Tuesday, May 27, 2014

अण्डे की सफेदी या पीला हिस्सा, क्या होता है ज्यादा फायदेमंद

सेहत और खानपान से जुड़े कुछ सवालों के जवाब मिलना आसान नहीं होता। और अलग-अलग लोगों की अलहदा राय इन जवाबों को और मुश्किल बना देती है। किसी की नजर में कोई चीज सही है, तो दूसरा जानकार उसके ठीक उलट बात करता है। अब कई लोगों की नजर में कार्बोहाइड्रेट आपको मोटा बना सकता है, तो कुछ की नजर में यह बहुत जरूरी है। कोई किसी व्यायाम को वजन कम करने के लिए सही मानता है, तो किसी दूसरे व्यक्ति की राय इससे जुदा हो सकती है। कोई किसी को फैट बर्न का नायाब नुस्खा मानता है, तो किसी की नजर में उसके तरीके से अच्छा कुछ है ही नहीं। और ऐसा ही एक सवाल है कि क्या अण्डे की सफेदी ज्यादा अच्छी होती है या फिर पूरा अण्डा खाया जा सकता है।
पौ‍ष्टि‍क नाश्ते की सूची में सबसे ऊपर की पंक्ति में आता है अण्डा। लेकिन, इसका कौन सा हिस्सा खाया जाए और कौन सा नहीं, इस पर एक राय नहीं है। अण्डे के पीले हिस्से को कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा के कारण सेहत के लिए नुकसानदेह बताया जाता है। और तो और इसमें वसा की मात्रा भी काफी ज्यादा होती है।
तो चलिये, सफेद और पीले के बीच बंटे अण्डे के पोषक तत्वों पर एक नजर डालते हैं। हो सकता है कि इस लेख को पढ़ने के बाद अण्डे के योक के बारे में आपकी सोच में कुछ बदलाव आये। और आप मान जाएं कि यह योक उतना भी बुरा नहीं होता, जितना कि आप समझते आए हैं।
benefits of egg

सिर्फ कोलेस्ट्रॉल ही नहीं, पोषण भी है

आपकी बात मान लेते हैं। अण्डे के योक में कोलेस्ट्रॉल और वसा होती है। लेकिन, इसके साथ ही इसमें सभी जरूरी पोषक तत्त्व भी मौजूद होते हैं। हालांकि, कुछ लोग अण्डे के पीले हिस्से से दूर रहते हैं। उन्हें लगता है कि वसा और कोलेस्ट्रॉल से भरा यह हिस्सा उनकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन, वह यह भूल जाते हैं कि वास्तव में यह हिस्सा आपकी सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है। और तो और अण्डों के सेवन और दिल की बीमारी के बीच कहीं कोई संबंध नहीं है और न ही था।


कोलेस्ट्रॉल के बावजूद फायदेमंद

अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट के शोधकर्ता भी इस बात का समर्थन करते हैं कि आपकी सेहत के लिए अण्डा शानदार होता है। उनका कहना है कि कोलेस्ट्रॉल की अध‍िक मात्रा के बावजूद अण्डे में शरीर के लिए फायदेमंद तमाम पोषक तत्त्व भरपूर मात्रा में होते हैं।


शोध में हुआ साबित

अपनी बात को साबित करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन किया। उन्होंने एक समूह को अण्डों के जरिये अतिरिक्त 640 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल दिया गया। यह बात ध्यान रखने वाली है कि हर योक में करीब 200 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है। शोध के परिणाम उन पुरानी मान्यताओं के बिलकुल उलट थे, जो अण्डे के पीले हिस्से को स्वास्थ्य के लिए अहितकर बताते थे। शोध में यह बात सामने आयी कि जिन लोगों ने योक वाले अण्डे का सेवन किया था, उनके शरीर में गुड कोलस्ट्रॉल यानी एचडीएल का स्तर उन लोगों की अपेक्षा काफी अध‍िक था, जिन लोगों ने अण्डे के योक से कोलेस्ट्रॉल का उपभोग नहीं किया था।


कोलेस्ट्रॉल इतना बड़ा विलेन नहीं

आपने देखा कि आहार के जरिये लिया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल सीधा आपकी धमनियों में गया। लेकिन, उसके बावजूद गुड कोलेस्ट्रॉल के स्तर में बढ़ोत्तरी हुई। यानी यह बात साफ हो गई कि आहार के जरिये लिया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल, रक्त में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने या दूसरे शब्दों में कहें तो दिल की बीमारियों  के लिए बहुत ज्यादा उत्तरदायी नहीं होता। 2007 में प्रकाश‍ित एक अन्य शोध में भी यह कहा गया था कि अण्डा दिल की बीमारियों और स्ट्रोक के खतरे में इजाफा नहीं करता। इसमें कहा गया कि सप्ताह में छह या उससे ज्यादा अण्डे यानी रोजाना एक अण्डा खाने से दिल पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता।


कोलेस्ट्रॉल का दिल पर असर

अभी तक दिल की बीमारियों के लिए कोलेस्ट्रॉल का कुल स्तर उतना भी अध‍िक मायने नहीं रखता, जितना कि माना जाता है। इसमें यह बात ध्यान रखने की है कि दिल की बीमारियों से ग्रस्त होने वाले करीब 35 फीसदी मरीजों का कोलेस्ट्रॉल स्तर खतरे के निशान से नीचे होता है।  तो कोलेस्ट्रॉल के सेवन में जरा सी बढ़ोत्तरी इतनी खतरनाक नहीं।


शरीर खुद बनाता है कोलेस्ट्रॉल

जब आप आहार के जरिये कोलेस्ट्रॉल लेते हैं, तो शरीर में कोलेस्ट्रॉल के निर्माण की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। और इसी तस्वीर को अगर उलटकर देखा जाए, तो यदि आप कोलेस्ट्रॉल का सेवन नहीं करते हैं, तो शरीर इसका जरूरत से ज्यादा निर्माण करने लगता है। ऐसा वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए करता है।

benefits of egg

पोषक तत्त्वों का खजाना

कोलेस्ट्रॉल की चिंता को एक ओर रख कर देखें तो अण्डे में कई पोषक तत्त्व होते हैं। इनमें से कई पोषक तत्त्व ऐसे होते हैं, जो आपको अन्य खाद्य पदार्थों से नहीं मिलते। कोलाइन (choline) ऐसा ही जरूरी पोषक तत्व है, जो दिमाग की सेहत के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। कारोटेंऑयड्स (carotenoids), आंखों के लिए और जिक्सनथ‍िन (zeaxanthin), जो एक एंटी ऑक्सीडेंट है, जैसे गुणकारी तत्व भी होते हैं। ये तो केवल बानगी है, जरा से अण्डे में मौजूद पोषक तत्वों की सूची तो बहुत लंबी है।

वजन घटाये अण्डा

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओबेसिटी ने अपने एक शोध में कहा है कि नाश्ते में रोजाना दो अण्डे खाने से वजन कम करने में मदद मिलती है। यह बात तो सब जानते हैं और इस शोध ने भी इस पर अपनी मुहर लगाई है। शोध में यह बात सामने आई कि नाश्ते में अण्डे खाने वालों का वजन 65 फीसदी अधिक कम हुआ वहीं उनकी कमर के आकार में भी 34 फीसदी अध‍िक की कमी आई।


अब भी दुविधा में हैं?

