Monday, May 26, 2014

सर्दी लग जाने पर क्या करें ?

सर्दी लग जाने पर क्या करें ?
दोस्तो, इस मौसम में तो लगता है हर कोई ठंड लग जाने से हुई खांसी जुकाम से परेशान है। शीत लहर अपने पूरे यौवन पर है। इस से बचने एवं साधारण उपचार पर चलिए थोड़ा प्रकाश डालते हैं..........
  • · इस मौसम में तो लोग खांसी-जुकाम से परेशान हो जाते हैं।
ठंड के मौसम में वैसे भी हम सब की इम्यूनिटी (रोग से लड़ने की प्राकृतिक क्षमता) कम होती है। ऊपर से इन तकलीफों से संबंधित विषाणु (विशेषकर वायरस) खूब तेज़ी से फलते-फूलते हैं। ज्यादा लोगों को पास पास एक ही जगह पर रहने से अथवा एकत्रित होने से खांसी एवं छींकों के साथ निकलने वाले वायरस (ड्रापलैट इंफैक्शन) एक रोगी से दूसरे स्वस्थ व्यक्तियों को जल्दी ही अपनी चपेट में ले लेते हैं।
  • · अब प्रश्न यही उठता है कि इस से बचें कैसे....क्या कुछ विशेष खाना चाहिए ..
इस से बचे रहने का मूलमंत्र तो यही है कि आप पर्याप्त एवं उपर्युक्त कपड़े पहन कर ठंडी से बचें। ऐसे कोई विशेष खाध्य पदार्थ नहीं हैं जिससे आप इस से बच सकें। आप को तो केवल शरीर की इम्यूनिटि बढ़ाने के लिए सीधा-सादा, संतुलित आहार लेना चाहिए--- इस से तरह तरह की दालों, साग, सब्जियों, मौसमी फलों , आंवले इत्यादि का प्रचुर मात्रा में सेवन आवश्यक है।
  • · लोग अकसर इन तकलीफों में स्वयं ही एंटीबायोटिक दवाईयां लेनी शुरू कर देते हैं.....क्या यह ठीक है ??
सामान्यतयः इन मौसमी छोटी मोटी तकलीफों में ऐंटीबायोटिक दवाईयों का कोई स्थान नहीं है। अगर यह खांसी –जुकाम बिगड़ जाए तो भी चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही दवाईया लें।
  • · इस अवस्था में पहले तो लोग घरेलु नुस्खों से ही काम चला लिया करते थे और वे स्वस्थ भी हो जाया करते थे।
ये घरेलु नुस्खे आज भी उतने ही उपयोगी हैं जितने पहले हुया करते थे। इस में मुलहट्ठी चूसना, चाय में एक चुटकी नमक डाल कर पीना, नींबू और शहद का इस्तेमाल, भाप लेना, नमक वाले गर्म पानी से गरारे करना शामिल हैं। ध्यान रहे कि भाप लेते समय पानी में कुछ भी डालने की आवश्यकता नहीं है।
  • · घरेलु नुस्खों के साथ-साथ और क्या करें ?
हां,हां, यह बहुत जरूरी है कि रोगी को उस के स्वाद एवं उपलब्धता के अनुसार खूब पीने वाले पदार्थ देते रहें, मरीज पर्याप्त आराम भी लें। बुखार एवं बदन टूटने के लिए दर्द निवारक टेबलेट ले लें।
  • · नन्हे-मुन्ने शिशुओं का नाक को अकसर इतना बंद हो जाता है कि वे मां का दूध तक नहीं पी पाते ...
ऐसा होने पर यह करें कि एक गिलास पानी में एक चम्मच नमक डाल कर उबाल लें। फिर उसे ठंडा होने दें। बस हो गई तैयार आप के शिशु के नाक में डालने की दवा। आवश्यकतानुसार इस की 3-4 बूंदें शिशु के नाक में डालते रहें जिस से उस के नाक में जमा हुया रेशा ( dried-up secretions) नरम होकर छींक के साथ बाहर आ जाएगा और शिशु का नाक खुल जाएगा। वैसे तो इस तरह की नाक में डालने की बूंदें (सेलाइन नेज़ल ड्राप्स) आप को कैमिस्ट की दुकान से भी आसानी से मिल सकती हैं।
  • · कईं बार जब जुकाम से पीड़ित मरीज़ अपनी नाक साफ करता है तो खून निकल आता है जिससे वह बंदा बहुत डर जाता है, ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए ...
ज्यादा जुकाम होने की वजह से भी सामान्यतयः नाक को साफ करते समय दो-चार बूंदें रक्त की निकल सकती हैं। लेकिन ऐसी अवस्था में किसी ईएऩटी विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श कर ही लेना चाहिए।
  • · ऐसा कौन सी अवस्थाएं हैं जिन में कान-नाक-गला विशेषज्ञ से संपर्क कर लेना चाहिए...
खांसी जुकाम से पीड़ित मरीज को अगर कान में दर्द है, सांस लेने में कठिनाई हो रही है, गले में इतन दर्द है कि थूक भी नहीं निगला जा रहा, गले अथवा नाक से खून निकलने लगे,आवाज़ बैठ जाए, खांसी की आवाज़ भी अगर बदली सी लगे, खांसी-जुकाम से आप को तंग होते हुए अगर सात दिन से ज्यादा हो जाये अथवा यह तकलीफ़ आप को बार-बार होने लगे------इन सब अवस्थाओं में ईएनटी विशेषज्ञ से तुरंत मिलें।
  • · लोग अकसर थोड़ी बहुत तकलीफ होने पर ही नाक में डालने वाली दवाईयों तथा खांसी की पीने वीली शीशीयां इस्तेमाल करनी शुरू कर देते हैं......
नाक में डालने वाली दवाईयों तथा नाक खोलने के लिए उपयोग किए जाने वाले इंहेलर का भी चिकित्सक की सलाह के बिना पांच दिन से ज्यादा उपयोग न करें। इन को लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से और भी ज्यादा जुकाम होने का डर बना रहता है। रही बात खांसी की शीशीयों की, बाज़ार में उपलब्ध ज्यादातर खांसी की इन दवाईयों का इस अवस्था में कोई उपयोग है ही नहीं।
  • · कान में दर्द तो आम तौर पर सभी को कभी कभार हो ही जाता है न......इस में तो कोई खास बात नहीं है न ?
कान में दर्द किसी सामान्य कारण (जैसे मैल वगैरह) से है या कान के भीतरी भागों में इंफैक्शन जैसी किसी सीरियस वजह से है, इस का पता ईएनटी विशेषज्ञ से तुरंत मिल कर लगाना बहुत ज़रूरी है। विशेषकर पांच साल से छोटे बच्चों में तो इस का विशेष ध्यान रखें क्योंकि ऐसी इंफैक्शन कान के परदे में 24 से 48 घंटों के अंदर ही सुराख कर सकती है।

