Tuesday, April 29, 2014

शुद्ध शहद की पहचान रोगों में शहद का प्रयोग

   शहद


शुद्ध शहद की पहचान :


• शहद की कुछ बूंदे पानी में डालें। यदि यह बूंदे पानी में बनी रहती है तो शहद असली है और शहद की बूंदे पानी में मिल जाती है तो शहद में मिलावट है। रूई की बत्ती बनाकर शहद में भिगोकर जलाएं यदि बत्ती जलती रहे तो शहद शुद्ध है।


• एक ज़िंदा मक्खी पकड़कर शहद में डालें। उसके ऊपर शहद डालकर मक्खी को दबा दें। शहद असली होने पर मक्खी शहद में से अपने आप ही निकल आयेगी और उड़ जायेगी। मक्खी के पंखों पर शहद नहीं चिपकता।

• कपड़े पर शहद डालें और फिर पौंछे असली शहद कपडे़ पर नहीं लगता है।

• कागज पर शहद डालने से नीचे निशान नहीं आता है।

• शुद्ध शहद को कुत्ता नहीं खाता।

• शुद्ध शहद में खुशबू रहती है। वह सर्दी में जम जाता है तथा गरमी में पिघल जाता है।


शहद सेवन विधि :

शहद को दूधपानीदहीमलाईचायटोस्टरोटीसब्जीफलों का रसनींबू आदि किसी भी वस्तु में मिलाकर खा सकते हैं। सर्दियों में गर्म पेय के साथ गर्मियों में ठंडे पेय के साथ तथा वर्षा ऋतु में प्राकृतिक रूप में ही सेवन करना चाहिए।

सावधानियां :

शहद को अग्नि (आग) पर कभी गरम नही करना चाहिए और न ही अधिक गर्म चीजें शहद में मिलानी चाहिए इससे शहद के गुण समाप्त हो जाते हैं। इसको हल्के गरम दूध या पानी में ही मिला कर सेवन करना चाहिए। तेल,घीचिकने पदार्थ के साथ सममात्रा (समान मात्रा) में शहद मिलाने से जहर बन जाता है।

यदि शहद से कोई हानि हो तो नींबू का सेवन करें। ऐसी स्थिति में नीबू का सेवन करना रोगों को दूर कर लाभ पहुंचाता है।

रोगों में शहद का प्रयोग :
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बिस्तर में पेशाब करना :

कुछ बच्चे रात में सोते समय बिस्तर में ही मूत्र (पेशाब) कर देते हैं। यह एक बीमारी होती है। सोने से पहले रात में शहद का सेवन कराते रहने से बच्चों का निद्रावस्था में मूत्र (पेशाब) निकल जाने का रोग दूर हो जाता है।

पेट दर्द :

• एक चम्मच शुद्ध शहद शीतल पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द को आराम मिलता है।
• एक चुटकी सौंठ को थोड़े से शहद में मिलाकर चाटने से काफी लाभ होता है। दो तुलसी की पत्तियां पीस लें। फिर इस चटनी को आधे चम्मच शहद के साथ सेवन करें।
• रात्री को सोते समय एक गिलास गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद मिलाकर पी लें। इसके इस्तेमाल से सुबह पेट साफ हो जाता है।

अजीर्ण :

• एक गिलास पानी में एक चम्मच नींबू का रस तथा आधा चम्मच शहद मिलाकर लेना चाहिए। इससे अजीर्ण का रोग नष्ट हो जाता है।
• शहद में दो काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर चाटना चाहिए।
• अजवायन थोड़ा सा तथा सौंठ दोनों को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ चाटें।
• शहद को जरा सा गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।

दस्त :

• शहद में सौंफधनिया तथा जीरा का चूर्ण बनाकर मिला लें और दिन में कई बार चाटें। इससे दस्त में लाभ मिलता है।
• अनार दाना चूर्ण शहद के साथ चाटने से दस्त बंद हो जाते हैं।

