Friday, May 16, 2014

मंगल दोष उपाय : मंगल दोष शांति : Remedies of Manglik Dosha or Kuja Dosha

मंगल दोष उपाय : मंगल दोष शांति : Remedies of Manglik Dosha or Kuja Dosha

यहां मंगल दोष निवारण के कुछ उपाय दिए गए हैं।
ये मंगल दोष के प्रभाव को काम करेंगे और अच्छा परिणाम देंगे :
    प्रतिदिन गणेशजी को गुड़ और लाल फूल चढ़ाएं और पूजा करते हुए 108 बार यह मंत्र पढ़ें ‘ ॐ गं गणपतये नमः’।
    यदि स्वस्थ हों तो हर चार महीने में एक बार मंगलवार को रक्तदान करें।


    मंगल यन्त्र की स्थापना करें और मंगल प्रार्थना करें।
    मंगलवार को सूर्योदय से लेकर अगले सूर्योदय तक का व्रत करें और इस अवधि में सिर्फ फल और दूध ही लें।
    मंगल चंडिका मंत्र का नियमित जाप करें।
    कुम्भ विवाह, विष्णु विवाह और अश्वत्थ विवाह कराएं।
    प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ें।
    चिड़ियों को मीठा खिलाएं 

आप दिनचर्या के दौरान अपनाकर मंगल दोष शांति कर सकते हैं -

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार मंगल ग्रह दोष से मिलने वाली रोग, पीड़ा और बाधा दूर करने के लिए मंगलवार का व्रत बहुत ही प्रभावकारी माना जाता है। किं तु दैनिक जीवन की आपाधापी में चाहकर भी अनेक लोग धार्मिक उपायों को अपनाने में असमर्थ हो जाते हैं। इसलिए यहां मंगलवार के लिए ऐसे उपाय बताए जा रहे हैं, जिनको आप दिनचर्या के दौरान अपनाकर मंगल दोष शांति कर सकते हैं -
- अगर आपकी कुण्डली में मंगल उच्च का और शुभ हो तो मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर में बताशे चढ़ाएं और बहते जल या नदी में बहा दें। मंगल दोष के बुरे असर से बचाव होगा।

- घर से काम पर निकलते समय भिखारियों को मीठी रोटी दे दें।
- बड़ या बरगद की जड़ और मिट्टी में मीठा दूध मिलाकर मस्तक पर तिलक लगाएं। इससे मंगल ग्रह की पीड़ा से हुई पेट की बीमारियों से निजात मिलती है। 
- रेवड़ी, तिल और शक्कर बहते जल में डालने से मंगल दोष से बने अशुभ और मारक योग से बच सकते हैं।
- कुंडली के चौथे भाव में मंगल बैठे होने के साथ मंगल दोष मां, सास और दादी को रोगी बना देता है। परिवार में अशांति, दरिद्रता के साथ संतान विवाह में बाधा डालता है। इस दोष निवारण का सरल उपाय है- परिवार के सभी सदस्य कुंए के जल से दातुन करें।
- मंगल पीड़ा अग्रि भय पैदा करती है। इसका उपाय है देशी शक्कर छत पर बिखेर दें, आग का भय दूर होता है।
 - तंत्र उपायों में श्मशान घाट में शहद से भरी एक कटोरी रखकर आने से मंगल ग्रह दोष से पत्नी और संतान पर आए जीवन का संकट टलता है और लंबी उम्र मिलती है। 
 मंगल दोष के लिए व्रत और अनुष्ठान (Fasts and Rituals to lessen the effect of Manglik Dosha)
अगर कुण्डली में मंगल दोष का निवारण ग्रहों के मेल से नहीं होता है तो व्रत और अनुष्ठान द्वारा इसका उपचार करना चाहिए. मंगला गौरी और वट सावित्री का व्रत सौभाग्य प्रदान करने वाला है. अगर जाने अनजाने मंगली कन्या का विवाह इस दोष से रहित वर से होता है तो दोष निवारण हेतु इस व्रत का अनुष्ठान करना लाभदायी होता है. जिस कन्या की कुण्डली में मंगल दोष होता है वह अगर विवाह से पूर्व गुप्त रूप से घट से अथवा पीपल के वृक्ष से विवाह करले फिर मंगल दोष से रहित वर से शादी करे तो दोष नहीं लगता है. प्राण प्रतिष्ठित विष्णु प्रतिमा से विवाह के पश्चात अगर कन्या विवाह करती है तब भी इस दोष का परिहार हो जाता है.
मंगलवार के दिन व्रत रखकर सिन्दूर से हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगली दोष शांत होता है. कार्तिकेय जी की पूजा से भी इस दोष में लाभ मिलता है. महामृत्युजय मंत्र का जप सर्व बाधा का नाश करने वाला है. इस मंत्र से मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक जीवन में मंगल दोष का प्रभाव कम होता है. लाल वस्त्र में मसूर दाल, रक्त चंदन, रक्त पुष्प, मिष्टान एवं द्रव्य लपेट कर नदी में प्रवाहित करने से मंगल अमंगल दूर होता है. 


