कुंडली में ऐसे योग हैं तो व्यक्ति हो सकता है गरीब...
धर्म डेस्क. उज्जैन |
कुंडली में ऐसे योग हैं तो व्यक्ति हो सकता है गरीब...
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि एक ही भाव में स्थित हो तो अधिकांशत: इसके बुरे प्रभाव ही झेलने पड़ते हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि लग्न में स्थित है तो वह व्यक्ति दुराचारी, बुरी आदतों वाला, मंदबुद्धि और पापी प्रवृत्ति का होता है।
- यदि शनि और सूर्य चतुर्थ भाव में है तो व्यक्ति नीच, दरिद्र और भाइयों तथा समाज में अपमानित होने वाला होता है।
- यदि सूर्य और शनि सप्तम भाव में स्थित है तो व्यक्ति आलसी, भाग्यहीन, स्त्री और धन से रहित, शिकार खेलने वाला और महामूर्ख होता है।
- यदि दशम भाव में यह दोनों ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति विदेश में नौकरी करने वाला होता है। यदि इन्हें अपार धन की प्राप्ति भी हो जाए तो वह चोरी हो जाता है।
इन बुरे प्रभावों से बचने के उपाय
- प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य हो जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।
- प्रति मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
- शनि और सूर्य से संबंधित वस्तुएं दान करें तथा ऐसी वस्तुएं कभी दान या उपहार में स्वीकार न करें।
- गरीबों को मदद करें।
- महिलाओं का सम्मान करें और पूर्णत: धार्मिक आचरण रखें।
- प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।
- शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाकर विधि विधान से पूजा करें।
- हनुमान चालिसा का पाठ प्रतिदिन करें।
ऐसे लोग जरुर हो जाते हैं मालामाल, जिनकी कुंडली में हों ऐसे योग...
धर्म डेस्क. उज्जैन | ..
धन... पैसा... यह ऐसे शब्द हैं जिनके पीछे दुनिया भाग रही है। अमीर और अमीर बनना चाहते हैं जबकि गरीब थोड़ा पैसा कमाने के लिए भी दिनरात मेहनत करते हैं फिर भी भाग्य उनका साथ नहीं देता। कोई व्यक्ति गरीब क्यों होता है और किसी अमीर के पास कितना पैसा होगा? यह ज्योतिष शास्त्र से जाना जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली का दूसरा भाव धन या पैसों से संबंधित होता है। इसी द्वितीय भाव से व्यक्ति को धन, आकर्षण, खजाना, सोना, मोती, चांदी, हीरे, जवाहारात आदि मिलते हैं। साथ ही इसी से व्यक्ति को स्थायी संपत्ति जैसे घर, भवन-भूमि का कारक भी प्राप्त होता है।
- किसी की कुंडली में द्वितीय भाव पर शुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो उस व्यक्ति के अमीर बनने में कोई रूकावट नहीं होती है।
- यदि कुंडली में द्वितीय भाव में बुध हो तथा उस पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो जातक धनहीन होता है, वह जीवनभर मेहनत करता रहता है परंतु उसे ज्यादा धन की प्राप्ति नहीं होती है। वह गरीब ही रहता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में द्वितीय भाव पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो वह धनहीन होता है।
यदि कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा हो तो अपार धन प्राप्ति का योग बनता है परंतु यदि उस पर नीच के बुध की दृष्टि पड़ जाए तो घर में भरा हुआ धन भी नष्ट हो जाता है।
- चंद्रमा यदि अकेला हो तथा कोई भी ग्रह उससे द्वितीय या द्वादश न हो तो व्यक्ति गरीब ही रहता है।
- यदि कुंडली में सूर्य, बुध द्वितीय भाव में स्थित हो तो धन स्थिर नहीं होता।
अधिक धन प्राप्ति के लिए यह उपाय करें:
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, बिल्वपत्र और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
- महालक्ष्मी और श्री विष्णु की पूजा करें।