अगर आप अब भी इस दुविधा में कि अण्डे का पीलापन खाया जाए या नहीं, तो फिर इन बातों को ध्यान रखें-
1. अण्डे के पीले हिस्से में 13 जरूरी पोषक तत्व होते हैं, वहीं सफेद हिस्से में प्रोटीन के सिवाय और कुछ नहीं होता।
2. आहार के जरिये लिया जाने वाला कोलेस्ट्रॉल उतना बुरा नहीं, जितना कि आप सोचते चले आए हैं।
3. अण्डा वजन कम करने में समान कैलोरी युक्त कार्बोहाइड्रेट वाला नाश्ते से अध‍िक कारगर होता है।


तो, अब आप समझ गए होंगे कि अण्डे का पीला हिस्सा वास्तव में सफेद से ज्यादा फायदेमंद होता है। लेकिन, इस बात का भी ध्यान रखें कि हर चीज का सेवन सीमा में ही अच्छा होता है और अण्डा अपवाद नहीं। खानपान की आपकी अन्य आदतों, जीवनशैली और अन्य कई कारण आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। तो आपको कितना और कैसे अण्डे का सेवन करना चाहिए इसके लिए अपने आहार विशेषज्ञ अथवा डॉक्टर से बात जरूर करें।

दिल के लिए फायदेमंद होती है डार्क चॉकलेट

हाल के कुछ बरसों में चॉकलेट को काफी मीडिया कवरेज मिला है। कई शोध यह बताते हैं कि आपके दिल की सेहत को सही रखने में चॉकलेट की भूमिका काफी अहम होती है। इसकी बड़ी वजह यह है कि कोकोआ फ्लेवोनॉयड से भरपूर होता है। यह तत्‍व दिल की अच्‍छी सेहत के लिए काफी महत्‍वपूर्ण होता है।

फ्लेवोनॉयड पौधों को पर्यावरण में मौजूद विषैले पदार्थों से बचाता है। इसके साथ ही यह उन्‍हें हुए नुकसान की भी भरपाई करता है। यह तत्‍व कई खाद्य पदार्थों, जैसे फलों और सब्जियों में पाया जाता है। फ्लेवोनॉयड एंटी ऑक्‍सीडेंट होते हैं और इन खाद्य पदार्थों का सेवन हमें काफी लाभ पहुंचाता है।



एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स शरीर की कोशिकाओं और उत्‍तकों को फ्री-रेडिकल्‍स से होने वाले नुकसान से बचाने का काम करते हैं। हमारी नियमित शारीरिक प्रक्रिया के दौरान ही फ्री-रेडिकल्‍स का निर्माण होता है। सांस लेने की प्रक्रिया के दौरान कई प्रदूषक तत्‍व हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, यही फ्री-रेडिकल्‍स हमारी शारीरिक संरचना को अंदर से नुकसान पहुंचाते हैं। इसके साथ ही धूम्रपान से भी फ्री-रेडिकल्‍स बनते हैं। यदि आपके शरीर में पर्याप्‍त मात्रा में एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स न हों, तो ये फ्री-रेडिकल्‍स हमें काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स की कमी से शरीर में बैड कोलेस्‍ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है। यह बैड कोलेस्‍ट्रॉल रक्‍तवाहिनियों की दीवारों के साथ चिपक जाता है, जो आगे चलकर दिल की गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है।

फ्लेवानोल्‍स फ्लेवोनॉयड का ही एक प्रकार है जो कोकोआ और चॉकलेट में मिलता है। इसमें एंटी-ऑक्‍सीडेंट खूबियां होती हैं। और साथ ही शोध यह भी प्रमाणित करते हैं कि फ्लेवोनॉयड दिल की सेहत पर कई प्रकार से सकारात्‍मक प्रभाव डालता है। यह रक्‍तचाप को कम करता है, दिल और दिमाग में रक्‍त-प्रवाह को सुधारता है। और साथ ही रक्‍त प्‍लेट्लेट्स की चिकनाई कम करता है। इससे खून का थक्‍का जमने की आशंका कम हो जाती है।

ये प्‍लांट कैमिकल्‍स सिर्फ चॉकलेट में ही नहीं पाए जाते। चॉकलेट के अलावा सेब, क्रेनबैरी, मूंगफली, प्‍याज, चाय और रेड वाइन में भी यह तत्‍व भरपूर मात्रा में होते हैं। 

क्‍या सभी चॉकलेट सेहतमंद होते हैं ?

इससे पहले कि आप चॉकलेट खाने के लिए लपकें, हम आपको एक जरूरी बात बताते हैं। आपके लिए यह जानना महत्‍वपूर्ण है कि सभी प्रकार के चॉकलेट फायदेमंद नहीं होते। और न ही सभी प्रकार के चॉकलेट में फ्लेवानोल्‍स होते हैं। फ्लेवानोल्‍स के कारण कोकोआ का स्‍वाद बहुत कड़ा हो जाता है। चॉकलेट बनाते समय इस स्‍वाद को कम करने के लिए चॉकलेट को कई स्‍तर से गुजारा जाता है। चॉकलेट को जितनी अधिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है, फ्लावेनोल्‍स की मौजूदगी उतनी ही कम होती जाती है।

बाजार में मिलने वाली अधिकतर चॉकलेट ऐसे कई चरणों से गुजरती हैं। पहले ऐसा माना जाता था कि डॉर्क चॉकलेट में सबसे अधिक फ्लेवानोल्‍स होते हैं, लेकिन डॉर्क चॉकलेट बनाने की प्रक्रिया जानने के बाद इसकी वा‍स्‍तविकता का ज्ञान हुआ। अच्‍छी बात यह है कि अधिकतर चॉकलेट निर्माता कंपनियां चॉकेलट में फ्लेवानोल्‍स को बनाये रखने का हर संभव प्रयास कर रही हैं। लेकिन, तब तक आपको डॉर्क चॉकलेट का ही सेवन करना चाहिए। 

क्‍या चॉकलेट से बढ़ता है मोटापा?

चॉकलेट को हमेशा वजन बढ़ाने वाला माना जाता है। लेकिन, चॉकलेट के दीवानों को यह जानकर हैरानी होगी कि दरअसल, ऐसा नहीं है।
चॉकलेट में मौजूद वसा का मुख्‍य कारण कोकोआ बटर होता है, लेकिन यह वास्‍तव में ऑलिव ऑयल जितना सेहतमंद होता है। इसमें ऑलिक एसिड के साथ-साथ स्‍ट्रेरिक एसिड और पालमिटिक एसिड होता है। ऐसा माना जाता है कि स्‍ट्रेरिक एसिड और पालमिटिक एसिड सेचुरेटेटेड फैट के प्रकार होते हैं। यह तो आपको पता ही है सेचुरेटेड फैट बैड कोलेस्‍ट्रॉल और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा देता है।

लेकिन हालिया शोध इस बात के विपरीत तथ्‍य पेश करते हैं। शोध बताते हैं कि स्‍ट्रेरिक एसिड कोलेस्‍ट्रॉल पर तटस्‍थ प्रभाव डालता है। यानी यह न तो कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर में इजाफा करता है और न ही उसे कम करता है। हालांकि पा‍लमिटिक एसिड जरूर कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर पर हल्‍का प्रभाव डालता है।

डॉर्क चॉकलेट चुनते समय बरतें सावधानी

सबसे पहले डॉर्क चॉकलेट चुनते समय खास सावधानी बरतें। भूनी हुई चीनी और नट्स से भरी हुई डॉर्क चॉकलेट आपके दिल को कोई फायदा नहीं पहुंचाती। इन तत्‍वों के बारे में खास खयाल रखें क्‍योंकि ये आपको अतिरिक्‍त फैट और कैलोरी देती हैं। दूसरी बात यह है कि अभी तक यह बात प्रमाणित नहीं हुई है कि दिल की अच्‍छी सेहत के लिए कितनी मात्रा में चॉकलेट का सेवन फायदेमंद होता है। तो, बेहतर है कि इसका सेवन संतुलित मात्रा में ही किया जाए।

तो दिल की अच्‍छी सेहत के लिए 1 औंस यानी करीब 30 ग्राम डॉर्क चॉकलेट सप्‍ताह में कई बार किया जा सकता है। और इसके साथ ही आपको सेब, रेड वाइन, चाय और प्‍याज जैसे एंटी-ऑक्‍सीडेंट्स का सेवन भी करना चाहिए।

कैसे सीखें अंग्रेजी बोलना ? 12 Ideas

Learn Spoken English Through Hindi

कैसे  सीखें  अंग्रेजी  बोलना ? 