मंगल दोष के रामबाण उपाय
धर्म डेस्क. उज्जैन |
मंगल दोष के रामबाण उपाय
ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कई प्रकार के दोष बताए गए हैं जैसे कालसर्प योग, पितृदोष, नाड़ीदोष, गणदोष, चाण्डालदोष, ग्रहणयोग, मंगलदोष या मांगलिक दोष आदि। इनमें मंगल दोष एक ऐसा दोष है जिसकी वजह से व्यक्ति को विवाह संबंधी परेशानियों, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन के सुख में कमियां रहती हैं। यहां जानिए मंगल दोष का निवारण करने के लिए कौन-कौन से उपाय करने चाहिए-
कैसे बनता है मांगलिक दोष: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के प्रथम या चतुर्थ या सप्तम या अष्टम या द्वादश भाव में मंगल स्थित हो तो ऐसी कुंडली मांगलिक मानी जाती है। हांलाकि मांगलिक योग हर स्थिति में अशुभ नहीं होता है। कुछ लोगों के लिए यह योग शुभ फल देने वाला भी होता है।
जिन लोगों की कुंडली मांगलिक होती है उन्हें प्रति मंगलवार मंगलदेव के निमित्त विशेष पूजन करना चाहिए। मंगलदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं जैसे लाल मसूर की दाल, लाल कपड़े का दान करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार मंगल दोष का निवारण मध्यप्रदेश के उज्जैन में ही हो सकता है। अन्य किसी स्थान पर नहीं। उज्जैन ही मंगल देव का जन्म स्थान है और मंगल के सभी दोषों का निवारण यहीं किए जाने की मान्यता है। मंगलदेव के निमित्त भात पूजा की जाती है। जिससे मंगल दोषों की शांति होती है।
जिन लोगों की कुंडली में मंगलदोष है उनके द्वारा प्रतिदिन या प्रति मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करें। इस प्रकार भी मंगल दोष की शांति हो सकती है।
यदि प्रति मंगलवार हनुमानजी का पूजन किया जाए या हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तब भी मंगलदेव के दोषों की समाप्ति हो जाती है। हनुमानजी के पूजन से मंगल के साथ ही शनि दोषों का भी निवारण हो जाता है।
यदि प्रति मंगलवार हनुमानजी का पूजन किया जाए या हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तब भी मंगलदेव के दोषों की समाप्ति हो जाती है। हनुमानजी के पूजन से मंगल के साथ ही शनि दोषों का भी निवारण हो जाता है।

मंगल दोष : कारण और निवारण
क्या करें जब कुंडली में हो मंगल दोष
Webdunia
जिस जातक की जन्म कुंडली, लग्न/चंद्र कुंडली आदि में मंगल ग्रह, लग्न से लग्न में (प्रथम), चतुर्थ, सप्तम, अष्टम तथा द्वादश भावों में से कहीं भी स्थित हो, तो उसे मांगलिक कहते हैं।
गोलिया मंगल 'पगड़ी मंगल' तथा चुनड़ी मंगल : जिस जातक की जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें भाव में कहीं पर भी मंगल स्थित हो उसके साथ शनि, सूर्य, राहु पाप ग्रह बैठे हों तो व पुरुष गोलिया मंगल, स्त्री जातक चुनड़ी मंगल हो जाती है अर्थात द्विगुणी मंगली इसी को माना जाता है।
मांगलिक कुंडली का मिलान : वर, कन्या दोनों की कुंडली ही मांगलिक हों तो विवाह शुभ और दाम्पत्य जीवन आनंदमय रहता है। एक सादी एवं एक कुंडली मांगलिक नहीं होना चाहिए।
मंगल-दोष निवारण : मांगलिक कुंडली के सामने मंगल वाले स्थान को छोड़कर दूसरे स्थानों में पाप ग्रह हों तो दोष भंग हो जाता है। उसे फिर मंगली दोष रहित माना जाता है तथा केंद्र में चंद्रमा 1, 4, 7, 10वें भाव में हो तो मंगली दोष दूर हो जाता है। शुभ ग्रह एक भी यदि केंद्र में हो तो सर्वारिष्ट भंग योग बना देता है।
शास्त्रकारों का मत ही इसका निर्णय करता है कि जहां तक हो मांगलिक से मांगलिक का संबंध करें। ‍िफर भी मांगलिक एवं अमांगलिक पत्रिका हो, दोनों परिवार पूर्ण संतुष्ट हों अपने पारिवारिक संबंध के कारण तो भी यह संबंध श्रेष्ठ नहीं है, ऐसा नहीं करना चाहिए।
ऐसे में अन्य कई कुयोग हैं। जैसे वैधव्य विषागना आदि दोषों को दूर रखें। यदि ऐसी स्थिति हो तो 'पीपल' विवाह, कुंभ विवाह, सालिगराम विवाह तथा मंगल यंत्र का पूजन आदि कराके कन्या का संबंध अच्छे ग्रह योग वाले वर के साथ करें।
मंगल यंत्र विशेष परिस्थिति में ही प्रयोग करें। देरी से विवाह, संतान उत्पन्न की समस्या, तलाक, दाम्पत्य सुख में कमी एवं कोर्ट केस इत्या‍दि में ही इसे प्रयोग करें। छोटे कार्य के लिए नहीं।
विशेष : विशेषकर जो मांगलिक हैं उन्हें इसकी पूजा अवश्य करना चाहिए। चाहे मांगलिक दोष भंग आपकी कुंडली में क्यों न हो गया हो फिर भी मंगल यंत्र मांगलिकों को सर्वत्र जय, सुख, विजय और आनंद देता है।