- सोमवार का व्रत करें।
- सोमवार को अनामिका उंगली में सोने, चांदी और तांबे से बनी अंगुठी पहनें।
- शाम को शिवजी के मंदिर में दीपक लगाएं।
- पूर्णिमा को चंद्र का पूजन करें।
- श्रीसूक्त का पाठ करें।
- श्री लक्ष्मीसूक्त का पाठ करें।
- कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
- किसी की बुराई करने से बचें।
- पूर्णत: धार्मिक आचरण बनाएं रखें।
- घर में साफ-सफाई बनाएं रखें इससे धन स्थाई रूप से आपके घर में रहेगा।
क्या आपकी कुण्डली में हैं ऐसे धनयोग
इस संसार में अपवादों को छोड़कर हर व्यक्ति धनवान होना चाहता है। धन व्यक्ति को सुख, आनंद, सुविधा और सामाजिक सुरक्षा देता है। आज दुनिया में धनवान लोगों की संख्या इतनी कम है कि उनकी सूची बनाई जा सकती है। इसकी तुलना में गरीब लोगों की संख्या अधिक है। कुछ लोगों की आय इतनी है कि वह समाज में सम्मान और आदर्श जिंदगी जीते हैं। लेकिन तीनों ही वर्ग को देखें तो पाएंगे कि सभी में समान रू प से धन पाने की चाह होती है।
धन और आय के आधार पर लोगों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जा सकता है - अत्यधिक धनी, उच्च मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग, गरीब और बहुत गरीब। यह अंतर देखकर यह विचार आना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसा क्यों है। जबकि सभी मानव समान है।
ऐसा भी नहीं है कि कोई व्यक्ति धन कमाने की पूरी कोशिश नहीं करता। जहां तक धन कमाने की बात है, हर व्यक्ति इच्छानुसार काम करने को स्वतंत्र होता है। यही कारण है कि कोई व्यक्ति ईमानदारी से धन प्राप्त करना चाहता है और कोई व्यक्ति धन के लिए अपराध का रास्ता चुन लेता है। धन कमाने के तरीकों के चुनाव के पीछे व्यक्ति के मानसिक विचारों का अंतर है। इसी अंतर को ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से जाना जा सकता है। व्यक्ति की जन्म कुण्डली में बनने वाले ग्रह योग से उसके अतीत और भविष्य में धनवान या धनहीन होने के कारणों को पहचाना जा सकता है।
धनयोग देखने के लिए जन्म कुण्डली का दूसरा, छठा और दसवां भाव महत्वपूर्ण होता है। इनके साथ ही ७ और ११ वां भाव के ग्रह योग भी देखे जाते हैं। जन्म कुंडली में दूसरा भाव खुद के द्वारा कमाए धन, छठा भाव ऋण से प्राप्त धन, और दसवां भाव नौकरी या रोजगार से कमाए धन का निर्धारक होता है।
धन के कारक ग्रह सूर्य और गुरु होते हैं। इसलिए सीधा सा नियम है कि जन्म कुण्डली में जब सूर्य और गुरु उच्च के हो और अच्छे भाव में बैठे हो तो वह व्यक्ति को धनवान बनाते हैं।
इसी प्रकार सूर्य और गुरु की उपस्थिति के आधार पर यदि दूसरे भाव के ग्रहयोग की स्थिति मजबूत होती है, तब पैतृक संपत्ति या निवेश द्वारा धन प्राप्त होता है।
जब छठा भाव दूसरे और दसवें भाव की तुलना में मजबूत होता है, तब ब्याज द्वारा धन की प्राप्ति होती है।
अगर दसवां भाव दूसरे और छठा से मजबूत होता है, तब व्यक्ति का अनेक स्त्रोतों से धन प्राप्ति होती है।
जब बारहवां भाव मजबूत स्थिति में हो तो व्यक्ति उधार लिया धन चुका नहीं पाता और ऋणी हो जाता है।
धन योग के लिए एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि सूर्य का शत्रुग्रह शनि दूसरे भाव में न बैठा हो और न उसकी दृष्टि हो। इसके साथ ही लग्र से दूसरे भाव और चंद्र के साथ उसका योग न बनता हो।
कुंडली से मिलते हैं भाग्यशाली होने के संकेत
