाहिए।
बाजार में मिलने वाली अधिकतर चॉकलेट ऐसे कई चरणों से गुजरती हैं। पहले ऐसा माना जाता था कि डॉर्क चॉकलेट में सबसे अधिक फ्लेवानोल्स होते हैं, लेकिन डॉर्क चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया जानने के बाद इसकी वास्तविकता का ज्ञान हुआ। अच्छी बात यह है कि अधिकतर चॉकलेट निर्माता कंपनियां चॉकेलट में फ्लेवानोल्स को बनाये रखने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। लेकिन, तब तक आपको डॉर्क चॉकलेट का ही सेवन करना चाहिए।
क्या चॉकलेट से बढ़ता है मोटापा?
चॉकलेट को हमेशा वजन बढ़ाने वाला माना जाता है। लेकिन, चॉकलेट के दीवानों को यह जानकर हैरानी होगी कि दरअसल, ऐसा नहीं है।
चॉकलेट में मौजूद वसा का मुख्य कारण कोकोआ बटर होता है, लेकिन यह वास्तव में ऑलिव ऑयल जितना सेहतमंद होता है। इसमें ऑलिक एसिड के साथ-साथ स्ट्रेरिक एसिड और पालमिटिक एसिड होता है। ऐसा माना जाता है कि स्ट्रेरिक एसिड और पालमिटिक एसिड सेचुरेटेटेड फैट के प्रकार होते हैं। यह तो आपको पता ही है सेचुरेटेड फैट बैड कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है।
लेकिन हालिया शोध इस बात के विपरीत तथ्य पेश करते हैं। शोध बताते हैं कि स्ट्रेरिक एसिड कोलेस्ट्रॉल पर तटस्थ प्रभाव डालता है। यानी यह न तो कोलेस्ट्रॉल के स्तर में इजाफा करता है और न ही उसे कम करता है। हालांकि पालमिटिक एसिड जरूर कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर हल्का प्रभाव डालता है।
चॉकलेट में मौजूद वसा का मुख्य कारण कोकोआ बटर होता है, लेकिन यह वास्तव में ऑलिव ऑयल जितना सेहतमंद होता है। इसमें ऑलिक एसिड के साथ-साथ स्ट्रेरिक एसिड और पालमिटिक एसिड होता है। ऐसा माना जाता है कि स्ट्रेरिक एसिड और पालमिटिक एसिड सेचुरेटेटेड फैट के प्रकार होते हैं। यह तो आपको पता ही है सेचुरेटेड फैट बैड कोलेस्ट्रॉल और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है।
लेकिन हालिया शोध इस बात के विपरीत तथ्य पेश करते हैं। शोध बताते हैं कि स्ट्रेरिक एसिड कोलेस्ट्रॉल पर तटस्थ प्रभाव डालता है। यानी यह न तो कोलेस्ट्रॉल के स्तर में इजाफा करता है और न ही उसे कम करता है। हालांकि पालमिटिक एसिड जरूर कोलेस्ट्रॉल के स्तर पर हल्का प्रभाव डालता है।
डॉर्क चॉकलेट चुनते समय बरतें सावधानी
सबसे पहले डॉर्क चॉकलेट चुनते समय खास सावधानी बरतें। भूनी हुई चीनी और नट्स से भरी हुई डॉर्क चॉकलेट आपके दिल को कोई फायदा नहीं पहुंचाती। इन तत्वों के बारे में खास खयाल रखें क्योंकि ये आपको अतिरिक्त फैट और कैलोरी देती हैं। दूसरी बात यह है कि अभी तक यह बात प्रमाणित नहीं हुई है कि दिल की अच्छी सेहत के लिए कितनी मात्रा में चॉकलेट का सेवन फायदेमंद होता है। तो, बेहतर है कि इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही किया जाए।
तो दिल की अच्छी सेहत के लिए 1 औंस यानी करीब 30 ग्राम डॉर्क चॉकलेट सप्ताह में कई बार किया जा सकता है। और इसके साथ ही आपको सेब, रेड वाइन, चाय और प्याज जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स का सेवन भी करना चाहिए।
तो दिल की अच्छी सेहत के लिए 1 औंस यानी करीब 30 ग्राम डॉर्क चॉकलेट सप्ताह में कई बार किया जा सकता है। और इसके साथ ही आपको सेब, रेड वाइन, चाय और प्याज जैसे एंटी-ऑक्सीडेंट्स का सेवन भी करना चाहिए।
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