पेट में कीड़े :

अजवायन का चूर्ण एक चुटकी को एक चम्मच शहद के साथ लेना चाहिए। दिन में तीन बार यह चूर्ण लेने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

भूख न लगना :

• सौंठकालीमिर्चपीपलसेंधानमक इन सब चीजों को मिलाकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में से आधी चुटकी लेकर एक चम्मच शहद के साथ सुबहदोपहर और शाम को इसका इस्तेमाल करें।
• एक दो कालीमिर्च तथा दो लौंग को पीसकर शहद के साथ चाटना चाहिए।

अम्ल पित्त :

धनिया तथा जीरा लेकर चूर्ण बना लें और शहद मिलाकर धीरे-धीरे चाटना चाहिए। इससे अम्लपित्त नष्ट होता है।

कब्ज :

सौंफधनियां तथा अजवायन इन तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इस चूर्ण में से आधा चम्मच चूर्ण को शहद के साथ सुबहदोपहर और शाम को इसका सेवन करना चाहिए। इससे कब्ज दूर होती है।

बवासीर :

रात्रि को सोते समय एक चम्मच त्रिफला-चूर्ण या एरण्ड का तेल एक गिलास दूध के साथ लेना चाहिए। इससे कब्ज दूर हो जाती है।

पीलिया :

• त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ सेवन करें। इससे पीलिया का रोग नष्ट हो जाता है।
• गिलोय का रस 12 ग्राम शहद के साथ दिन में दो बार लें।
• नीम के पत्तों का रस आधा चम्मच शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करना चाहिए।

सिर का दर्द :

• सिर पर शुद्ध शहद का लेप करना चाहिए। कुछ ही समय में सिर का दर्द खत्म हो जायेगा।
• आधा चम्मच शहद और एक चम्मच देशी घी मिलाकर सिर पर लगाना चाहिए। घी तथा शहद के सूखने के बाद दोबारा लेप करना चाहिए।
• यदि पित्त के कारण सिर में दर्द हो तो दोनों कनपटियों पर शहद लगायें। साथ ही थोड़ा शहद भी चाटना चाहिए।
• सर्दीगर्मी या पाचन क्रिया की खराबी के कारण सिर में दर्द हो तो नींबू के रस में शहद को मिलाकर माथे पर लेप करना चाहिए।
• कागज के टुकड़ों पर शहद और चूना को मिलाकर माथे के जिस भाग में दर्द हो उस भाग पर रख देने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
• भोजन के साथ शहद लेने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।

रतौंधी :

• शहद को सलाई या अंगुली की सहायता से काजल की तरह आंखों में सुबह के समय तथा रात को सोते समय लगाना चाहिए।
• काजल में शहद मिलाकर बराबर लगाते रहने से भी रतौंधी की बीमारी समाप्त हो जाती है।
• शहद को आंखों में काजल की तरह लगाने से रतौंधी रोग दूर होता है। आंखों की रोशनी भी बढ़ती है।

आंख में जलन :

• शहद के साथ निबौंली (नीम का फल) का गूदा मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगना चाहिए।
• शुद्ध शहद को सलाई या अंगुली की सहायता से काजल की तरह आंख में लगायें।

आंखों के रोग :

• एक ग्राम गुरुच का रस तथा आधा चम्मच शहद को मिला लें। फिर इसे आंखों में नियम से रोज सलाई से लगायें। आंखों की खुजलीदर्दमोतियाबिंद तथा अन्य सभी रोगों के लिए यह उपयोगी अंजन (काजल) है।
• चार ग्राम गिलोय का रस लेकर उसमें दो ग्राम शहद मिलाकर लोशन बना लें। इसे आंखों में लगायें। आंखों के सभी रोगों में इससे लाभ होगा।
• रोज सुबह ताजे पानी से आंखों को छप्पा (पानी की छींटे) मारकर धोना चाहिए। इसके बाद दो बूंदे नीम का रस तथा चार बूंदे शहद मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।
• कड़वे तेल से बना हुआ काजल शुद्ध शहद के साथ मिलाकर आंखों में लगाना चाहिए।