कुंडली से मिलते हैं भाग्यशाली होने के आर. एस. द्विवेदी प्रत्येक व्यक्ति अपना-अपना भाग्य लेकर जन्म लेता है। एक ही परिवार में जन्मे बच्¬चों की किस्मत भी अलग होती है। ऐसा जन्म के समय की ग्रह स्थितियों में भिन्नता के कारण होता है। जन्मकुंडली में कौन सी स्थितियां व्यक्ति को धनवान व भाग्यशाली बनाती हैं, जानने के लिए पढ़िए यह आलेख... स संसार में कुछ लोग अपने जीवन में जल्दी तरक्की कर जाते हैं जबकि कुछ लोगों को इसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। कई बार इतना संघर्ष करने के बावजूद सफलता नहीं मिल पाती है। कुछ बहुत ही अमीर घर में पैदा होते हैं और कुछ लोग बहुत ही गरीब घर में। कुछ अमीर घर में पैदा होकर धीरे-धीरे गरीब हो जाते हैं और कुछ लोग गरीब घर में पैदा होकर धीरे-धीरे अमीर हो जाते हैं। कुछ लोग बहुत अच्छा पढ़ लिखकर बेरोजगार रहते हैं और कुछ लोग थोड़ा पढ़े लिखे होने पर भी अच्छे काम काज में लग जाते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि बच्चे के जन्म के बाद घर में बहुत तरक्की हुई और सब कुछ अच्छा हो गया जबकि कुछ लोग कहते हैं कि जब से बच्चा पैदा हुआ मां बाप बीमार रहते हैं और घर में परेशानी आ गई है। कुछ लोग कहते हैं कि शादी के बाद पत्नी के आने से तरक्की और उन्नति होती गई जबकि कुछ लोग कहते हैं कि शादी के बाद दिन प्रतिदिन काम खराब हो रहा है। इस संसार में अधि¬कतर लोग चढ़ते हुए सूर्य को नमस्¬कार करते हैं। अगर आप अच्छे पद पर हंै या आपको सब प्रकार की सुख सुविधा है तो आपके अनेक मित्र होंगे, अगर कुछ नहीं तो आपको कोई पूछने वाला नहीं होगा। ज्योतिष में नवम स्थान को भाग्य एवं धर्म स्थान माना जाता है। जन्मपत्री देखते समय सभी विषयों पर विस्तार पूर्वक विचार करना चाहिए। सबसे पहले लग्न को देखें, वह एक अंश से कम और 29 अंश से अधिक नहीं होना चाहिए। अगर लग्न कमजोर हो या संधि में हो तो कुंडली कमजोर होती है। लग्नेश के अस्त होने पर कुंडली में बहुत ही खराबी आ जाती है। ऐसे में ग्रह कितने भी अच्छे हों, कुछ न कुछ परेशानी बनी रहेगी। लग्नेश वक्री हो और अपने स्थान से छठे, आठवें या बारहवें, चला गया हो तो कंुंडली कमजोर होगी। ज्योतिष में गुरु, शुक्र, बुध और पक्षबली चंद्रमा को शुभ माना गया है। अगर ये ग्रह केंद्र या त्रिकोण में हों, तो कुंडली में अरिष्ट भंग करते हैं अर्थात अच्छा योग बनाते हैं। जन्मकुंडली में त्रिकोण स्थान 1, 5, 9 और केंद्र स्थान 1, 4, 7, 10 को अच्छा माना गया है लग्न। (प्रथम स्थान) को केंद्र और त्रिकोण दोनों माना गया है। जन्मकुंडली में आमदनी और धन के लिए दूसरा और ग्यारहवां स्थान दोनों अच्छे हंै, लेकिन तंदुरस्ती के लिए नहीं क्योंकि दूसरा स्थान मारक है और ग्यारहवां छठे से छठा है। जन्मकुंडली में 6, 8, 12 स्थानों को खराब माना जाता है। इसलिए अगर लग्नेश, भाग्येश, नवमेश, लाभेश और धनेश केंद्र या त्रिकोण में हों, तो कुंडली में अच्छा योग बन जाता है। अगर कोई अच्छा ग्रह नवम में हो, तो अच्छा फल देता है। चंद्रमा पक्ष बली हो और उस पर किसी पापी ग्रह का प्रभाव नहीं हो, तो जन्मपत्री में बहुत ही शक्ति आ जाती है। कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बहुत अच्छी होने से आधी कुंडली स्वतः ही शुभ है और खराब होने से अशुभ होती है। जन्मकुंडली देखते समय लग्न, चंद्र लग्न और सूर्य लग्न तीनों का विचार करना चाहिए। लग्न शरीर है, चंद्रमा मन और दिमाग है और सूर्य का संबंध आत्मा से है अर्थात सूर्य आत्मा है। अगर तीनों की स्थिति अच्छी हो, तो जातक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल या मुख्यमंत्री अथवा आइ. ए. एस या आइ. पी. एस. अधिकारी हो सकता है। और सुख सुविधा की हर चीज प्राप्त हो सकती है। जन्मपत्री में लग्न, चंद्र लग्न और सूर्य लग्न के अनुरूप संपूर्ण कंुडली अपना फल करती है, इन तीनों को कुंडली में केंद्र बिंदु माना जाता है। इसलिए अगर सूर्य लग्न के दोनों तरफ शुभ ग्रह आ जाते हैं या सूर्य से छठे और