मंगल दोष निवारण - Mangal dosh niwaran
मंगलवार का दिन हनुमान जी की आराधना का विशेष दिन माना जाता है। इसके साथ ही ज्योतिष के अनुसार ये दिन मंगल ग्रह के निमित्त पूजा करने का विधान बताया गया है। मंगल देव की खास पूजा उन लोगों को करनी चाहिए जिनकी कुंडली में मंगल दोष होता है।
यदि आपकी जन्म कुंडली में मंगल दोष है तो निश्चित ही आपको बहुत सारी परेशानियां घेरे रहती होंगी। समय पर विवाह नहीं होता, धन के संबंध में समस्याएं चलती रहती हैं, घर-जमीन-जायदाद को लेकर तनाव झेलना पड़ता है। मंगल भूमि पुत्र है और भूमि से संबंधित कार्य करने वालों को सबसे अधिक प्रभावित करता है। आप प्रापर्टी के संबंध में सौदे या व्यवसाय करते हैं और अच्छा लाभ कमाना चाहते हैं तो मंगल देवता को खुश रखना बहुत जरूरी है।
जिनकी लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है वे मंगली कहलाते हैं। ऐसे लोगों को मंगलवार के दिन यहां बताए गए उपाय करना चाहिए। साथ ही जिनकी कुंडली में मंगल अशुभ फल देने वाला है उनके लिए हम यहां कुछ अचूक उपाय बता रहे हैं जिन्हें अपनाने से मंगल आपके अनुकूल हो जाएगा और समस्याएं समाप्त हो जाएंगी।
मंगलवार हनुमान जी का दिन माना जाता है अत: इस दिन उन्हें सिंदूर और चमेली का तेल अर्पित करें।
सुंदरकांड या हनुमान चालिसा का पाठ करें।
प्रति मंगलवार हनुमान चालिसा का जप करें। कार्यों में आलस्य न दिखाए। अपना कार्य ईमानदारी से करते रहें। निकट भविष्य में आपको सफलता मिलेगी, अच्छा समय प्रारंभ हो जाएगा। सिंदूर और चमेली का तेल हनुमान जी को चढ़ाएं।  हनुमान जी को गुड़-चने का प्रसाद चढ़ाएं और हनुमान चालिसा का पाठ करें।
देवी-देवताओं में हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं। इनकी प्रसन्नता से भक्त की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूर्ण हो जाती हैं और धन संबंधी परेशानियां से निजात मिल जाती है।
यदि किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति खराब चल रही है तो उसे यहां दिया गया उपाय करना चाहिए। किसी भी शुभ मुहूर्त में या शुभ दिन या मंगलवार या शनिवार के दिन प्रात: काल जल्दी उठें। स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद एक नारियल लेकर किसी सिद्ध हनुमान मंदिर जाएं। मंदिर में हनुमान जी के सामने नारियल को अपने मस्तक से लगाएं और अपने नाम, गोत्र का उच्चारण करें। इसके बाद अपने दुखों को दूर करने की प्रार्थना करें। प्रार्थना के बाद नारियल को हनुमान जी के सामने फोड़ दें। इसके बाद बिना पीछे देखें घर लौट आएं।
इस प्रकार ये उपाय करते रहे तो कुछ ही दिनों में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होने लगेंगे। ध्यान रखें इस दौरान स्वयं को सभी प्रकार के अधार्मिक कार्यों से दूर रखें।