इस  article में  मैं  Spoken English सीखने  से  सम्बंधित  अपनी  thoughts share कर  रहा  हूँ , यह  मेरा  व्यक्तिगत  दृष्टिकोण   है  और  आप  इससे  पूरी  तरह   असहमत  भी  हो  सकते  हैं , पर  यदि  इससे  कुछ  लोगों  को  फायदा  पहुँचता  है  तो  मुझे  ख़ुशी  होगी.  :)
दोस्तों  हमारे  देश  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखना एक  बहुत  बड़ा  business है . ख़ास  तौर पे  छोटे  शहरों   में  इसका  कुछ  ज्यादा  ही  craze है . आपको  जगह -जगह  English Speaking से  related ads दिख  जायेंगे , “ 90 घंटे  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखें ,”, ”फर्राटेदार  अंग्रेजी  के  लिए  join  करें   XYZ School of Language” etc.
पर  क्या  यह school सचमुच  इतने  effective हैं ? शायद  नहीं ! क्योंकि  वो  पहले  ही  गलत  expectation set कर  देते  हैं ! मात्र  90 घंटे   सीखकर   किसी  भाषा  को आसानी  के  साथ  बोलना  बहुत मुश्किल है . हाँ , ये   हो  सकता  है  कि  कुछ  दिन  वहां  जाकर  आप  पहले  की  अपेक्षा  थोडा  और  fluent हो  जाएं  , पर  ऐसे कम  ही  लोग  होते हैं जो सचमुच अपनी इंग्लिश बोलने की काबीलियत का  श्रेय  ऐसे school को दे सकें.अगर आप  पहले  से  ठीक-ठाक अंग्रेजी बोल लेते हैं और  तब  ऐसी  जगह  जाते  हैं  तो  यह  आपके  लिए  फायदेमंद  हो  सकता  है , नहीं  तो  आपके  लिए  अच्छा  होगा  कि   आप  इस  mindset के  साथ  जाइये  कि  ऐसे  school में  जाकर  आप  एक  start कर  सकते  हैं  पर  यहाँ  से  निकलने  के  बाद  भी आपको  काफी  दिनों  तक  पूरी  dedication के  साथ  लगे  रहना  होगा .
तो  आइये  सबसे  पहले  मैं  आपके  साथ  अंग्रेजी  बोलने  से  सम्बंधित  कुछ  myths share करता  हूँ :
English बोलने  के  लिए  grammar अच्छे  से  आना  चाहिए : यह  एक  बहुत  बड़ा  myth है , आप  ही  सोचिये  कि  जब  आपने  हिंदी  बोलना  सीखा  तो  क्या  आपको  संज्ञा , सर्वनाम , इत्यादि  के  बारे  में  पता  था ?  नहीं  पता  था , क्योंकि  उसकी  जरूरत  ही  नहीं  पड़ी  वो  तो  बस  आपने  दूसरों  को  देखकर -सुनकर  सीख  लिया . उसी  तरह  अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  भी  Grammar की  knowledge जरूरी  नहीं  है . English Medium school से अच्छी  शिक्षा मिलने  के  कारण  मैं  अच्छी  English बोल  लेता  हूँ , पर  यदि  आप  मेरा  Tenses का  test लें  तो  मेरा  पास  होना  भी  मुश्किल  होगा .:)
कुछ  ही  दिनों  में  अंग्रेजी  बोलना  सीखा  जा  सकता  है : गलत ! अपनी  मात्र  भाषा  से  अलग  कोई  भी  भाषा  सीखने  में  समय  लगता  है . कितना  समय  लगेगा  यह person to person differ करेगा . पर  मेरा  मानना  है  कि  यदि  कोई  पहले  से  थोड़ी  बहुत  अंग्रेजी  जानता  है और  वो  dedicated होकर  effort करे  तो  6 महीने  में  अच्छी  अंग्रेजी  बोलना  सीख  सकता  है .और  यदि  आप  सीख  ही  रहे  हैं  तो  कामचलाऊ  मत  सीखिए , अच्छी  English सीखिए .
English Medium से पढने वाले ही अच्छी अंग्रेजी बोल पाते हैं: यह  भी  गलत  है . अपने  घर  की  ही  बात  करूँ  तो  मेरे  बड़े  भैया  ने  Hindi Medium से  पढाई  की  है , पर  आज   वो  बतौर  Senior Consultant काम  करते  हैं  और  बहुत  अच्छी  English लिखते – बोलते  हैं . यदि  आपको  ऐसी  schooling नहीं  मिली  जहाँ  आप  अंग्रेजी बोलना  सीख  पाए  तो  उसपर  अफ़सोस  मत  कीजिये , जो  पहले  हुआ  वो  past है , present तो  आपके  हाथ  में  है  जो  चीज  आप  पहले  नहीं  सीख  पाए  वो  अब  सीख  सकते  हैं , in fact as an adult आप  अपनी  हर  उपलब्धि  या  नाकामयाबी  के  लिए  खुद   जिम्मेदार  हैं.
अंग्रेजी  बोलने  के  लिए  अच्छी   vocabulary होना  जरूरी  है : नहीं , vocabulary जितनी  अच्छी  है  उतना  अच्छा   है , पर   generally आम -बोल  चाल  में  जितने  words बोले  जाते  हैं , वो  आपको  पहले   से  ही  पता  होंगे या थोड़ी सी मेहनत से आप इन्हें जान जायेंगे.  दरअसल  हम  जो  words जानते  हैं  बस  उन्ही  को  सही  जगह  place करने  की  बात  होती  है . मैंने कई बार लोगों को एक से एक कठिन words की meaning रटते देखा है, पर ऐसा करना आपकी energy  ऐसी जगह लगाता है जहाँ लगाने की फिलहाल ज़रुरत नहीं है.
अगर आप ऊपर दिए गए किसी मिथक को मानते हों तो अब उनसे छुटकारा पा लीजिये , और स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए नीचे दिए गये सुझावों को  अपनाइए .
12 Ideas to Learn Spoken English
स्पोकेन इंग्लिश सीखने के 12 सुझाव   
1. अपना महौल English बनाएं  : किसी  भी  भाषा  को  सीखने  में  जो  एक  चीज  सबसे  महत्त्वपूर्ण  होती  है  वो  है  हमारा  environment, हमारा  माहौल .  आखिर  हम  अपनी  मात्र -भाषा  छोटी  सी  ही  उम्र   में  कैसे  बोलने  लगते  हैं :- क्योंकि   24X7 हम  ऐसे  माहौल  में  रहते  हैं  जहाँ  वही  भाषा  बोली  , पढ़ी, और  सुनी  जाती  है .  इसीलिए  अंग्रेजी  बोलना  सीखना  है  तो  हमें  यथा  संभव  अपने  माहौल  को  English बना  देना  चाहिए .  इसके  लिए  आप  ऐसा  कुछ  कर  सकते  हैं:
•         हिंदी  अखबार  की  जगह  English Newspaper पढना  शुरू  कीजिये .
•         हिंदी  गानों  की  जगह  अंग्रेजी  गाने  सुनिए .
•         अपने interest के English program / movies देखिये .
•         अपने  room को  जितना  English बना  सकते  हैं  बनाइये ….English posters, Hollywood actors,English  books,Cds ..जैसे  भी   हो  जितना  भी  हो  make it English.
2. ऐसे लोगों के साथ group बनाएं जो आप ही की तरह स्पोकेन इंग्लिश सीखना चाहते हों : कुछ ऐसे  दोस्त   खोजिये  जो  आप   ही  की  तरह  अंग्रेजी  बोलना सीखना  चाहते  हैं .  अगर  आपके  घर  में  ही  कोई  ऐसा  है  तो  फिर  तो  और  भी  अच्छा  है . लेकिन  अगर  ना  हो  तो  ऐसे  लोगों  को  खोजिये , और  वो  जितना  आपके  घर  के  करीब  हों  उतना अच्छा  है . ऐसे दोस्तों  से  अधिक  से  अधिक  बात  करें  और  सिर्फ  English में . हाँ  ,चाहें  तो  आप  mobile पर  भी  यही  काम  कर  सकते  हैं .
 3. कोई mentor बना लें: किसी ऐसे व्यक्ति को अपना mentor बना लें जो अच्छी English जानता हो, आपका कोई मित्र, आपका कोई रिश्तेदार, कोई पडोसी, कोई अंग्रेजी सीखाने वाला institute ….कोई भी जो आपकी मदद के लिए तैयार हो. आपको अपने मेंटर से जितनी मदद मिल सके लेनी होगी. अगर आप को मेंटर ना मिले तो भी मायूस होने की ज़रुरत नहीं है आप अपने efforts में लगे रहे , मेंटर मिलने सी आपका काम आसानी से होता लेकिन ना मिलने पर भी आप अपने प्रयास से यह भाषा सीख सकते हैं.