आठवें घरों में शुभ ग्रह स्थित होते हैं, तो सूर्य लग्न के दोनों तरफ शुभ मध्यत्व पड़ने के कारण सूर्य लग्न बलवान होता है। यही स्थिति यदि लग्न और चंद्र के दोनों तरफ हो, तो वे भी बली होते हैं। लेकिन चंद्रमा को देखते समय उसके पक्ष बल पर ध्यान देना जरूरी है। अगर चंद्रमा पक्ष में दुर्बल हो, तो उसकी शक्ति बहुत कम हो जाती है। इसलिए चंद्र लग्न के दोनों तरफ सूर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि जब सूर्य चंद्रमा के नजदीक आ जाता है तब चंद्रमा पक्ष में दुर्बल हो जाता है। सूर्य की शनि, राहु और केतु के साथ युति होने पर या इनकी दृष्टि में होने पर सूर्य अशुभ हो जाता है और बड़ी सीमा तक अपना अच्छा फल नहीं दे पाता। उसी तरह चंद्रमा शनि, राहु और केतु के साथ या इनकी दृष्टि में होने पर बहुत ही कमजोर हो जाता है और धन का नुकसान करता है। लग्नेश जब पापी ग्रहों की युति या दृष्टि में आ जाता है, तो जातक बहुत ही कम पैसे कमा पाता है। उपाय: लग्नेश और भाग्येश का रत्न धारण करने से हर प्रकार की परेशानी से छुटकारा मिलता है और परिणाम 35 प्रतिशत अच्छा मिलता है।
ऐसे लोग जीवनभर कमाते हैं पैसा
धन... पैसा... मनी... यह ऐसे शब्द हैं जिनके आगे पीछे दुनिया भाग रही है। अमीर और अमीर बनना चाहते हैं जबकि गरीब थोड़ा पैसा कमाने के लिए ही दिनरात मेहनत करते हैं फिर भी भाग्य साथ नहीं देता। कोई गरीब क्यों होता है और किसी अमीर के पास कितना पैसा होगा? यह ज्योतिष शास्त्र से जाना जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म पत्रिका का दूसरा भाव धन या पैसों से संबंधित होता है। इसी दूसरे भाव से व्यक्ति को धन, आकर्षण, खजाना, सोना, मोती, चांदी, हीरे, जवाहारात आदि मिलते हैं। साथ ही इसी से व्यक्ति को स्थायी संपत्ति जैसे घर, भवन-भूमि का कारक भी प्राप्त होता है।
- किसी की कुंडली में द्वितीय भाव पर शुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो उस व्यक्ति के अमीर बनने में कोई रूकावट नहीं होती है।
- यदि कुंडली में द्वितीय भाव में बुध हो तथा उस पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो जातक धनहीन होता है वह जीवनभर मेहनत करते रहता हैं परंतु उसे ज्यादा धन की प्राप्ति नहीं होती है। वह गरीब ही रहता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में द्वितीय भाव पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो वह धनहीन होता है।
- यदि कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा हो तो अपार धन प्राप्ति का योग बनता है परंतु यदि उस पर नीच के बुध की दृष्टि पड़ जाए तो घर में भरा हुआ धन भी नष्ट हो जाता है।
- चंद्रमा यदि अकेला हो तथा कोई भी ग्रह उससे द्वितीय या द्वादश न हो तो व्यक्ति गरीब ही रहता है।
- यदि कुंडली में सूर्य, बुध द्वितीय भाव में स्थित हो तो धन स्थिर नहीं होता।
अधिक धन प्राप्ति के लिए यह उपाय करें:
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, बिलपत्र और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
- महालक्ष्मी और श्री विष्णु की पूजा करें।
- सोमवार का व्रत करें।
- सोमवार को अनामिका उंगली में सोने, चांदी और तांबे से बनी अंगुठी पहनें।
- शाम को शिवजी के मंदिर में दीपक लगाएं।
- पूर्णिमा को चंद्र का पूजन करें।
- श्रीसूक्त का पाठ करें।
- श्री लक्ष्मीसूक्त का पाठ करें।
- कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
- किसी की बुराई करने से बचें।
- पूर्णत: धार्मिक आचरण बनाएं रखें।
- घर में साफ-सफाई बनाएं रखें इससे धन स्थाई रूप से आपके घर में रहेगा
धर्म डेस्क. उज्जैन |
कुंडली में ऐसे योग हैं तो व्यक्ति हो सकता है गरीब...