मंगल दोष के रामबाण उपाय
ज्योतिष के अनुसार कुंडली में कई प्रकार के दोष बताए गए हैं जैसे कालसर्प योग, पितृदोष, नाड़ीदोष, गणदोष, चाण्डालदोष, ग्रहणयोग, मंगलदोष या मांगलिक दोष आदि। इनमें मंगल दोष एक ऐसा दोष है जिसकी वजह से व्यक्ति को विवाह संबंधी परेशानियों, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन के सुख में कमियां रहती हैं। यहां जानिए मंगल दोष का निवारण करने के लिए कौन-कौन से उपाय करने चाहिए-
कैसे बनता है मांगलिक दोष: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के प्रथम या चतुर्थ या सप्तम या अष्टम या द्वादश भाव में मंगल स्थित हो तो ऐसी कुंडली मांगलिक मानी जाती है। हांलाकि मांगलिक योग हर स्थिति में अशुभ नहीं होता है। कुछ लोगों के लिए यह योग शुभ फल देने वाला भी होता है।
जिन लोगों की कुंडली मांगलिक होती है उन्हें प्रति मंगलवार मंगलदेव के निमित्त विशेष पूजन करना चाहिए। मंगलदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं जैसे लाल मसूर की दाल, लाल कपड़े का दान करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार मंगल दोष का निवारण मध्यप्रदेश के उज्जैन में ही हो सकता है। अन्य किसी स्थान पर नहीं। उज्जैन ही मंगल देव का जन्म स्थान है और मंगल के सभी दोषों का निवारण यहीं किए जाने की मान्यता है। मंगलदेव के निमित्त भात पूजा की जाती है। जिससे मंगल दोषों की शांति होती है।
जिन लोगों की कुंडली में मंगलदोष है उनके द्वारा प्रतिदिन या प्रति मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करें। इस प्रकार भी मंगल दोष की शांति हो सकती है।
यदि प्रति मंगलवार हनुमानजी का पूजन किया जाए या हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तब भी मंगलदेव के दोषों की समाप्ति हो जाती है। हनुमानजी के पूजन से मंगल के साथ ही शनि दोषों का भी निवारण हो जाता है।