मुंह के छाले :

• तवे पर सुहागे को फुलाकर शहद के साथ छालों पर लगाना चाहिए। इससे मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं।
• छोटी इलायची को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। फिर शहद में मिलाकर छालों पर लगायें।
• फिटकरी को पानी में घोल लें और एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर कुल्ला करें। यह कुल्ला भोजन करने से पहले सुबहदोपहर तथा शाम को करना चाहिए।
• पेट में गर्मी ज्यादा हो तो त्रिफला का चूर्ण शहद के साथ लेना चाहिए। केवल आंवले का चूर्ण शहद के साथ लेने से भी पेट की गर्मी शांत होती है और मुंह के छाले ठीक होने लगते हैं।

आवाज का बैठ जाना :

• फूली हुई फिटकरी पीसकर शहद के साथ मिलाकर सेवन करें। इसमें पानी मिलाकर कुल्ला किया जा सकता है।
• मुलहठी का चूर्ण शहद के साथ चाटना चाहिए।
• कुलंजन मुंह में रखकर चूसने से भी आवाज खुल जाती है।
• 3 से ग्राम बहेड़ा के चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से स्वरभंग (गला बैठना) और गले के दूसरे रोग भी ठीक हो जाते हैं।
• 1 कप गर्म पानी में चम्मच शहद डालकर गरारे करने से आवाज खुल जाती है।

थूक के साथ बलगम आना :

• छाती पर शहद की मालिश करके गुनगुने पानी से धो लें। इससे थूक के साथ बलगम का आना बंद हो जाता है।
• रात्रि को सोने से पहले अजवायन का तेल छाती पर मलें।
• पिसी हुई हल्दीअजवायन और सौंठ को मिलाकर एक चुटकी लेकर शहद में मिलाकर सेवन करें।

पायरिया :

• मसूढ़ों तथा दांतों पर शुद्ध शहद की मालिश करके गुनगुने पानी से कुल्ला करना चाहिए।
• नींबू का रसनीम का तेल तथा शहद मिलाकर मसूढ़ों की मालिश करके कुल्ला कर लें।
• लहसुनकरेलाअदरक का रस निकालकर शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर रोज लगाना चाहिए। तीन-चार दिन तक लगातार मालिश करने से पायरिया तथा मसूढ़ों के अन्य रोग खत्म हो जाते हैं।

खांसी की बीमारी :

• लाल इलायची लेकर इसे भून लें और चूर्ण बना लेंइसमें शहद मिलाकर सेवन करें।
• मुनक्काखजूरकालीमिर्चबहेड़ा तथा पिप्पली-सभी को समान मात्रा में लेकर कूट लें और उसमें से दो चुटकी चूर्ण लेकर शहद में मिलाकर सेवन करें। ग्राम सितोपलादि के चूर्ण को शहद में मिलाकर दिन में तीन बार चाटकर खाने से खांसी दूर हो जाती है।
• 5 ग्राम शहद में लहसुन के रस की 2-3 बूंदे मिलाकर बच्चे को चटाने से खांसी दूर हो जाती है।
• एक नींबू पानी में उबालें फिर निकालकर कांच के गिलास में निचोड़ लें। इसमें 28 मिलीलीटर ग्लिसरीन और 84 मिलीलीटर शहद मिलाकर हिलाएं। एक-एक चम्मच चार बार पीने से खांसी बंद हो जाती है।
• शहद खांसी में आराम देता है। 12 ग्राम शहद को दिन में तीन बार चाटने से कफ निकल जाता है और खांसी ठीक हो जाती है।
• थोड़ी सी फिटकरी को तवे पर भून लेते हैं। इस चुटकी फिटकरी को शहद के साथ दिन में बार चाटने से खांसी में लाभ मिलता है।