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि एक ही भाव में स्थित हो तो अधिकांशत: इसके बुरे प्रभाव ही झेलने पड़ते हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य और शनि लग्न में स्थित है तो वह व्यक्ति दुराचारी, बुरी आदतों वाला, मंदबुद्धि और पापी प्रवृत्ति का होता है।
- यदि शनि और सूर्य चतुर्थ भाव में है तो व्यक्ति नीच, दरिद्र और भाइयों तथा समाज में अपमानित होने वाला होता है।
- यदि सूर्य और शनि सप्तम भाव में स्थित है तो व्यक्ति आलसी, भाग्यहीन, स्त्री और धन से रहित, शिकार खेलने वाला और महामूर्ख होता है।
- यदि दशम भाव में यह दोनों ग्रह स्थित हो तो व्यक्ति विदेश में नौकरी करने वाला होता है। यदि इन्हें अपार धन की प्राप्ति भी हो जाए तो वह चोरी हो जाता है।
इन बुरे प्रभावों से बचने के उपाय
- प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में सूर्य हो जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।
- प्रति मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
- शनि और सूर्य से संबंधित वस्तुएं दान करें तथा ऐसी वस्तुएं कभी दान या उपहार में स्वीकार न करें।
- गरीबों को मदद करें।
- महिलाओं का सम्मान करें और पूर्णत: धार्मिक आचरण रखें।
- प्रतिदिन पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।
- शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाकर विधि विधान से पूजा करें।
- हनुमान चालिसा का पाठ प्रतिदिन करें।
ऐसे लोग जरुर हो जाते हैं मालामाल, जिनकी कुंडली में हों ऐसे योग...
धर्म डेस्क. उज्जैन | ..
धन... पैसा... यह ऐसे शब्द हैं जिनके पीछे दुनिया भाग रही है। अमीर और अमीर बनना चाहते हैं जबकि गरीब थोड़ा पैसा कमाने के लिए भी दिनरात मेहनत करते हैं फिर भी भाग्य उनका साथ नहीं देता। कोई व्यक्ति गरीब क्यों होता है और किसी अमीर के पास कितना पैसा होगा? यह ज्योतिष शास्त्र से जाना जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली का दूसरा भाव धन या पैसों से संबंधित होता है। इसी द्वितीय भाव से व्यक्ति को धन, आकर्षण, खजाना, सोना, मोती, चांदी, हीरे, जवाहारात आदि मिलते हैं। साथ ही इसी से व्यक्ति को स्थायी संपत्ति जैसे घर, भवन-भूमि का कारक भी प्राप्त होता है।
- किसी की कुंडली में द्वितीय भाव पर शुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो उस व्यक्ति के अमीर बनने में कोई रूकावट नहीं होती है।
- यदि कुंडली में द्वितीय भाव में बुध हो तथा उस पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो जातक धनहीन होता है, वह जीवनभर मेहनत करता रहता है परंतु उसे ज्यादा धन की प्राप्ति नहीं होती है। वह गरीब ही रहता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में द्वितीय भाव पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो वह धनहीन होता है।
यदि कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा हो तो अपार धन प्राप्ति का योग बनता है परंतु यदि उस पर नीच के बुध की दृष्टि पड़ जाए तो घर में भरा हुआ धन भी नष्ट हो जाता है।
- चंद्रमा यदि अकेला हो तथा कोई भी ग्रह उससे द्वितीय या द्वादश न हो तो व्यक्ति गरीब ही रहता है।
- यदि कुंडली में सूर्य, बुध द्वितीय भाव में स्थित हो तो धन स्थिर नहीं होता।
अधिक धन प्राप्ति के लिए यह उपाय करें:
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, बिल्वपत्र और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
- महालक्ष्मी और श्री विष्णु की पूजा करें।
- सोमवार का व्रत करें।