 मंगल शांति के उपाय: - (Remedies for Mars )
1 लाल पुष्पों को जल में प्रवाहीत करें।
2 मंगलवार को गुड़ व मसूर की दाल जरूर खायें।
3 मंगलवार को रेवडि़या पानी में विसर्जित करें।
4 आटे के पेड़े में गुड व चीनी मिलाकर गाय को खिलायें।
5 मीठी रोटियों का दान करें।
6 ताँबे के तार में डाले गये रूद्राक्ष की माला धारण करें।
7 मंगलवार को शिवलिंग पर जल चढ़ावे।
8 बन्दरों को मीठी लाल वस्तु जैसे - जलेबी, इमरती, शक्करपारे आदि खिलावे।
9 शिव
जी या हनुमान जी के नित्य दर्शन करें और हनुमान चालीसा या महामृत्युन्जय मंत्र की रोजाना कम से कम एक माला का जाप करे। हनुमान जी के मन्दिर में दीपदान करें तथा बजरंग बाण का प्रत्येक मंगलवार को पाठ करे।
10 गेहूँ , गुड़, मंूगा, मसूर, तांबा, सोना, लाल वस्त्र, केशर - कस्तूरी, लाल पुष्प , लाल चंदन , लाल रंग का बैल, धी, पीले रंग की गाय, मीठा भोजन आदि लाल वस्तुओं का दान मंगलवार मध्यान्ह में करें। दीन में मंगल यंत्र का पूजन करें। मंगलवार को लाल वस्त्र पहने।
11 शुक्ल पक्ष के पहले मंगलवार से 21 या 45 मंगलवार तक अथवा पूरे वर्ष मंगलवार का व्रत करें। गुड़ का बना हलवा भोग लगाने व प्रसाद बाँटने के काम में लाये और सांयकाल को वही प्रसाद ग्रहण करें।
12 जिस मंगलवार को व्रत करें उस दिन बिना नमक का भोजन एक बार विधिवत मंगल की पूजा अर्चना कर ग्रहण करें।
13 पति-पत्नि दोनों एक साथ रसोई में बैठकर भोजन करें।
14 स्नान के बाद सूखे वस्त्र को हाथ लगाने से पहले पूर्व दिशा में मुँह करके सूर्य का अर्ध देकर प्रणाम करें। (सूर्य देव दिखाई दे या न दे)
15 शयन कक्ष में पलंग पर काँच लगे हो तो उन्हें हटा दे, मंगल का कोप नहीं रहेगा अन्यथा उस काँच में पति - पत्नि का जो भी अंग दिखाई देगा वह रोगग्रस्त हो जायेगा।
16 मन का कारक चन्द्रमा होता हैं जिसके कारण मन को चंचलता प्राप्त होती हैं। पति-पत्नि के बीच जब भी वाद-विवाद हो, उग्रता आने लगे तब दोनों में से कोई एक उस स्थान से हट जायें, चन्द्र संतुलित रहेगा।
17 शयन कक्ष में यदि रोजाना पति-पत्नि के बीच वाद-विवाद, झगड़े जैसी घटनाएँ होने लगे तो जन्म कुण्डली के बारहवें भाव में पड़े ग्रह की शान्ति करावें।
18 दाम्पत्य की दृष्टि से पत्नि को अपना सारा बनाव श्रृगांर (मेकअप) आदि सांयकाल या उसके पश्चात करना चाहिए जिससे गुरू , मंगल और सूर्य अनुकूल होता हैं। दीन में स्त्री जितना मेकअप करेगी पति से उसकी दूरी बढ़ेगी।
19 पति-पत्नि के बीच किसी मजबूरी के चलते स्वैच्छिक दूरी बढ़े तो पति-पत्नि दोनों को गहरे पीले रंग का पुखराज तर्जनी अंगुली में धारण करना चाहिए।
20 यह बात ध्यान रखें कि वैवाहिक जीवन में मंगल अहंकार देता हैं स्वाभिमान नहीं। दाम्पत्य जीवन की सफलता हेतु दोनंों की ही आवश्यकता नहीं होती हैं। पाप ग्रहों का प्रभाव दाम्पत्य को बिगाड़ देता हैं। ऐसी स्थिती में चन्द्रमा के साथ जिस पाप ग्रह का प्रभाव हो उस ग्रह की शांति कराने से दाम्पत्य जीवन सुखमय होता हैं। शुक्ल पक्ष मेें पति-पत्नी चाँदनी रात में चन्द्र दर्शन कर, चन्द्रमा की किरणों को अपने शरीर से अवश्य स्पर्श करवावें।
21 बाग - बगीचा, नदी , समुद्र, खेत, धार्मिक स्थल एवं पर्यटन स्थलों आदि पर पति - पत्नी साथ जायें तो श्रेष्ट होगा। इससे गुरू व शुक्र प्रसन्न होगें, इसके विपरीत कब्रिस्तान , कोर्ट - कचहरी , पुलिस थाना , शराब की दुकान , शमशान व सुना जंगल आदि स्थानों पर पति-पत्नी भूलकर भी साथ न जायें।
22 मंगल के कोप के कारण बार - बार संतान गर्भ में नष्ट होने से पति-पत्नी के बीच तनाव , रोग एवं परेशानियां उत्पन्न होती हैं ऐसी स्थिति में पति - पत्नी को महारूद्र या अतिरूद्र का पाठ करना चाहिए।
