करेला और उसके गुण ...जरुर पढ़िए
करेला एक लता है जिसके फलों की सब्जी बनती है।
इसका स्वाद कड़वा होता है।
करेला गर्मी और बरसात के महीनों में होता है। करेला लगभग पूरे भारत में उगाए जाते हैं। इसकी बेल (लता) को करेली और फल को करेला कहा जाता है। करेले के फूल पीले रंग के होते हैं और फल हरे रंग के होते हैं। करेले दो प्रकार के होते हैं- बड़ा करेला और छोटा करेला। करेले की खेती की जाती है। सब्जी के रूप में लम्बे करेले का प्रयोग अधिक किया जाता है। जंगली करेले की बेल अपने आप उगती है और झाड़ियों पर फैल जाती है और इसमें गोल-गोल फल लगते हैं जिसे बाड़ करेला कहते हैं। इसकी भी सब्जी बनाकर खाई जाती है। लम्बे करेले के अपेक्षा बाड़ करेला अधिक कडुवा होता है। सब्जी बनाते समय करेले को छिलके को छीलकर उतार देते हैं। करेले की कड़वाहट कम करने के लिए सब्जी में नमक, नींबू, मसाले आदि मिलाए जाते हैं।
करेले का स्वाद भले ही कड़वा हो परंतु हमारे स्वास्थ्य एवं सौंदर्य दोनों के लिए बहुत लाभकारी है।
कड़वा होने के कारण आप भले ही इसे न खाएँ परंतु यह पोषक गुणों से भरपूर होता है।
यह भूख को बढ़ाकर हमारी पाचन शक्ति सुधारता है। यह पचने में हल्का है। शीतल होने के कारण गर्मी से उत्पन्न विकारों पर शीघ्र लाभ करता है। करेला बुखार, खाँसी, त्वचा के विकार, एनीमिया, प्रमेह तथा पेट के कीड़ों का नाशक है।
करेले में 6 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 15 ग्राम प्रोटीन,20 मिलीग्राम कैल्शियम, 70 मिलीग्राम
फास्फोरस,18 मिलीग्राम , लोह तत्व, विटामिन ए, विटामिन-सी के अलावा इसमें गंधयुक्त वाष्पशील तेल, केरोटीन, ग्लूकोसाइड, सेपोनिन, एल्केलाइड एवं बिटर्स पाए जाते हैं।
इन सभी पौषक तत्वों के कारण करेला केवल सब्जी न होकर औषधि का काम भी करता है।
इसके औषधीय गुण इस प्रकार हैं।
1- करेला मधुमेह में रामबाण औषधि का कार्य करता है, छाया में सुखाए हुए करेला का एक चम्मच पावडर प्रतिदिन सेवन करने से डायबिटीज में चमत्कारिक लाभ मिलता है। क्योंकि करेला पेंक्रियाज को उत्तेजित कर इंसुलिन के स्रावण को बढ़ाता है।
2- बिटर्स एवं एल्केलाइड की उपस्थिति के कारण इसमें रक्तशोधक गुण पाए जाते हैं।
इसका प्रयोग करने से फोड़े-फुंसी एवं चर्मरोग नहीं होते।
3- करेले के बीज में विरेचक-तेल पाया जाता है। जिसके कारण करेले की सब्जी खाने से कब्ज नहीं होता। वहीं इसके सेवन से एसिडिटी, खट्टी डकारों में आराम मिलता है।
4- विटामिन ए की उपस्थिति के कारण इसकी सब्जी खाने से रतौंधी रोग नहीं होता है।
5- जोड़ों के दर्द में करेले की सब्जी का सेवन व जोड़ों पर करेले के पत्तों का रस लगाने से आराम मिलता है।
6- करेले के तीन बीज और तीन कालीमिर्च को पत्थर पर पानी के साथ घिसकर बच्चों को पिलाने से उल्टी-दस्त बंद होते हैं।
7- करेले के पत्तों को सेंककर सेंधा नमक मिलाकर खाने से अम्लपित्त के रोगियों को भोजन से पहले होने वाली उल्टी बंद होती है।
8- इसके फल या पत्ते का रस एक चम्मच शकर मिलाकर पिलाने से खूनी बवासीर में बड़ा लाभ होता है।
9- करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर, पीसकर महीन चूर्ण बना लें। छः ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलेगा।
10- करेले के पत्तों के रस पचास मि.ली. में थोड़ी-सी हींग मिलाकर पिलाने से पेशाब खुलकर आता है।
11- इसके पत्तों को पत्थर पर घिसकर चटनी जैसा बनाकर लेप लगाने से त्वचा के रोग मिटते हैं और इसी लेप से, आग से जल जाने पर उत्पन्न व्रण भी ठीक हो जाते हैं।
8- इसके फल या पत्ते का रस एक चम्मच शकर मिलाकर पिलाने से खूनी बवासीर में बड़ा लाभ होता है।
9- करेले के टुकड़ों को छाया में सुखाकर, पीसकर महीन चूर्ण बना लें। छः ग्राम चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से मधुमेह के रोगी को लाभ मिलेगा।
10- करेले के पत्तों के रस पचास मि.ली. में थोड़ी-सी हींग मिलाकर पिलाने से पेशाब खुलकर आता है।
11- इसके पत्तों को पत्थर पर घिसकर चटनी जैसा बनाकर लेप लगाने से त्वचा के रोग मिटते हैं और इसी लेप से, आग से जल जाने पर उत्पन्न व्रण भी ठीक हो जाते हैं।
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