 4. पहले  दिन  से  ही correct English बोलने  का  प्रयास  मत  करें : अगर  आप  ऐसा  करेंगे  तो   आप   इसी  बात  में  उलझे  रह  जायेंगे  की  आप  सही  बोल  रहे  हैं  या  गलत . पहला  एक -दो  महिना  बिना  किसी  tension के   जो  मुंह  में  आये  बोले , ये  ना  सोचें  कि  आप  grammatically correct हैं  या  नहीं .  जरूरी  है  कि  आप  धीरे -धीरे  अपनी  झिझक  को  मिटाएं  .
 5. English सीखने के लिए  Alert रहे : वैसे  तो  मैं  अपनी  spoken English का  श्रेय   अपने  school St.Paul’s को  देता हूँ  पर  अंग्रेजी  के लिए  अपनी  alertness की  वजह  से  भी  मैंने  बहुत  कुछ   सीखा  है . मैं  जब  TV पर  कोई  English program देखता  था  तो  ध्यान  देता  था  की  words को  कैसे  pronounce किया  जा रहा  है , और  किसी  word को  sentence में  कैसे  use  किया  जा रहा  है . इसके  आलावा  मैंने  नए  words सीखने  के  लिए  एक  diary भी  बनायीं  थी  जिसमे  मैं  newspaper पढ़ते  वक़्त जो  words नहीं  समझ  आते  थे  वो  लिखता  था , और  उसका use  कर  के एक  sentence भी  बनता  था , इससे  word की  meaning याद  रखने  में  आसानी  होती  थी .
6. बोल  कर  पढ़ें : हर  रोज  आप  अकेले  या  अपने  group में  तेज  आवाज़  में  English का  कोई  article या  story पढ़ें . बोल -बोल  कर   पढने  से  आपका  pronunciation सही  होगा , और  बोलने  में  आत्मविश्वास  भी  बढेगा .
 7. Mirror का use करें  : मैं  English बोलना  तो  जानता  था  पर  मेरे  अन्दर  भी  fluency की  कमी  थी , इसे ठीक  करने  के  लिए  मैं  अक्सर  अकेले  शीशे  के  सामने  खड़े  होकर   English में  बोला  करता  था . और  अभी  भी  अगर  मुझे  कोई  presentation या  interview देना  होता  है  तो  मैं  शीशे   के  सामने  एक -दो  बार  practice  करके  खुद  को  तैयार  करता  हूँ .  आप  भी  अपने  घर  में  मौजूद  mirror का  इस्तेमाल  अपनी  spoken English improve करने  के  लिए  कीजिये .  शीशे  के  सामने  बोलने  का  सबसे  बड़ा  फायदा  है  कि  आप  को  कोई  झिझक  नहीं  होगी  और  आप  खुद  को  improve कर  पाएंगे .
8. Enjoy the process: English बोलना  सीखेने  को  एक  enjoyment की  तरह  देखें  इसे अपने  लिए  बोझ  ना  बनाएं .  आराम  से  आपके  लिए  जो  speed comfortable हो  उस  speed से  आगे  बढें  . पर  इसका  ये  मतलब  नहीं  है  कि  आप  अपने  प्रयत्न  एकदम  से  कम   कर  दें , बल्कि  जब  आप  इसे  enjoy करेंगे  तो  खुद -बखुद  इस  दिशा  में  आपके  efforts और  भी  बढ़  जायेंगे .  आप  ये  भी  सोचें  कि  जब  आप  fluently बोलने  लगेंगे  तब  कितना  अच्छा लगेगा  , आप  का  confidence भी  बढ़  जायेगा  और  आप  सफलता  की  तरफ  बढ़ने  लगेंगे .
 9. English में सोचना शुरू करें : जब  इंसान  मन  में  कुछ  सोचता  है  तो  naturally वो  अपनी  मात्र  भाषा  में  ही  सोचता  है . लेकिन  चूँकि  आप  English सीखने  के  लिए  committed हैं  तो  आप  जो  मन  में  सोचते  हैं  उसे  भी  English में  सोचें . यकीन  जानिये  आपके  ये  छोटे -छोटे  efforts आपको  तेजी  से  आपकी  मंजिल  तक  पंहुचा  देंगे .
10. ऐसी  चीजें   पढ़ें जो समझने में बिलकुल आसान हों: बच्चों की English comics आपकी हेल्प कर सकती है, उसमे दिए गए pictures आपको story समझने  में हेल्प करेंगे और simple sentence formation भी आम बोल चाल में बोले जाने वाले सेंटेंसेस पर आपकी पकड़  बना देंगे.
11. Internet का use करें : आप स्पोकेन इंग्लिश सीखने के लिए इन्टरनेट का भरपूर प्रयोग करें. You Tube पर available  videos आपकी काफी हेल्प कर सकते हैं.  सही pronunciation और meaning के लिए आप TheFreeDictionary.Com का use कर सकते हैं.  AchhiKhabar.Com पर दिए गएQuotes भी आपकी मदद कर सकते हैं, चूँकि मैंने जो quotes collect किये हैं वो English और Hindi दोनों में हैं तो आप वहां से भी कुछ सीख  सकते हैं और साथ ही महापुरुषों के अनमोल विचार भी जान सकते हैं.
12. Interest मत  loose कीजिये : अधिकतर  ऐसा  होता  है  कि  लोग  बड़े  जोशो -जूनून  के  साथ  English सीखना  शुरू  करते  हैं . वो  ज्यादातर  चीजें  करते  हैं  जो  मैंने  ऊपर  बतायीं , पर  दिक्कत  ये  आती  है  कि  हर  कोई  अपनी  comfort zone में  जाना  चाहता  है . आपकी  comfort zone Hindi है  इसलिए  आपको  कुछ  दिनों  बाद  दुबारा  वो  अपनी  तरफ  खींचेगी  और  ऊपर  से  आपका  माहौल  भी  उसी  को  support करेगा . इसलिए  आपको  यहाँ  पर  थोड़ी  हिम्मत  दिखानी  होगी , अपना  interest अपना  enthusiasm बनाये  रखना  होगा .  इसके  लिए  आप  English से  related अपनी  activities में  थोडा  innovation डालिए . For example : यदि  आप  रोज़ -रोज़  serious topics पर  conversation करने से  ऊब  गए  हों  तो  कोई  abstract topic, या  फ़िल्मी   मसाले  पर  बात  करें ,  कोई इंग्लिश मूवी देखने चले जाएँ, या फिर कुछ और करें जो आपके दिमाग में आये.आप  एक -दो  दिन  का  break भी  ले  सकते  हैं , और  नए  जोश  के  साथ  फिर  से  अपने  mission पर  लग  सकते  हैं . पर  कुछ  ना  कुछ  कर  के  अपना  interest बनाये  रखें . वरना  आपका  सारा  effort waste चला  जायेगा .
Bonus Tip : Use your Television
अभी कुछ दिन पहले मैं फरीदाबाद अपने भैया के यहाँ गया था , वहां मेरा 3 साल का भतीजा बड़े मजे से छोटा भीम कार्टून देख रहा था, मैंने notice किया कि चैनल की language English पे सेट है. I think ये एक अच्छा तरीका है इंग्लिश सीखने का, बच्चों के लिए बनाये गए कार्टून्स की भाषा सरल होती है और साथ में चल रहे एनीमेशन से बात को समझना आसान हो जाता है. आप भी इस तरीके का use कर सकते हैं.इसके आलावा आप ऐसे channels भी देख सकते हैं जिसमे subtitles आते हैं. इससे भी आपको भाषा सीखने में मदद मिलेगी.
Friends, English एक universal language है, इसे दुनिया भर में अरबों लोग बोलते हैं, तो आप ही सोचिये जो काम अरबों लोग कर सकते हैं भला आप क्यों नहीं!!! बस इतना याद रखिये कि अंग्रेजी  बोलना सीखने का सबसे सरल तरीका है “अंग्रेजी बोलना”  और इस लिए आपको ऐसे लोगों के साथ अधिक से अधिक  रहना चाहिए जिनसे आप इंग्लिश में बात कर सकते हैं. अपनी झिझक मिटाइए और ऐसे हर एक मौके का फायदा उठाइए जहाँ आपको English बोलने का मौका मिल रहा हो.
तो फिर देर किस बात की है बस लग जाइये अपने efforts में और अपने भाषा ज्ञान में अंग्रेजी भी जोड़ लीजिये.All the best! :)
निवेदन : यदि आप के पास अंग्रेजी बोलना सीखने से सम्बंधित कोई और idea हो तो कृपया उसे अपने comments के माध्यम से हमारे साथ शेयर करें. Your idea can change somebody’s life.
निवेदन : यदि  यह  लेख  आपके लिए लाभप्रद रहा हो तो कृपया  कृपया  comment के  माध्यम  से  मुझे बताएं.और इसे अपने Facebook friends  के साथ ज़रूर share करें .
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5 चीजें जो आपको नहीं करनी चाहिए और क्यों ?