23 मंगल की अशुभ दशा , अन्तर्दशा में पति - पत्नी के बीच कलह , वाद - विवाद व अलगाव सम्भावित हैं। ऐसी स्थिती में गणपति स्त्रोत , देवी कवच , लक्ष्मी स्त्रोत , कार्तिकेय स्त्रोत एवं कुमार कार्तिकेय की नित्य पूजा अर्चना एवं पाठ करना चाहिए।
24 जिन युवक-युवतियों का विवाह मंगल दोष के कारण नहीं हो रहा हैं, उन्हें प्रतीक स्वरूप विवाह करना चाहिए। जिनमें कन्या का प्रतीक विवाह भगवान विष्णु से या सालिग्राम के पत्थर या मूर्ति से कराया जाता हैं। इसी प्रकार पुरूष का प्रतीक विवाह बैर की झाडि़यों से कराया जाता हैं।
25 विवाह के इच्छुक मांगलिक युवक-युवतियों को तांबंे का सिक्का पाकेट या पर्स में रखना चाहिए। तांबें की अंगुठी अनामिका अंगुली में धारण करे, तांबे का छल्ला साथ रखें, रात्रि में तांबे के पात्र में जल भरकर रखें व प्रातः काल उसे पीयें।
26 प्रतिदिन तुलसी को जल चढ़ाने और तुलसी पत्र का सेवन करने से मंगल के अनिष्ठ शांत होते हैं।
27 अपना चरित्र हमेशा सही रखें । झूठ नहीं बोले । किसी को सताए नहीं । झूठी गवाही कभी भी ना देवे । दक्षिण दिशा वाले द्वार में न रहें । किसी से ईष्र्या, द्वेश भाव न रखे । यथा शक्ति दान करें ।
28 मंगलवार के दिन सौ गा्रम बादाम दक्षिणमुखी हनुमानजी के यहां ले जावे । उनमें से आधे बादाम मंदिर में रख देवे और आधे बादाम घर लाकर पूजा स्थल पर रखें । बादाम खुले में ही रखे । यह जब तक रखे जब तक की आपकी मंगल की महाद
शा चलती हैं ।
29 मूंगा या रूद्राक्ष की माला हमेशा अपने गले में धारण करें ।
30 आँखो में सुरमा लगावें । जमीन पर सोयें । गायत्री मंत्र का जाप संध्याकाल में करें ।
31 नित्य सुबह पिता अथवा बड़े भाई के चरण छुकर आशीर्वाद लेवें ।
32 मंगल की शांति हेतु मूंगा रत्न धारण करना चाहिए इसके लिए चांदी की अंगुठी में मूंगा जड़वाकर दायें हाथ की अनामिका में धारण करना चाहिए। मंूगे का वजन 6 रत्ती से अधिक होना चाहिए। धारण करने से पूर्व मंूगे को गंगाजल, गौमूत्र अथवा गुलाब जल से स्नान करवाकर शुद्ध करें तत्पश्चात विधि अनुसार धारण करें।
33 जो जातक मूंगा धारण नहीं कर सकते उन्हें तीनमुखी रूद्राक्ष धारण कराना चाहिए । तीन मुखी रूद्राक्ष को लाल धागे में गुथकर धूपित करके, मंगलवाल के दिन गले या दाहिने हाथ में धारण करें । इसके प्रभाव से उन्हें मंगल शांति में सफलता मिलती हैं ।
34 क्रुर व उग्र होते हुए भी सौम्य ग्रहों की युति से मंगल विशेष सौम्य फल प्रदान करता हैं । चन्द्र व मंगल की युति आकस्मिक धनप्राप्ति, शनि मंगल की युति डुप्लीकेट सामान बनाने व नकल करने में माहिर बनाता हैं, ऐसा व्यक्ति कार्टूनिस्ट, पोट्रेट आर्टिस्ट व मुखौटे बनाने में निपुण हो सकता हैं । शुक्र व मंगल की युति फोटोग्राफी, सिनेमा तथा चित्रकारी आदि की योग्यता भी देता हैं । बुध के साथ युति होने पर जासूस का वैज्ञानिक और मांगलिक प्रभाव भी नष्ट करता हैं, किन्तु जिन घरों पर वह दृष्टि डालता हें वहां अवश्य ही हानि करने वाला होता हैं । कुण्डली में सातवां घर मंगल का ही माना जाता हैं क्योकिं यह मंगल की उच्च राशि हैं । अतः सातवां घर मंगल की स्वराशि का घर कहलाता हैं ।
35 पुत्रहीनता तथा ऋणग्रस्तता दूषित मंगल की ही देन होती हैं । स्त्रियों में कामवासना का विशेष विचार भी मंगल से किया जाता हैं । मंगल के प्रभाव से होने वाले रोगादि रक्त-सम्बन्धी रोग, पित्त विकार, मज्जा विकार, नेत्र विकार, जलन, तृष्णा, मिर्गी व उन्माद आदि मानसिक रोग, चर्म रोग, अस्थिभ्रंश, आॅपरेशन, दुर्घटना, रक्तस्त्राव व घाव, पशुभय, भूत-पिशाच के आवेश से होने वाली पीड़ाएं आदि विशेष हैं । निर्बल होने से यह जीवन शक्ति उत्साह व उमंग का नाश करता हैं तथा कायर बनाता हैं ।
Courtesy Pt Ashu Bahuguna G