काली खांसी :

सबसे पहले रोगी की कब्ज को दूर करना चाहिए। इसके लिए एरण्ड का तेल पिलाया जा सकता है। इसके बाद चिकित्सा आरम्भ शुरू करनी चाहिए। चिकित्सा के लिए शहद में लौंग के तेल की एक बूंद तथा अदरक के रस की दस बूंदे मिलाकर सुबहदोपहर और शाम को देनी चाहिए।

दमा:

• शहद में कुठार रस बूंद मिलाकर दिन में 3-4 बार देना चाहिए। इससे दमा का रोग नष्ट हो जाता है।
• सोमलताकूटबहेड़ामुलेठीअडूसा के पत्तेअर्जुन की छाल तथा काकड़ासिंगी सबका एक समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसमें से एक चम्मच चूर्ण शहद के साथ सेवन करें। प्यास लगने पर गर्म पानी पीयें

पसलियों में दर्द :

सांभर सींग को पानी में घिसकर शहद के साथ मिलाकर पसलियों पर लेप करना चाहिए।

शक्तिवर्द्धक :

एक कप दूध में एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह के समय पीने से ताकत बढ़ती है।

जुकाम :

 शहद और अदरक का रस एक-एक चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दिन में दो बार पीने से जुकाम खत्म हो जाता है और भूख बढ़ जाती है।
• 2 चम्मच शहद, 200 मिलीलीटर गुनगुना दूध और आधे चम्मच मीठे सोडे को एक साथ मिलाकर सुबह और शाम पीने से जुकामफ्लू ठीक हो जाता है। इसको पीने से बहुत पसीना आता है पर पसीना आने पर रोगी को हवा नहीं लगने देना चाहिए।
• 20 ग्राम शहदआधा ग्राम सेंधानमक और आधा ग्राम हल्दी को 80मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल कर रख लें। कुछ देर बाद जब पानी हल्का सा गर्म रह जाये तो इस पानी को सोते समय पीने से जुकाम दूर हो जाता है।

बिच्छू का डंक :

बिच्छू के डंक मारे हुए स्थान पर शहद लगाने से दर्द कम हो जाता है।

जलन :

• नियमित सुबह 20 ग्राम शहद ठंडे पानी में मिलाकर सेवन करने से जलन,खुजली और फुन्सियों जैसी चर्म रोग जड़मूल से समाप्त हो जाती है।
• शरीर के जले हुए अंगो पर शहद लगाने से जलन दूर होती है। जख्म होने पर शहद को तब तक लगाते रहे जब तक कि जख्म ठीक ना हो जायें। जख्म ठीक होने के बाद सफेद निशान बन जाते हैं। उन पर शहद लगाकर पट्टी बांधते रहने से निशान मिट जाते हैं।

शीघ्रपतन :

स्त्री-संग सम्भोग से एक घण्टा पहले पुरुष की नाभि में शहद में भिगोया हुआ रूई का फोहा रखने से पुरुष का जल्दी स्खलन नही होता अर्थात पुरुष का लिंग शिथिल नहीं होता है।

बलगम युक्त खांसी :

• 5 ग्राम शहद दिन में चार बार चाटने से बलगम निकल कर खांसी दूर होती है।
• शहद और अडूसा के पत्तों का रस एक-एक चम्मच तथा अदरक का रस आधा चम्मच मिलाकर पीने से खांसी नष्ट हो जाती है।

उल्टी :

 गुड़ को शहद में मिलाकर सेवन करने से उल्टी बंद हो जाती है।
• उल्टी होने पर शहद को चाटने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
• शहद में लौंग का चूर्ण मिलाकर चाटने से गर्भावस्था में उल्टी आने से छुटकारा मिलता है।

रक्तविकार :