- सोमवार को अनामिका उंगली में सोने, चांदी और तांबे से बनी अंगुठी पहनें।
- शाम को शिवजी के मंदिर में दीपक लगाएं।
- पूर्णिमा को चंद्र का पूजन करें।
- श्रीसूक्त का पाठ करें।
- श्री लक्ष्मीसूक्त का पाठ करें।
- कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
- किसी की बुराई करने से बचें।
- पूर्णत: धार्मिक आचरण बनाएं रखें।
- घर में साफ-सफाई बनाएं रखें इससे धन स्थाई रूप से आपके घर में रहेगा।
क्या आपकी कुण्डली में हैं ऐसे धनयोग
इस संसार में अपवादों को छोड़कर हर व्यक्ति धनवान होना चाहता है। धन व्यक्ति को सुख, आनंद, सुविधा और सामाजिक सुरक्षा देता है। आज दुनिया में धनवान लोगों की संख्या इतनी कम है कि उनकी सूची बनाई जा सकती है। इसकी तुलना में गरीब लोगों की संख्या अधिक है। कुछ लोगों की आय इतनी है कि वह समाज में सम्मान और आदर्श जिंदगी जीते हैं। लेकिन तीनों ही वर्ग को देखें तो पाएंगे कि सभी में समान रू प से धन पाने की चाह होती है।
धन और आय के आधार पर लोगों को अलग-अलग श्रेणियों में बांटा जा सकता है - अत्यधिक धनी, उच्च मध्यम वर्ग, मध्यम वर्ग, गरीब और बहुत गरीब। यह अंतर देखकर यह विचार आना स्वाभाविक है कि आखिर ऐसा क्यों है। जबकि सभी मानव समान है।
ऐसा भी नहीं है कि कोई व्यक्ति धन कमाने की पूरी कोशिश नहीं करता। जहां तक धन कमाने की बात है, हर व्यक्ति इच्छानुसार काम करने को स्वतंत्र होता है। यही कारण है कि कोई व्यक्ति ईमानदारी से धन प्राप्त करना चाहता है और कोई व्यक्ति धन के लिए अपराध का रास्ता चुन लेता है। धन कमाने के तरीकों के चुनाव के पीछे व्यक्ति के मानसिक विचारों का अंतर है। इसी अंतर को ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से जाना जा सकता है। व्यक्ति की जन्म कुण्डली में बनने वाले ग्रह योग से उसके अतीत और भविष्य में धनवान या धनहीन होने के कारणों को पहचाना जा सकता है।
धनयोग देखने के लिए जन्म कुण्डली का दूसरा, छठा और दसवां भाव महत्वपूर्ण होता है। इनके साथ ही ७ और ११ वां भाव के ग्रह योग भी देखे जाते हैं। जन्म कुंडली में दूसरा भाव खुद के द्वारा कमाए धन, छठा भाव ऋण से प्राप्त धन, और दसवां भाव नौकरी या रोजगार से कमाए धन का निर्धारक होता है।
धन के कारक ग्रह सूर्य और गुरु होते हैं। इसलिए सीधा सा नियम है कि जन्म कुण्डली में जब सूर्य और गुरु उच्च के हो और अच्छे भाव में बैठे हो तो वह व्यक्ति को धनवान बनाते हैं।
इसी प्रकार सूर्य और गुरु की उपस्थिति के आधार पर यदि दूसरे भाव के ग्रहयोग की स्थिति मजबूत होती है, तब पैतृक संपत्ति या निवेश द्वारा धन प्राप्त होता है।
जब छठा भाव दूसरे और दसवें भाव की तुलना में मजबूत होता है, तब ब्याज द्वारा धन की प्राप्ति होती है।
अगर दसवां भाव दूसरे और छठा से मजबूत होता है, तब व्यक्ति का अनेक स्त्रोतों से धन प्राप्ति होती है।
जब बारहवां भाव मजबूत स्थिति में हो तो व्यक्ति उधार लिया धन चुका नहीं पाता और ऋणी हो जाता है।
धन योग के लिए एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि सूर्य का शत्रुग्रह शनि दूसरे भाव में न बैठा हो और न उसकी दृष्टि हो। इसके साथ ही लग्र से दूसरे भाव और चंद्र के साथ उसका योग न बनता हो।
कुंडली से मिलते हैं भाग्यशाली होने के संकेत