 मंगली दोष निवारण के सरल उपाय 

मंगली दोष निवारण के सरल उपाय जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगली दोष बन रहा हो उस व्यक्ति को अग्रलिखित उपाय करने चाहिए जिससे की मंगली दोष के नकारात्मक प्रभाव से वह बच सकें -
- मीठी रोटियां दान करें .
- मंगलवार को सुन्दरकाण्ड का पाठ करें.
- बंदरों को लाल मीठी वास्तु खिलाएं.
- मंगलवार को बतासे या रेवड़ियाँ पानी में प्रवाहित करें.
- आटे की लोई में गुड़ रखकर गाय को खिला दें.
- मंगली कन्यायें गौरी पूजन तथा श्रीमद्भागवत के 18 वें अध्याय के नवें श्लोक का जप अवश्य  करें.
- प्रत्येक मंगलवार को मंगल स्नान करें.
- विवाह के समय कुंडली मिलान अवश्य करें.
 
 1 Dec 2012 मंगल दोष और होने वाली परेशानिया astro अंकल लाइव
ये भ्रम  लोगो को की मंगली होने का मतलब मंगल दोष होता है
मंगल दोष 28 वे वर्ष में अपने आप समाप्त हो जाता है और बिना कुंडली मिलाये शादी करा देनी चाहिए ये गलत धारणा है
मंगल दोष वाले माता पिता की संतान का 5 वर्ष की आयु तक बेहद खास  ध्यान रखने की जरूरत होती
है क्यूंकि उसका immune सिस्टम काफी कमजोर होगा इस बात की बहुत संभावना होती है
मंगल दोष वाले लोग विधुर /विधवा हो जायेंगे ये एक मिथ्या धारणा है
मंगली होने का ये मतलब नहीं है की मंगल दोष होगा
मंगल दोष के कारण लोगो के प्रेम सम्बन्ध टूट जाते है और ये दुःख दे के टूटते है
पिता व भाई की ख़ुशी में कमी होती है
यदि बृहस्पति मजबूत हुआ तो मंगल दोष वाले love मैरिज के बाद भी सम्बन्ध टूट जाने वाली situation आ सकती है
मंगल दोष जब बहुत जादा प्रभावित करता है तो लोग शादी के लिए आपको approach करेंगे लेकिन जैसे ही आप
कही बात करोगे तो वो बात टूट जाएगी आपको कोई response नहीं देगा लोग आपके फ़ोन का उत्तर तक
नहीं देंगे ,रिश्ते नहीं आएंगे आएंगे भी तो टूट जायेंगे
यदि रिश्ते आये भी तो आपकी तरफ से कोशिश करने से बात नहीं बनेगी
किसी ख़राब पार्टनर के साथ जीवन जीने से अच्छा है की अकेले ही रहा  जाये
ज्योतिष के according 70% लोग मंगल दोष से प्रभावित या पीड़ित मिलेंगे
बिना सोचे समझे या जाने ज्योतिष के फंडे न लगाये सिर्फ लैपटॉप ले के सॉफ्टवेयर
से कुंडली बना लेने से राशी भाव और गृह देख लेने मात्र से कोई ज्योतिषी नहीं हो जाता
उसके लिये गहरे ज्ञान की आवश्यकता भी होती है
पति पत्नी में मंगल दोष हो तो वो एक दूसरे की इज्जत नहीं करेंगे
मंगल की छाया या आंशिक मंगल कुछ लोग बोलते है ऐसा नहीं होता
मंगल दोष से प्रभावित लोगो को लम्बे समय तक (या सही शब्दों में जीवन पर्यंत उपाय )
करने चाहिए
खून में heamoglobin कम होने पे हरी मिर्च खाए ये आपकी मदद करती है
कुंडली में सिर्फ मंगल की विशेष positions (1,2,4,7,8) पे होने के कारण ही मंगल दोष नहीं लगता
मंगली होना और मंगल दोष होना दो अलग अलग चीज़े है
यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष है तो प्रेम संबंधो में सावधान रहने की जरूरत है
अधिकतर ऐसे सम्बन्ध चरित्र पे दाग लग के टूट जाते है
misconception जो मंगली/मंगल दोष से प्रभावित होते है उनका विवाह नहीं होता
मंगल दोष वाले माता पिता की संतान को कष्ट होता है (इससे रिकवर किया जा सकता है )
मंगल शारीरिक शक्ति को denote करता है यदि कमजोर होगा तो शारीरिक उर्जा कम होगी
ऐसे लोगो की संतान बीमार बहुत जल्दी जल्दी होगी ,यदि आपको मंगल दोष हो तो
ऐसे  माता पिता अपने घर का माहौल शांत रखे
misconcept मंगल दोष वालो का मंगल दोष जीवन के 28वे वर्ष में ख़त्म हो जाता है
ये बात सही नहीं है
जीवन मन्त्र जो लोग अपने इष्ट की साधना पूजा अच्छे समय में भी करते रहते है नियमित रूप से
वो लोग अपने जीवन में आने वाले कठिन समय से पार हो जाते है उनके सामने रास्ता बन जाता है उस
कठिन समय में भी जो व्यक्ति अपने इष्ट में विश्वास नहीं रखता इष्ट की साधना नहीं करता उस व्यक्ति के
रास्ते बंद हो जाते है और बुरा वक्त उसे हरा देता है
परंपरा हनुमान जी की एक विशेष साधना करी जाती है ये मूलतः धन की रक्षा के लिये करी जाती है जीवन
में कभी भी किसी प्रकार की दिक्कत आती है या कभी भी आपको रक्षा की आवश्यकता हो
तो आप इस उपाय को कर सकते है धन की रक्षा के लिए हनुमान जी की विशेष साधना ये है की पूर्णमासी को