SATURDAY, JANUARY 12, 2008

आप को आखिर कैमिस्ट से बिल मांगते हुए इतनी झिझक क्यों आती है ?


आप भी न्यूज़ मीडिया में अकसर नकली दवाईयों कीखेप पकड़ने की खबरें देखते-सुनते रहते हैं न, लेकिनअभी भी आप यही समझते हैं कि ये दवाईयों आप तकतो पहुंच ही नहीं सकतीं। तो, क्या आप नकली-असलीमें भेद जानने की काबलियत हासिल करना चाहते हैं।अफसोस, दोस्त, मैं आप के जज़बात की कद्र करता हूंलेकिन मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आपकितनी भी कोशिशों के बावजूद ऐसा कर नहीं पाएंगे।दोस्तो, हमें चिकित्सा के क्षेत्र में इतने साल हो गए –यह काम अभी तक हम से भी नहीं हो सका !! तो फिरआप यही सोच रहे हैं कि आखिर करें तो करें क्या ---खाते रहे ऐसी वैसी दवाईया ? आखिर क्या करे आमबंदा ?-----दोस्तो, इस विषम समस्या से जूझने काकेवल एक ही तरीका जो मैं समझ पाया हूं वह यह है किआप कैमिस्ट से चाहे दस रूपये की भी दवाई लें,आपउस से बिल मांगने में कभी भी झिझक महसूस न करें,प्लीज़। आप यह समझ कर चलें कि जब आप बिल कीमांग करेंगे तो आप को दवाई भी असली ही मिलेगी----नकली दवाई तो मिलने का फिर सवाल ही नहींउठता,क्योंकि कैमिस्ट को उस बिल में दवाई के बारे मेंपूरा ब्यौरा देना पड़ता है। अगर हम इतनी सी सावधानीबरत लेंगे तो हमें पास की किसी बस्ती में बनी दवाईयोंखरीदने से भी निजात मिल जाएगी।

एक बात और जिस का विशेष ध्यान रखें वह यह है किबसों वगैरह में जो सेल्स-मैन दर्द-निवारक दवाईयों केपत्ते बेचने आते हैं न, उन से कभी भी ये दवाईयां नखरीदें। चाहे ये सेल्समैन किसी IIM institute से नहींनिकले होते, फिर भी इन बंदों की salesmanship की दाददिए मैं नहीं रह सकता----ठीक वही बात, दोस्तो, कि वेतो बिना बालों वाले को भी कंघी बेच डालें ! फिर भीमुझे,दोस्तो, ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा कि येबलाग्स लिखने-पढ़ने वाले उन की बातों में आ सकतेहैं। लेकिन फिर भी मैं यह सब लिख रहा हूं ताकि आपके माध्यम से यह जानकारी आम इंसान तक पहुंचसके।

दोस्तो, एक विचार जो मुझे कुछ दिनों से परेशान कररहा है ,वह यह है कि कहीं आप को मेरी posts पढ़ करयह तो नहीं लगता न कि ये सब छोटी छोटी बातें जो मैंअकसर उठाता रहता हूं, यह तो सब को पहले ही से पताहैं..........दोस्तो, मेरा तो बस इतना सा तुच्छ प्रयास हैकि ठीक है पता हैं तो अब इन को प्रैक्टीकल शेप दीजिए----और अपने आसपास भी इन छोटी छोटी दिखनेवाली बातों के प्रति जनचेतना पैदा करें। बस, दोस्तो मेरेपास यही छोटी छोटी बातें ही हैं-----जिस बंदे ने बसअपनी सारी ज़िंदगी इन छोटी-छोटी बातों के प्रचार-प्रसार के नाम लिख दी है, उस से और उम्मीद भी क्याकी जा सकती है ??।

दोस्तो, आप से एक रिक्वेस्ट है कि कृपया मुझे अपनीमेल कर के अथवा अपनी टिप्पणी/ feedback में यह भीलिखें कि इस बलाग के माध्यम से किन मुद्दों को छूयाजाए। वैसे तो मैं यह स्पष्ट कर ही दूं कि मैं कोई ऐसातीसमार खां भी नहीं हूं---बस जो दो बातें पता हैं उन्हेंआप सब से शेयर कर के अच्छा लगता है, बस और कुछनहीं। बाकी सब बातें तो मैंने आप सब से सीखनीहैं

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