बकरी के दूध में आठवां हिस्सा शहद मिलाकर पीने से खून साफ हो जाता है। इसका प्रयोग करते समय नमक और मिर्च का त्याग कर देना आवश्यक है।

यक्ष्मा या टी.बी. :

• ताजा मक्खन के साथ शहद का सेवन करने से क्षय रोग में लाभ होता है।
• शहद में करेले का चूर्ण डालकर चाटना चाहिए।

हाईब्लडप्रेशर :

दो चम्मच शहद और नींबू का रस एक चम्मच मिलाकर सुबह-शाम दिन में दो से तीन बार सेवन करने से हाई बल्डप्रेशर में लाभ होता है।

कान दर्द :

• कान में शहद डालने से कान की पीव और कान का दर्द नष्ट हो जाता है।
• कान में कनखजूरा सदृश जीव-जंतु घुस गया हो तो शहद और तेल मिलाकर उसकी कुछ बूंदे कान में डालने से लाभ होता है।

आंख आना :

• 1 ग्राम पिसे हुए नमक को शहद में मिलाकर आंखों में सुबह और शाम लगाऐं। सोनामक्खी को पीसकर और शहद में मिलाकर आंखों में सुबह और सांय लगाए।
• चन्द्रोदय वर्ति (बत्ती) को पीसकर शहद के साथ आंखों में लगाने से आंखों के रोग दूर होते हैं।

मलेरिया का बुखार :

शुद्ध शहद 20 ग्रामसैंधानमक आधा ग्रामहल्दी आधा ग्राम को पीसकर 80ग्राम की मात्रा में गर्म पानी में डालकर रात को पीने से मलेरिया का बुखार और जुकाम ठीक हो जाता है।

फेफड़ों के रोग :

फेफड़ों के रोगों में शहद लाभदायक रहता है। श्वास में और फेफड़ों के रोगों में शहद अधिक प्रयोग करते हैं।

दांतों का दर्द :

  1 चम्मच शहद मेंलहसुन का रस 20 बूंद मिलाकर प्रतिदिन सुबह-शाम चाटें। इससे पायरियामसूढ़ों की सूजनदर्दमुंह की दुर्गन्ध आदि खत्म होती है।
• मसूढ़ों में सूजन व खून निकलने के कारण दांत हिलने लगते हैं। शहद अथवा सरसों के तेल से कुल्ला करने से मसूढ़ों का रोग नष्ट हो जाता है।

इन्फ्लुएन्जा :

• शहद में पीपल का चुटकी चूर्ण मिलाकर चाटने से आराम मिलता है।
• 2 चम्मच शहद, 200 मिलीलीटर गर्म दूधआधा चम्मच मीठा सोड़ा मिलाकर सुबह और शाम को पिलाने से इन्फ्लुएन्जा पसीना आकर ठीक हो जाता है।

दांत निकलना :

बच्चों के दांत निकलते समय मसूढ़ों पर शहद मलने से दांत निकलते समय दर्द में आराम रहता है।

निमोनिया :

निमोनिया रोग में रोगी के शरीर की पाचन-क्रिया प्रभावित होती है इसलिए सीने तथा पसलियों पर शुद्ध शहद की मालिश करें और थोड़ा सा शहद गुनगुने पानी में डालकर रोगी को पिलाने से इस रोग में लाभ होता है।
जीभ की प्रदाह और सूजन :
जीभ के रोग में शहद को घोलकर मुंह में भरकर रखने से जीभ के रोग में लाभ होता है।

गर्भनिरोध :

• चूहे की मींगनी शहद में मिलाकर योनि में रखने से गर्भ नहीं ठहरता है।
• शहद 250 ग्राम को हाथी की लीद (गोबर) का रस 250 मिलीलीटर की मात्रा में शहद के साथ ऋतु (माहवारी) होने के बाद स्त्रियों को सेवन कराने से गर्भधारण नहीं होता है।

खून की उल्टी :