दोस्तों  जाने  अनजाने  हम  ऐसी  कई  चीजें करते  हैं  जो  हमारे  personal development के  लिए  ठीक  नहीं  होतीं. वैसे  तो  इन  चीजों  की  list बहुत  लम्बी  हो  सकती  है  पर  मैं  आपके  साथ  सिर्फ  पांच  ऐसी  बातें  share कर  रहा  हूँ  जो  मैं  follow करता  हूँ .हो  सकता  है  कि  आप  already इनमे  से  कुछ  चीजें  practice करते  हों , पर  अगर  आप  यहाँ  से  कुछ  add-on कर  पाते  हैं  तो  definitely वो  आपके  life को  better बनाएगा . So , let’s see those 5 things:

5 चीजें  जो  आपको  नहीं  करनी  चाहिए  और  क्यों ?

 1) दूसरे  की  बुराई  को  enjoy करना 
ये  तो  हम  बचपन  से  सुनते  आ  रहे  हैं  की  दुसरे  के  सामने  तीसरे  की  बुराई  नहीं  करनी  चाहिए , पर  एक और  बात  जो  मुझे  ज़रूरी  लगती  है  वो  ये  कि  यदि  कोई  किसी  और  की  बुराई  कर  रहा  है  तो  हमें  उसमे  interest नहीं  लेना  चाहिए  और  उसे  enjoy नहीं  करना  चाहिए . अगर  आप  उसमे  interest दिखाते  हैं  तो  आप  भी  कहीं  ना  कहीं  negativity को  अपनी  ओर  attract करते  हैं . बेहतर  तो  यही  होगा  की  आप  ऐसे  लोगों  से  दूर  रहे  पर  यदि  साथ  रहना  मजबूरी  हो  तो  आप  ऐसे  topics पर  deaf and dumb हो  जाएं  , सामने  वाला  खुद  बखुद  शांत  हो  जायेगा . For example यदि  कोई  किसी  का  मज़ाक  उड़ा रहा  हो  और  आप  उस पे  हँसे  ही  नहीं  तो  शायद  वो  अगली  बार  आपके  सामने  ऐसा  ना  करे . इस  बात  को  भी  समझिये  की  generally जो  लोग  आपके  सामने  औरों  का  मज़ाक  उड़ाते  हैं  वो  औरों  के  सामने  आपका  भी  मज़ाक  उड़ाते  होंगे . इसलिए  ऐसे  लोगों  को  discourage करना  ही  ठीक  है .
2) अपने  अन्दर  को  दूसरे  के  बाहर  से  compare करना 
इसे  इंसानी  defect कह  लीजिये  या  कुछ  और  पर  सच  ये  है  की  बहुत  सारे  दुखों  का  कारण  हमारा  अपना  दुःख  ना  हो  के  दूसरे   की  ख़ुशी  होती  है . आप  इससे  ऊपर  उठने  की  कोशिश  करिए , इतना  याद  रखिये  की  किसी  व्यक्ति  की  असलियत  सिर्फ  उसे  ही  पता  होती  है , हम  लोगों  के  बाहरी यानि नकली रूप  को  देखते  हैं  और  उसे  अपने  अन्दर के यानि की असली  रूप  से  compare करते  हैं . इसलिए  हमें लगता  है  की  सामने  वाला  हमसे  ज्यादा  खुश  है , पर  हकीकत  ये  है  की  ऐसे  comparison का  कोई  मतलब  ही  नहीं  होता  है . आपको  सिर्फ  अपने  आप  को  improve करते  जाना  है और व्यर्थ की comparison नहीं करनी है.
3) किसी  काम  के  लिए  दूसरों  पर  depend करना 
मैंने  कई  बार  देखा  है  की  लोग  अपने  ज़रूरी काम  भी  बस  इसलिए  पूरा  नहीं  कर  पाते क्योंकि  वो  किसी  और  पे  depend करते  हैं . किसी  व्यक्ति  विशेष  पर  depend मत  रहिये . आपका  goal; समय  सीमा  के  अन्दर  task का  complete करना  होना चाहिए  , अब  अगर  आपका  best  friend तत्काल  आपकी  मदद  नहीं  कर  पा  रहा  है  तो  आप  किसी  और  की  मदद  ले  सकते  हैं , या  संभव  हो  तो  आप  अकेले  भी  वो  काम  कर  सकते  हैं .
ऐसा  करने  से  आपका  confidence बढेगा , ऐसे  लोग  जो  छोटे  छोटे  कामों  को  करने  में  आत्मनिर्भर  होते  हैं  वही  आगे  चल  कर  बड़े -बड़े  challenges भी  पार  कर  लेते  हैं , तो  इस  चीज  को  अपनी  habit में  लाइए  : ये  ज़रूरी  है की  काम  पूरा  हो  ये  नहीं  की  किसी  व्यक्ति  विशेष  की  मदद  से  ही  पूरा  हो .
4) जो बीत गया  उस  पर  बार  बार  अफ़सोस  करना
अगर  आपके  साथ  past में  कुछ  ऐसा  हुआ  है  जो  आपको  दुखी  करता  है  तो  उसके  बारे  में  एक  बार  अफ़सोस  करिए…दो  बार  करिए….पर  तीसरी  बार  मत  करिए . उस  incident से जो सीख  ले  सकते  हैं  वो  लीजिये  और  आगे  का  देखिये . जो  लोग  अपना  रोना  दूसरों  के  सामने  बार-बार  रोते  हैं  उसके  साथ  लोग  sympathy दिखाने  की  बजाये उससे कटने  लगते  हैं . हर  किसी  की  अपनी  समस्याएं  हैं  और  कोई  भी  ऐसे  लोगों  को  नहीं  पसंद  करता  जो  life को  happy बनाने  की  जगह  sad बनाए . और  अगर  आप  ऐसा  करते  हैं  तो  किसी  और  से  ज्यादा  आप ही  का  नुकसान  होता  है . आप  past में  ही  फंसे  रह  जाते  हैं , और  ना  इस  पल  को  जी  पाते  हैं  और  ना  future के  लिए  खुद  को prepare कर  पाते  हैं .
5) जो  नहीं  चाहते  हैं  उसपर  focus करना 
सम्पूर्ण ब्रह्मांड में हम जिस चीज पर ध्यान केंद्रित करते हैं उस चीज में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होती है.  इसलिए   आप  जो  होते  देखना  चाहते  हैं  उस  पर  focus करिए , उस  बारे  में  बात  करिए  ना  की  ऐसी  चीजें  जो  आप  नहीं  चाहते  हैं . For example: यदि  आप अपनी  income बढ़ाना  चाहते  हैं  तो  बढती  महंगाई  और  खर्चों  पर  हर  वक़्त  मत  बात  कीजिये  बल्कि  नयी  opportunities और  income generating ideas पर  बात  कीजिये .
इन  बातों पर  ध्यान  देने  से  आप  Self Improvement के  रास्ते  पर  और  भी  तेजी  से  बढ़ पायेंगे  और  अपनी  life को  खुशहाल  बना  पायेंगे . All the best. :)