कुंडली से मिलते हैं भाग्यशाली होने के आर. एस. द्विवेदी प्रत्येक व्यक्ति अपना-अपना भाग्य लेकर जन्म लेता है। एक ही परिवार में जन्मे बच्¬चों की किस्मत भी अलग होती है। ऐसा जन्म के समय की ग्रह स्थितियों में भिन्नता के कारण होता है। जन्मकुंडली में कौन सी स्थितियां व्यक्ति को धनवान व भाग्यशाली बनाती हैं, जानने के लिए पढ़िए यह आलेख... स संसार में कुछ लोग अपने जीवन में जल्दी तरक्की कर जाते हैं जबकि कुछ लोगों को इसके लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है। कई बार इतना संघर्ष करने के बावजूद सफलता नहीं मिल पाती है। कुछ बहुत ही अमीर घर में पैदा होते हैं और कुछ लोग बहुत ही गरीब घर में। कुछ अमीर घर में पैदा होकर धीरे-धीरे गरीब हो जाते हैं और कुछ लोग गरीब घर में पैदा होकर धीरे-धीरे अमीर हो जाते हैं। कुछ लोग बहुत अच्छा पढ़ लिखकर बेरोजगार रहते हैं और कुछ लोग थोड़ा पढ़े लिखे होने पर भी अच्छे काम काज में लग जाते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि बच्चे के जन्म के बाद घर में बहुत तरक्की हुई और सब कुछ अच्छा हो गया जबकि कुछ लोग कहते हैं कि जब से बच्चा पैदा हुआ मां बाप बीमार रहते हैं और घर में परेशानी आ गई है। कुछ लोग कहते हैं कि शादी के बाद पत्नी के आने से तरक्की और उन्नति होती गई जबकि कुछ लोग कहते हैं कि शादी के बाद दिन प्रतिदिन काम खराब हो रहा है। इस संसार में अधि¬कतर लोग चढ़ते हुए सूर्य को नमस्¬कार करते हैं। अगर आप अच्छे पद पर हंै या आपको सब प्रकार की सुख सुविधा है तो आपके अनेक मित्र होंगे, अगर कुछ नहीं तो आपको कोई पूछने वाला नहीं होगा। ज्योतिष में नवम स्थान को भाग्य एवं धर्म स्थान माना जाता है। जन्मपत्री देखते समय सभी विषयों पर विस्तार पूर्वक विचार करना चाहिए। सबसे पहले लग्न को देखें, वह एक अंश से कम और 29 अंश से अधिक नहीं होना चाहिए। अगर लग्न कमजोर हो या संधि में हो तो कुंडली कमजोर होती है। लग्नेश के अस्त होने पर कुंडली में बहुत ही खराबी आ जाती है। ऐसे में ग्रह कितने भी अच्छे हों, कुछ न कुछ परेशानी बनी रहेगी। लग्नेश वक्री हो और अपने स्थान से छठे, आठवें या बारहवें, चला गया हो तो कंुंडली कमजोर होगी। ज्योतिष में गुरु, शुक्र, बुध और पक्षबली चंद्रमा को शुभ माना गया है। अगर ये ग्रह केंद्र या त्रिकोण में हों, तो कुंडली में अरिष्ट भंग करते हैं अर्थात अच्छा योग बनाते हैं। जन्मकुंडली में त्रिकोण स्थान 1, 5, 9 और केंद्र स्थान 1, 4, 7, 10 को अच्छा माना गया है लग्न। (प्रथम स्थान) को केंद्र और त्रिकोण दोनों माना गया है। जन्मकुंडली में आमदनी और धन के लिए दूसरा और ग्यारहवां स्थान दोनों अच्छे हंै, लेकिन तंदुरस्ती के लिए नहीं क्योंकि दूसरा स्थान मारक है और ग्यारहवां छठे से छठा है। जन्मकुंडली में 6, 8, 12 स्थानों को खराब माना जाता है। इसलिए अगर लग्नेश, भाग्येश, नवमेश, लाभेश और धनेश केंद्र या त्रिकोण में हों, तो कुंडली में अच्छा योग बन जाता है। अगर कोई अच्छा ग्रह नवम में हो, तो अच्छा फल देता है। चंद्रमा पक्ष बली हो और उस पर किसी पापी ग्रह का प्रभाव नहीं हो, तो जन्मपत्री में बहुत ही शक्ति आ जाती है। कुंडली में चंद्रमा की स्थिति बहुत अच्छी होने से आधी कुंडली स्वतः ही शुभ है और खराब होने से अशुभ होती है। जन्मकुंडली देखते समय लग्न, चंद्र लग्न और सूर्य लग्न तीनों का विचार करना चाहिए। लग्न शरीर है, चंद्रमा मन और दिमाग है और सूर्य का संबंध आत्मा से है अर्थात सूर्य आत्मा है। अगर तीनों की स्थिति अच्छी हो, तो जातक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल या मुख्यमंत्री अथवा आइ. ए. एस या आइ. पी. एस. अधिकारी हो सकता है। और सुख सुविधा की हर चीज प्राप्त हो सकती है। जन्मपत्री में लग्न, चंद्र लग्न और सूर्य लग्न के अनुरूप संपूर्ण कंुडली अपना फल करती है, इन तीनों को कुंडली में केंद्र बिंदु माना जाता है। इसलिए