लाख के पानी में शहद मिलाकर पीने से खून की उल्टी होना रुक जाती है।

मुंह के छाले :

नीलाथोथा लगभग ग्राम का चौथा भाग को भुन पीसकर 10 ग्राम शहद में मिलालें। इस मिश्रण को रूई से छालों पर लगायें तथा लार बाहर निकलने दें। मुंह की गंदगी लार के रूप में मुंह से बाहर निकाल कर छालों को ठीक करती है।

गर्भावस्था का भोजन :

गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी आ जाती है। गर्भावस्था के समय रक्त बढ़ाने वाली चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए। महिलाओं को दो चम्मच शहद प्रतिदिन सेवन करने से रक्त की कमी नहीं होती है। इससे शारीरिक शक्ति बढ़ती है और बच्चा मोटा और ताजा होता है। गर्भवती महिला को गर्भधारण के शुरू से ही या अंतिम तीन महीनों में दूध और शहद पिलाने से बच्चा स्वस्थ और मोटा ताजा होता है।

हिचकी का रोग :

• शहद में उंगली डूबोकर दिन में बार चाटने से हिचकी से आराम मिलता है।
• शहद और काला नमक में नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से हिचकी से आराम मिलता है।
• प्याज के रस में शहद मिलाकर चाटने से हिचकी बंद हो जाती है।

कान का दर्द :

• लगभग ग्राम शहद, 6 मिलीलीटर अदरक का रस, 3 मिलीलीटर तिल का तेल और लगभग ग्राम का चौथा भाग सेंधानमक को एक साथ मिलाकर इसकी थोड़ी सी बूंदे कान में डालकर उसके ऊपर से रूई लगा देने से कान से कम सुनाई देनाकान का दर्दकान में अजीब-अजीब सी आवाजे सुनाई देना आदि रोग दूर हो जाते हैं।
• 5 मिलीलीटर सूरजमुखी के फूलों का रस, 5 ग्राम शहद, 5 मिलीलीटर तिल का तेल और ग्राम नमक को मिलाकर कान में बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

बहरापन:

शहद में समुद्रफेन को घिसकर कान में डालने से बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।

नपुंसकता :

शहद और दूध मिलाकर पीने से धातु (वीर्य) की कमी दूर होती है। और शरीर बलवान होता है।

कान का बहना :

शहद और नीम की गोंद को बराबर मात्रा में एक साथ मिलाकर कान में 2-2बूंद डालने से कान मे से मवाद का बहना बंद हो जाता है।

कान के रोग :

• शहद की 3-4 बूंदे कान में डालने से कान का दर्द पूरी तरह से ठीक हो जाता है।
• कान को अच्छी तरह से साफ करके उसमे रसौतशहद और और औरत के दूध को एक साथ मिलाकर 2-3 बूंदे रोजाना बार कान में डालने से कान में से मवाद का बहना बंद हो जाता है।

कान में कुछ पड़ जाना :

रूई की एक बत्ती बनाकर शहद में भिगो लें और कान में धीरे-धीरे से घुमायें। ऐसा करने से कान में जितने भी छोटे-मोटे कीड़े-मकोड़े होगें वो बत्ती के साथ चिपककर बाहर आ जायेंगे।

घाव :

• पुराने से पुराने घाव में हरीतकी को पानी में पीसकर शहद के साथ मिलाकर लेप करने से घाव शीघ्र ही ठीक हो जाता है।
• शहद लगाने से घाव जल्द भरते है।

कौआ गिरना :

से ग्राम शहद को कालक का चूर्ण से ग्राम मिलाकर दिन में बार लेने से रोग में लाभ होता है।

पक्षाघात-लकवा-फालिस फेसियलपरालिसिस :