How to get pregnant in Hindi ?

क्या आप जानते हैं भारत में Google पर सबसे ज्यादा search  की जाने वाली  “How to” query  क्या है?
यह जानने के लिए  मैंने थोड़ी research  की तो पता चला कि ” How to get pregnant ? ” or ” How can I get pregnant ?  भारत में खोजे जाने वाली नम्बर वन ” How to”   query  है.  इसका यह मतलब है कि भले भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश हो पर लाखों लोग इस बात कि जानकारी ठीक से नहीं रखते कि आखिर बच्चा  पैदा करने में क्या-क्या सावधानियां रखीं जायें . इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि हमारे समाज में sex  और उससे संबधित बातों के बारे में बोलना-सुनना बुरा माना जाता है. और सही जानकारी ना मिल पाने के कारण लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है.
दुर्भाग्यवश इन्टरनेट पर भी इस विषय पर खोजने पर प्रेगनेंसी पर कुछ अच्छा लेख मिलने की बजाये Hindi sex stories मिलती हैं इसलिए आज मैं  AchhiKhabar.Com  पर ” How to get pregnant ” Hindiमें  share कर रहा हूँ ,ताकि खोजने वालों को एक अच्छी जानकारी  मिल सके.
Friends, यहाँ दी गयी जानकारी मैंने विभिन्न websites से collect  की है जहाँ expert doctors  ने गर्भावास्ता से  related  बातें बतायीं हैं. मेरा मानना है कि यह जानकारी आपके लिए काफी उपयुक्त  है  पर फिर भी आप किसी भी बात पर अमल करने से पहले यदि अपने  doctor  से   concern  कर लें तो बेहतर होगा .

HOW TO GET PREGNANT IN HINDI  ?

गर्भवती कैसे बनें ? 

पहले आपको Pregnancy  से  related  कुछ  facts  बता देता हूँ:

  • जितने भी लोग बच्चा पैदा करना चाहते हैं , उनमे से लगभग  85%  लोग एक साल के अन्दर ऐसा करने में सफल हो जाते हैं. जिसमे से 22 % लोग तो पहले महीने के अन्दर ही सफल हो जाते हैं. यदि एक साल तक प्रयास करने पर भी बच्चा ना हो तो यह समस्य का विषय हो सकता है , और ऐसे  couples  को  infertile  समझा जाता हैं.
  • बच्चा पैदा होने के लिए couples  के बीच सेक्स(सम्भोग /intercourse)  का होना अनिवार्य है. और इसके दौरान पुरुष का penis (लिंग)  इस्त्री के  vagina (योनी)  में जाना चाहिए और  उसे  इस्त्री के vagina  में sperm ( शुक्राणु ) छोड़ने होंगे , जिससे sperm ,uterus(गर्भाशय) के मुख के पास इकठ्ठा हो जायेगा. यह प्रक्रिया सेक्स के दौरान स्वत: ही हो जाती  है , इसलिए इसकी चिंता करने की कोई ज़रुरत नहीं है.
  • इसके आलावा सम्भोग  ovaluation  के समय के आस-पास होना चाहिए. Ovaluation एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमे महिलाओं के Ovary (अंडाशय ) से egg ( अंडे) निकलते हैं.Ovulation menstruation cycle(MC) यानि मासिक धर्म चक्र का पार्ट होता है, जो कि MC  के चौदहवें दिन, जब bleeding start  हो जाती है तब शुरू होता है.
बच्चा पैदा करने के लिए महिलाओं में सेक्स के दौरान orgasm  होना अनिवार्य नहीं है. Doctors  का कहना है कि दरअसल fallopian tube  जो कि अंडे को ovary से  uterus तक ले जाता है , sperm  को अपने अन्दर खींच ले जाता है और उसे egg  से मिलाने की कोशिश करता है. और इसके लिए महिलाओं में orgasm  का आना जरूरी नहीं है.
Female Anatomy