अगर सूर्य लग्न के दोनों तरफ शुभ ग्रह आ जाते हैं या सूर्य से छठे और आठवें घरों में शुभ ग्रह स्थित होते हैं, तो सूर्य लग्न के दोनों तरफ शुभ मध्यत्व पड़ने के कारण सूर्य लग्न बलवान होता है। यही स्थिति यदि लग्न और चंद्र के दोनों तरफ हो, तो वे भी बली होते हैं। लेकिन चंद्रमा को देखते समय उसके पक्ष बल पर ध्यान देना जरूरी है। अगर चंद्रमा पक्ष में दुर्बल हो, तो उसकी शक्ति बहुत कम हो जाती है। इसलिए चंद्र लग्न के दोनों तरफ सूर्य नहीं होना चाहिए क्योंकि जब सूर्य चंद्रमा के नजदीक आ जाता है तब चंद्रमा पक्ष में दुर्बल हो जाता है। सूर्य की शनि, राहु और केतु के साथ युति होने पर या इनकी दृष्टि में होने पर सूर्य अशुभ हो जाता है और बड़ी सीमा तक अपना अच्छा फल नहीं दे पाता। उसी तरह चंद्रमा शनि, राहु और केतु के साथ या इनकी दृष्टि में होने पर बहुत ही कमजोर हो जाता है और धन का नुकसान करता है। लग्नेश जब पापी ग्रहों की युति या दृष्टि में आ जाता है, तो जातक बहुत ही कम पैसे कमा पाता है। उपाय: लग्नेश और भाग्येश का रत्न धारण करने से हर प्रकार की परेशानी से छुटकारा मिलता है और परिणाम 35 प्रतिशत अच्छा मिलता है।
ऐसे लोग जीवनभर कमाते हैं पैसा
धन... पैसा... मनी... यह ऐसे शब्द हैं जिनके आगे पीछे दुनिया भाग रही है। अमीर और अमीर बनना चाहते हैं जबकि गरीब थोड़ा पैसा कमाने के लिए ही दिनरात मेहनत करते हैं फिर भी भाग्य साथ नहीं देता। कोई गरीब क्यों होता है और किसी अमीर के पास कितना पैसा होगा? यह ज्योतिष शास्त्र से जाना जा सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म पत्रिका का दूसरा भाव धन या पैसों से संबंधित होता है। इसी दूसरे भाव से व्यक्ति को धन, आकर्षण, खजाना, सोना, मोती, चांदी, हीरे, जवाहारात आदि मिलते हैं। साथ ही इसी से व्यक्ति को स्थायी संपत्ति जैसे घर, भवन-भूमि का कारक भी प्राप्त होता है।
- किसी की कुंडली में द्वितीय भाव पर शुभ ग्रह या शुभ ग्रहों की दृष्टि हो तो उस व्यक्ति के अमीर बनने में कोई रूकावट नहीं होती है।
- यदि कुंडली में द्वितीय भाव में बुध हो तथा उस पर चंद्रमा की दृष्टि हो तो जातक धनहीन होता है वह जीवनभर मेहनत करते रहता हैं परंतु उसे ज्यादा धन की प्राप्ति नहीं होती है। वह गरीब ही रहता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में द्वितीय भाव पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि हो तो वह धनहीन होता है।
- यदि कुंडली के द्वितीय भाव में चंद्रमा हो तो अपार धन प्राप्ति का योग बनता है परंतु यदि उस पर नीच के बुध की दृष्टि पड़ जाए तो घर में भरा हुआ धन भी नष्ट हो जाता है।
- चंद्रमा यदि अकेला हो तथा कोई भी ग्रह उससे द्वितीय या द्वादश न हो तो व्यक्ति गरीब ही रहता है।
- यदि कुंडली में सूर्य, बुध द्वितीय भाव में स्थित हो तो धन स्थिर नहीं होता।
अधिक धन प्राप्ति के लिए यह उपाय करें:
- प्रतिदिन शिवलिंग पर जल, बिलपत्र और अक्षत (चावल) चढ़ाएं।
- महालक्ष्मी और श्री विष्णु की पूजा करें।
- सोमवार का व्रत करें।
- सोमवार को अनामिका उंगली में सोने, चांदी और तांबे से बनी अंगुठी पहनें।
- शाम को शिवजी के मंदिर में दीपक लगाएं।
- पूर्णिमा को चंद्र का पूजन करें।
- श्रीसूक्त का पाठ करें।
- श्री लक्ष्मीसूक्त का पाठ करें।
- कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
- किसी की बुराई करने से बचें।
- पूर्णत: धार्मिक आचरण बनाएं रखें।
- घर में साफ-सफाई बनाएं रखें इससे धन स्थाई रूप से आपके घर में रहेगा
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