• लगभग 20 से 25 दिन तक रोजाना लगभग 150 ग्राम शहद शुद्ध पानी में मिलाकर रोगी को देने से शरीर का लकवा ठीक हो जाता है।
• लगभग 28 मिलीलीटर पानी को उबालें और इस पानी के ठंडा होने पर उसमें दो चम्मच शहद डालकर पीड़ित व्यक्ति को पिलाने से कैल्शियम की मात्रा शरीर में उचित रूप में आ जाती है जोकि लकवे से पीड़ित भाग को ठीक करने में मददगार होती है।

आंव रक्त (पेचिश) :

शहद में एक चुटकी अफीम मिलाकर और उसमें घिसकर चाटने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।

भगन्दर :

शहद और सेंधानमक को मिलाकर बत्ती बनायें। बत्ती को नासूर में रखने से भगन्दर रोग में आराम मिलता है।

मोच :

मोच के स्थान पर शहद और चूना मिलाकर हल्की मालिश करने से आराम होता है।

प्रसव में देरी :

स्त्री को गुनगुने गर्म पानी के टब में बैठायें तथा शहद में भिगोये हुए कपडे़ को योनि में रखे। इससे सर्दी का असर दूर हो जाता है और प्रसव हो जाता है।

प्यास अधिक लगना :

• शहद को मुंह में भरकर कुछ देर तक रखकर कुल्ला करें। इससे तेज प्यास शांत हो जाती है।
• पानी में शहद या चीनी मिलाकर पीने से गले की जलन व प्यास मिट जाती है।
• 20 ग्राम शहद को मुंह में 10 मिनट तक रखें फिर कुल्ला कर दें। इससे अधिक तेज प्यास भी शांत हो जाती है।

जलोदर :

• 20 ग्राम शहद में 40 मिलीलीटर पानी डालकर उबालकर रख लेंफिर इस पानी को पिलाने से जलोदर की बीमारी में लाभ होता है।
• शहद और पीपल का चूर्ण छाछ में मिलाकर पीने से लाभ होगा।

मासिक स्राव :

शहद के साथ कबूतर की बीट मिलाकर खाने से रजोदर्शन (माहवारी) होता है और बांझपन दूर हो जाता है।

शीतपित्त :

• केसर ग्रामशहद 25 ग्राम रोगी को सुबह-शाम खिलाने से शीतपित्त में लाभ मिलता है।
• एक चम्मच शहद और एक चम्मच त्रिफला मिलाकर सुबह-शाम खाने से भी लाभ होता है।

मोटापा (स्थूलता) दूर करने के लिए :

120 ग्राम से लेकर 240 ग्राम शहद को 100 से 200 मिलीलीटर गुनगुने पानी में मिलाकर दिन में बार खुराक के रूप में सेवन करें।

गिल्टी (ट्यूमर) :

चूना और शहद को अच्छी तरह से मिलाकर गिल्टी पर लगाने से रोग में आराम मिलता है।

मोटापा बढ़ाना :

शहद का रोज दूध में मिलाकर सेवन करने से मोटापा बढ़ता हैं।

नींद में चलना :

• शहद के साथ लगभग 1-2 ग्राम पोस्ता पीसकर इसको शहद में घोलकर रोजाना सोने से पहले रोगी को देने से अच्छी नींद आती है। इससे रोगी को आराम से नींद आ जाती है।
• शहद के साथ लगभग 3-9 ग्राम बहेड़ा के चूर्ण को रोगी को सुबह और शाम को सेवन करने से लाभ प्राप्त होता है।

नींद ना आना (अनिद्रा) :

• एक-एक चम्मच नींबू का रस और शहद को मिलाकर रात को सोने से पहले दो चम्मच पीने से नींद आ जाती है। जब नींद खुले तब दो चम्मच पुन: लेने पर नींद आ जाती है और यदि केवल पानी के गिलास में शहद की दो चम्मच डालकर पीने से नींद आ जाती है।
• शहद या शर्करा के शर्बत में पोस्तादाना को पीसकर इसको घोलकर सेवन करने से नींद अच्छी आती है।