9 Tips to get pregnant in Hindi :
1) Doctor  से जांच कराएं :
बच्चे कि  planning  करने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लेना और अपनी जांच करा लेना चाहिए . इससे यह पता चल जायगा कि आपको किसी तरह कि शारीरिक परेशानी तो नहीं है , या कोई infection वगैरह. इससे sexually transmitted disease होने की सम्भावना ख़तम हो जाएगी. साथ ही अगर डिम्बग्रंथि अल्सर, फाइब्रॉएड, endometriosis, गर्भाशय के अस्तर की सूजन जैसे परेशानियों की भी जांच हो जाएगी.
2) Ovulation के समय के आस-पास  sex  करें
Gynecologists  का मानना है कि बच्चा पैदा करने के लिए  इस्त्री के eggs  ovary  से निकलने के  24  घंटे के अन्दर ही fertilize  होने चाहियें.  आदमी के  sperms  औरत के reproductive tract  (प्रजनन पथ)  में 48 से  72  घंटे तक ही जीवित रह सकते हैं. चूँकि बच्चा पैदा करने के लिए आवश्यक embryo (भ्रूण ) egg  और  sperm  के मिलन से ही बनता है , इसलिए couples  को ovulation  के दौरान कम से कम 72  घंटे में एक  बार ज़रूर sex  करना चाहिए और इस दौरान पुरुष को इस्त्री के ऊपर होना चाहिए ताकि sperms के leakage की सम्भावना कम हो. साथ ही पुरुषों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वो  48  घंटे में   एक बार से ज्यादा ना ejaculate  करें  वरना उनका sperm count  काफी नीचे जा सकता है , जो हो सकता है कि egg  जो fertilize  करने में पर्याप्त ना हो.
 Ovulation का  समय कैसे पता  करें ?
Ovulation  का समय पता करने का अर्थ है उस समय का पता करना जब ovaries  से fertilization  के लिए तैयार  egg  निकले. इसे जानने के लिए आपको अपने period-cycle (मासिक-धर्म) का अंदाजा होना चाहिए. यह 24  से  40 दिन के बीच हो सकता है.  अब यदि आप को अपने next period  के आने का अंदाजा है तो आप उससे 12 से 16  दिन पहले का समय पता कर लीजिये , यही आपका  ovulation का समय होगा .
For Example:   यदि period  की शुरुआत 30  तारीख को होनी है तो  14  से 18  तारिख का समय ovulation  का समय होगा.
बच्चा पैदा करने के लिए उपयुक्त समय का पता करने का एक और तरीका है :
Vagina से निकलने वाले चिपचिपे तरल को अपने ऊँगली पर लीजिये और उसकी elasticity check  कीजिये, जब ये अधिक और देर तक लचीला रहे तो समझ जाइये कि ovulation हुआ है और अब आप बच्चा पैदा करने के लिए सम्भोग कर सकते हैं.
3) एक  healthy lifestyle बनाए रखें.
बच्चा पैदा करने के chances  बढ़ाने के लिए बेहद आवश्यक है कि  पति-पत्नी  एक स्वस्थ्य- जीवनशैली बनाये रखें. इससे   होने वाली संतान भी अच्छी होगी. खाने – पीने में पर्याप्त भोजन और फल की मात्रा रखें . Vitamins  कि सही मात्र से पुरुष-स्त्री दोनों की  fertility rate  बढती है .रोजाना व्यायाम करने से भी फायदा होता है.
सिगरेट पीने वाली महिलाओं में conceive  करने के chances   40 % तक घट जाते हैं
4) Stress-free (तनाव-मुक्त) रहने का प्रयास करें:
इसमें कोई शक नहीं है कि अत्यधिक तनाव आपके reproductive function  में बाधा डालेगा. तनाव से कामेक्षा ख़तम हो सकती है , और extreme conditions  में स्त्रियों में  menstruation  कि प्रक्रिया को रोक सकती है. एक शांत मन आपके शरीर पर अच्छा प्रभाव डालता है और आपके pregnant  होने की सम्भावना को बढ़ता है. इसके लिए आप regularly  breathing- exercises और  relaxation techniques  का प्रयोग कर सकती हैं.
5) Testicles  (अंडकोष)को ज्यादा heat  से बचाएँ :
यदि sperms  ज्यादा तापमान में expose  हो जायें तो वो मृत हो सकते हैं. इसीलिए testicles (जहाँ sperms  का निर्माण होता है)  body  के बहार होते हैं ताकि वो ठंढे रह सकें.  गाड़ी चलते समय ऐसे beaded सीट का प्रयोग करें जिसमे से थोड़ी हवा पास हो सके. और बहुत ज्यादा गरम पानी से इस अंग को ना धोएं .वैसे आम तौर पर इतना अधिक  precaution  लेने की ज़रुरत नहीं है पर जो लोग आग की भट्टी या किसी गरम स्थान पर देर तक काम करते हैं उन्हें सावधान रहने की ज़रुरत है. X-Ray technicians को हमेशा lead coat पहन कर काम करना चाहिए अन्यथा बच्चे में जन्मजात विसंगतियां हो सकती हैं.
6) सेक्स के बाद थोड़ी देर आराम करें:
सेक्स के बाद थोड़ी देर लेटे रहने से महिलाओं कि योनी से sperms  के निकलने के chances नहीं  रहते. इसलिए  सेक्स के बाद 15-20 मिनट लेटे रहना ठीक रहता है.
7)  किसी तरह का नशा ना करे:
ड्रग्स , नशीली दवाओं, सिगरेट या शराब के सेवन आदमी-औरत , दोनों के  hormones  का संतुलन बिगड़ सकता है. और आपकी प्रजनन क्षमता को बुरी तरह  प्रभावित कर सकता है.और बच्चों में भी  जन्मजात विसंगतियां हो सकती हैं.
8)  दवाओं का प्रयोग कम से कम करें :
कई दवाइयां , यहाँ तक कि आराम से मिल जाने वाली आम दवाइयां भी आपकी fertility  पर बुरा प्रभाव डाल सकती हैं.कई चीजें ovulation  को रोक सकती हैं , इसलिए दवाओं का उपयोग कम से कम करें. बेहतर होगा कि आप किसी भी दावा को लेने या छोड़ने से पहले डॉक्टर से सलाह ले लें.खुद अपना इलाज करना घातक हो सकता है, ऐसा risk  ना लें.
9) Lubricants को avoid करें: 
Vagina  को  lubricate  में प्रयोग होने वाले कुछ ज़ेल्स, तरल पदार्थ , इत्यादि sperms  को महिलाओं की reproductive tract  में travel  करने में बाधक हो सकते हैं. इसलिए इनका प्रयोग अपने डाक्टर से पूछ कर ही करें.वैसे किसी artificial lubricant  का प्रयोग करने की आवश्यकता ही नहीं है, क्योंकि orgasm के दौरान शरीर खुद ही पर्याप्त मात्रा में liquid produce करता है जो sperm और  ova  दोनों के लिए healthy होता है.
उम्मीद है आपको इस जानकारी से लाभ मिलेगा.Thanks.

Monday, May 26, 2014

सर्दी लग जाने पर क्या करें ?

सर्दी लग जाने पर क्या करें ?
दोस्तो, इस मौसम में तो लगता है हर कोई ठंड लग जाने से हुई खांसी जुकाम से परेशान है। शीत लहर अपने पूरे यौवन पर है। इस से बचने एवं साधारण उपचार पर चलिए थोड़ा प्रकाश डालते हैं..........
  • · इस मौसम में तो लोग खांसी-जुकाम से परेशान हो जाते हैं।
ठंड के मौसम में वैसे भी हम सब की इम्यूनिटी (रोग से लड़ने की प्राकृतिक क्षमता) कम होती है। ऊपर से इन तकलीफों से संबंधित विषाणु (विशेषकर वायरस) खूब तेज़ी से फलते-फूलते हैं। ज्यादा लोगों को पास पास एक ही जगह पर रहने से अथवा एकत्रित होने से खांसी एवं छींकों के साथ निकलने वाले वायरस (ड्रापलैट इंफैक्शन) एक रोगी से दूसरे स्वस्थ व्यक्तियों को जल्दी ही अपनी चपेट में ले लेते हैं।
  • · अब प्रश्न यही उठता है कि इस से बचें कैसे....क्या कुछ विशेष खाना चाहिए ..
इस से बचे रहने का मूलमंत्र तो यही है कि आप पर्याप्त एवं उपर्युक्त कपड़े पहन कर ठंडी से बचें। ऐसे कोई विशेष खाध्य पदार्थ नहीं हैं जिससे आप इस से बच सकें। आप को तो केवल शरीर की इम्यूनिटि बढ़ाने के लिए सीधा-सादा, संतुलित आहार लेना चाहिए--- इस से तरह तरह की दालों, साग, सब्जियों, मौसमी फलों , आंवले इत्यादि का प्रचुर मात्रा में सेवन आवश्यक है।
  • · लोग अकसर इन तकलीफों में स्वयं ही एंटीबायोटिक दवाईयां लेनी शुरू कर देते हैं.....क्या यह ठीक है ??
सामान्यतयः इन मौसमी छोटी मोटी तकलीफों में ऐंटीबायोटिक दवाईयों का कोई स्थान नहीं है। अगर यह खांसी –जुकाम बिगड़ जाए तो भी चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही दवाईया लें।
  • · इस अवस्था में पहले तो लोग घरेलु नुस्खों से ही काम चला लिया करते थे और वे स्वस्थ भी हो जाया करते थे।
ये घरेलु नुस्खे आज भी उतने ही उपयोगी हैं जितने पहले हुया करते थे। इस में मुलहट्ठी चूसना, चाय में एक चुटकी नमक डाल कर पीना, नींबू और शहद का इस्तेमाल, भाप लेना, नमक वाले गर्म पानी से गरारे करना शामिल हैं। ध्यान रहे कि भाप लेते समय पानी में कुछ भी डालने की आवश्यकता नहीं है।
  • · घरेलु नुस्खों के साथ-साथ और क्या करें ?
हां,हां, यह बहुत जरूरी है कि रोगी को उस के स्वाद एवं उपलब्धता के अनुसार खूब पीने वाले पदार्थ देते रहें, मरीज पर्याप्त आराम भी लें। बुखार एवं बदन टूटने के लिए दर्द निवारक टेबलेट ले लें।
  • · नन्हे-मुन्ने शिशुओं का नाक को अकसर इतना बंद हो जाता है कि वे मां का दूध तक नहीं पी पाते ...
ऐसा होने पर यह करें कि एक गिलास पानी में एक चम्मच नमक डाल कर उबाल लें। फिर उसे ठंडा होने दें। बस हो गई तैयार आप के शिशु के नाक में डालने की दवा। आवश्यकतानुसार इस की 3-4 बूंदें शिशु के नाक में डालते रहें जिस से उस के नाक में जमा हुया रेशा ( dried-up secretions) नरम होकर छींक के साथ बाहर आ जाएगा और शिशु का नाक खुल जाएगा। वैसे तो इस तरह की नाक में डालने की बूंदें (सेलाइन नेज़ल ड्राप्स) आप को कैमिस्ट की दुकान से भी आसानी से मिल सकती हैं।
  • · कईं बार जब जुकाम से पीड़ित मरीज़ अपनी नाक साफ करता है तो खून निकल आता है जिससे वह बंदा बहुत डर जाता है, ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए ...
ज्यादा जुकाम होने की वजह से भी सामान्यतयः नाक को साफ करते समय दो-चार बूंदें रक्त की निकल सकती हैं। लेकिन ऐसी अवस्था में किसी ईएऩटी विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श कर ही लेना चाहिए।
  • · ऐसा कौन सी अवस्थाएं हैं जिन में कान-नाक-गला विशेषज्ञ से संपर्क कर लेना चाहिए...
खांसी जुकाम से पीड़ित मरीज को अगर कान में दर्द है, सांस लेने में कठिनाई हो रही है, गले में इतन दर्द है कि थूक भी नहीं निगला जा रहा, गले अथवा नाक से खून निकलने लगे,आवाज़ बैठ जाए, खांसी की आवाज़ भी अगर बदली सी लगे, खांसी-जुकाम से आप को तंग होते हुए अगर सात दिन से ज्यादा हो जाये अथवा यह तकलीफ़ आप को बार-बार होने लगे------इन सब अवस्थाओं में ईएनटी विशेषज्ञ से तुरंत मिलें।
  • · लोग अकसर थोड़ी बहुत तकलीफ होने पर ही नाक में डालने वाली दवाईयों तथा खांसी की पीने वीली शीशीयां इस्तेमाल करनी शुरू कर देते हैं......
नाक में डालने वाली दवाईयों तथा नाक खोलने के लिए उपयोग किए जाने वाले इंहेलर का भी चिकित्सक की सलाह के बिना पांच दिन से ज्यादा उपयोग न करें। इन को लम्बे समय तक इस्तेमाल करने से और भी ज्यादा जुकाम होने का डर बना रहता है। रही बात खांसी की शीशीयों की, बाज़ार में उपलब्ध ज्यादातर खांसी की इन दवाईयों का इस अवस्था में कोई उपयोग है ही नहीं।
  • · कान में दर्द तो आम तौर पर सभी को कभी कभार हो ही जाता है न......इस में तो कोई खास बात नहीं है न ?
कान में दर्द किसी सामान्य कारण (जैसे मैल वगैरह) से है या कान के भीतरी भागों में इंफैक्शन जैसी किसी सीरियस वजह से है, इस का पता ईएनटी विशेषज्ञ से तुरंत मिल कर लगाना बहुत ज़रूरी है। विशेषकर पांच साल से छोटे बच्चों में तो इस का विशेष ध्यान रखें क्योंकि ऐसी इंफैक्शन कान के परदे में 24 से 48 घंटों के अंदर ही सुराख कर सकती है।

SATURDAY, JANUARY 12, 2008

आप को आखिर कैमिस्ट से बिल मांगते हुए इतनी झिझक क्यों आती है ?


आप भी न्यूज़ मीडिया में अकसर नकली दवाईयों कीखेप पकड़ने की खबरें देखते-सुनते रहते हैं न, लेकिनअभी भी आप यही समझते हैं कि ये दवाईयों आप तकतो पहुंच ही नहीं सकतीं। तो, क्या आप नकली-असलीमें भेद जानने की काबलियत हासिल करना चाहते हैं।अफसोस, दोस्त, मैं आप के जज़बात की कद्र करता हूंलेकिन मुझे दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आपकितनी भी कोशिशों के बावजूद ऐसा कर नहीं पाएंगे।दोस्तो, हमें चिकित्सा के क्षेत्र में इतने साल हो गए –यह काम अभी तक हम से भी नहीं हो सका !! तो फिरआप यही सोच रहे हैं कि आखिर करें तो करें क्या ---खाते रहे ऐसी वैसी दवाईया ? आखिर क्या करे आमबंदा ?-----दोस्तो, इस विषम समस्या से जूझने काकेवल एक ही तरीका जो मैं समझ पाया हूं वह यह है किआप कैमिस्ट से चाहे दस रूपये की भी दवाई लें,आपउस से बिल मांगने में कभी भी झिझक महसूस न करें,प्लीज़। आप यह समझ कर चलें कि जब आप बिल कीमांग करेंगे तो आप को दवाई भी असली ही मिलेगी----नकली दवाई तो मिलने का फिर सवाल ही नहींउठता,क्योंकि कैमिस्ट को उस बिल में दवाई के बारे मेंपूरा ब्यौरा देना पड़ता है। अगर हम इतनी सी सावधानीबरत लेंगे तो हमें पास की किसी बस्ती में बनी दवाईयोंखरीदने से भी निजात मिल जाएगी।

एक बात और जिस का विशेष ध्यान रखें वह यह है किबसों वगैरह में जो सेल्स-मैन दर्द-निवारक दवाईयों केपत्ते बेचने आते हैं न, उन से कभी भी ये दवाईयां नखरीदें। चाहे ये सेल्समैन किसी IIM institute से नहींनिकले होते, फिर भी इन बंदों की salesmanship की दाददिए मैं नहीं रह सकता----ठीक वही बात, दोस्तो, कि वेतो बिना बालों वाले को भी कंघी बेच डालें ! फिर भीमुझे,दोस्तो, ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा कि येबलाग्स लिखने-पढ़ने वाले उन की बातों में आ सकतेहैं। लेकिन फिर भी मैं यह सब लिख रहा हूं ताकि आपके माध्यम से यह जानकारी आम इंसान तक पहुंचसके।

दोस्तो, एक विचार जो मुझे कुछ दिनों से परेशान कररहा है ,वह यह है कि कहीं आप को मेरी posts पढ़ करयह तो नहीं लगता न कि ये सब छोटी छोटी बातें जो मैंअकसर उठाता रहता हूं, यह तो सब को पहले ही से पताहैं..........दोस्तो, मेरा तो बस इतना सा तुच्छ प्रयास हैकि ठीक है पता हैं तो अब इन को प्रैक्टीकल शेप दीजिए----और अपने आसपास भी इन छोटी छोटी दिखनेवाली बातों के प्रति जनचेतना पैदा करें। बस, दोस्तो मेरेपास यही छोटी छोटी बातें ही हैं-----जिस बंदे ने बसअपनी सारी ज़िंदगी इन छोटी-छोटी बातों के प्रचार-प्रसार के नाम लिख दी है, उस से और उम्मीद भी क्याकी जा सकती है ??।

दोस्तो, आप से एक रिक्वेस्ट है कि कृपया मुझे अपनीमेल कर के अथवा अपनी टिप्पणी/ feedback में यह भीलिखें कि इस बलाग के माध्यम से किन मुद्दों को छूयाजाए। वैसे तो मैं यह स्पष्ट कर ही दूं कि मैं कोई ऐसातीसमार खां भी नहीं हूं---बस जो दो बातें पता हैं उन्हेंआप सब से शेयर कर के अच्छा लगता है, बस और कुछनहीं। बाकी सब बातें तो मैंने आप सब से सीखनीहैं