पेट के कीड़े :

• दो चम्मच शहद को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर दिन में दो बार सुबह और शाम पीने से लाभ होता है।
• थोड़ी मात्रा में सेवन करने से भी पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

आधासीसी (माइग्रेन) :

• इस रोग में सूर्य उगने के साथ दर्द का बढ़ना और ढलने के साथ सिर दर्द का कम होना होता हैतो जिस ओर सिर में दर्द हो रहा हो उसके दूसरी ओर के नाक के नथुने में एक बूंद शहद डालने से सिर के दर्द में आराम मिलता है।
• रोजाना भोजन के समय दो चम्मच शहद लेते रहने से आधे सिर में दर्द व उससे होने वाली उल्टी आदि बंद हो जाती हैं।

नाक के रोग :

शहद या गुड़ के साथ गूलर के पके हुए फल को खाने से नाक से खून आना बंद हो जाता है।

आक्षेप कंपकंपाना :

• शहद के साथ लगभग ग्राम का चौथा भाग से लगभग ग्राम सुहागे की खील (लावा) को चटाने से आक्षेप और मिर्गी में बहुत आराम आता है।
• शहद के साथ लगभग ग्राम का चौथा भाग जटामांसी का चूर्ण सुबह और शाम रोगी को देने से आक्षेप के दौरे ठीक हो जाते हैं।

पेट में दर्द :

• शहद का प्रयोग करने से खाना खाने के बाद होने वाले पेट दर्द समाप्त होते है।
• शहद और पानी मिलाकर पीने से पेट के दर्द में राहत मिलती है।

तंग योनि को शिथिल करना :

10 ग्राम शहद को ग्राम देशी घी में मिलाकर योनि पर लगाने से तंग योनि शिथिल होती है।

भूलने की बीमारी :

शहद के साथ लगभग तीन ग्राम कलौंजी का सुबह के समय सेवन करने से भूलने की बीमारी दूर हो जाती है।

बुद्धि का विकास कम होना :

शहद के साथ लगभग ग्राम का चौथा भाग चांदी की भस्म सुबह और शाम को लेने से बुद्धि के विकास में वृद्धि होती है।

छाती का दर्द :

शहद और पीपल का पीसा हुआ चूर्ण छाछ के साथ पीने से छाती के दर्द में लाभ मिलता है।

चिड़चिडापन और मन की उदासी दूर करना :

शहद के साथ गुल्म कुठार की लगभग या गोलियां सुबह और शाम को देने से चिड़चिड़ा स्वभाव और मन की उदासी दूर हो जाती है।

याददास्त बढ़ाना :

• शहद में लगभग ग्राम कलौंजी का चूर्ण मिलाकर चाटने से याददास्त तेज हो जाती है।
• लगभग 30 ग्राम शहद के साथ 20 ग्राम घी मिलाकर भोजन के बाद रोजाना लेने से दिमाग की याददास्त तेज होती है।

खाज-खुजली :

• 6 ग्राम से 10 ग्राम तक गर्म पानी में शहद मिलाकर 45 से 60 दिन तक लगातार पीने से हर प्रकार के चमड़ी के रोगलाल चकते (निशान)खाज-खुजली ठीक हो जाते है। यहां तक की कोढ़ के रोग में भी आराम हो जाता है।
• शुद्ध आमलासार गन्धक को शहद में मिलाकर खाने से खुजली पूरी तरह से ठीक हो जाती है। गन्धक को रोगी के रोग के लक्षण के मुताबिक लगभग 1ग्राम का चौथा भाग तक दे सकते है।

त्वचा के रोग :

• फुंसियों पर असली शहद लगाने से त्वचा के रोग जल्दी ठीक हो जाते हैं।
• काली मिट्टी में थोड़ा सा शहद डालकर शरीर में जहां पर फोड़े-फुंसिया हो वहां पर लगाने से लाभ होता है।


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