मौली से नारियल बांध कर उन्हें अर्पित करे और फिर वही से हनुमान जी के चरणों का तिलक ले के आइये और
फिर उसे अपनी तिजोरी पे लगा दीजिये ये यदि आपका ईमानदारी का धन है लेकिन खतरे में पड़ गया है तो
हनुमान जी अपने आप जिम्मेदारी ले के ठीक कर देते है
मंगल दोष से प्रभावित माँ अपने बच्चे की सेहत को ले के काफी परेशान (possesive ) रहती है
माँ या पिता दोनों अपने बच्चे को ले के काफी possesive होते है
मंगल दोष जिन लोगो की कुंडली में हो वो शादी होने के बाद भी अलग अलग  कुम्भ विवाह जरूर करा ले
मंगल दोष से प्रभावित पिता अपने बच्चो पे क्रोध बहुत करते है
इससे उनका बच्चा चिड चिड़ा हो जाता है या उसका स्वभाव आगे चल कर विद्रोही बन जाता है
मंगल दोष के उपाय के तौर पे
माँ /साधू संत /बन्दर की सेवा करे
लाल मिर्च का सेवन न करे (मंगल दोष वाले )
लाल रंग से बहुत  परहेज करना है
कुश के आसन पे बैठ कर ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः  या
ॐ अं अंगारकाय नमः मन्त्र का लाल चन्दन की माला से जप करे रुद्राक्ष की माला पे भी कर सकते है
मंगल दोष वालो को हमेशा सर दर्द बना रहता है
चीनी /शहद /गुड़ का दान मेहनत मजदूरी करने वाले लोगो को जरूर करे (ये भिक्षा नहीं है )
ऐसे लोगो को ताम्बे का छल्ला मंगलवार को अनामिका में धारण कर लेना चाहिए वैवाहिक
जीवन के दुःख भी शांत होंगे और सर दर्द पे भी असर पड़ेगा
थोड़े से चावलों को बहते हुए पानी में डाल दीजियेगा ज्यादा चावल की जरूरत नहीं है उपाय केवल संकेत मात्र होता है
चांदी की ठोस गोली गले में सोमवार को जरूर धारण करियेगा
मिटटी के बर्तन में 5 लाल ईंट डाल कर  किसी निर्जन स्थान में दबाये जीवन भर ये करे महीने में 1 बार ये उपाय जरूर करे (जीवन भर )
किसी पूजा स्थान आश्रम या मजदूर के घर की दिवार बनवाये
यदि शादी में compromise करना पड़े तो उसे मन से करियेगा
मंगल ब्लड या RH factor का भी स्वामी है यदि मंगल सही से मैच न हो तो ऐसे लोगो को संतान होने में
कष्ट हो जाता है ,कई लडकियो में शादी के बाद hormonal disturbance हो जाते है और उसकी वजह
से संतान होने में काफी कष्ट होता है ,
मंगल दोषह दोष से प्रभावित लोगो को अकेले नहीं रहना चाहिये
मंगल दोष वाले बच्चो के पिता (पिता की कुंडली में मंगल दोष ) उनपे बहुत गुस्सा करते है
उससे बच्चा विद्रोही हो जाता है
मंगल दोष से प्रभावित लोगो की कुंडली में गण मिलाये बिना विवाह न करे
उचित गण मिल जाने पे मंगल दोष काफी हद तक कम हो जाता है
किसी पूजा स्थान की दीवार जरूर बनवाये चाहे वो 1 इंच की ही क्यूँ न हो
जो लोग scientifically ज्योतिष पढ़ रहे है वो जरा गहराई में इस सब्जेक्ट को समझे सिर्फ
भावों राशियों से ही न रुके
किसी प्रश्न का उत्तर
आदमी कैंसर का patient था ,wife से relation अच्छा नहीं था ,
एक बेटा है 35 साल का वो माँ को छोड़ना नहीं चाहता और कहता है की कुछ भी हो
जाये चाहें नौकरी मिले या न मिले वो माँ को छोड़ के नहीं जायेगा
पत्नी को ये काफी कुछ सुना देते है लेकिन बाद में दुःख होता है ,वाइफ को schinofinia ,
father  की 100 करोड़ की प्रॉपर्टी है और उससे debar कर के गए है ,बाईपास सर्जरी भी हो चुकी है
रोज घर वालो से गालिया खाते है ,जानना चाहते है की कभी वाइफ से रिलेशन ठीक हो सकेगा या नहीं
क्या उपाय करे
जवाब पितृ दोष की गंभीर condition है एक विशेष किस्म का चंडी यग्य कराना पड़ता है
और एक लाल आसन पे बैठ के
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै वा दुर्गे दुर्गे रक्षिणी स्वाहा
मन्त्र जप कर के एक सामान्य समिधा से रेगुलर हवन करे
ॐ अग्नि देवाय नमः मन्त्र से 1 साल तक हवन करे
चूँकि ये गंभीर पितृ दोष है  तो ये इसका विशेष उपाय है
इस परिस्थिति में पितृ दोष के सामान्य उपाय की बजाये ये उपाय करिये
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 भात पूजन केवल उज्जैन में ।
मंगल दोष के दुष्प्रभाव से बचाव के उपाय
जन्म लग्न कुण्डली के उपरोक्त मांगलीक दोषो के कारण मानव जीवन पर होने वाले दुष्प्रभावो को पूजा पाठ, जाप, अनुष्ठान, दान आदि के द्वारा पूर्णत: समाप्त किया जा सकता है। एवं मंगल के शुभ प्रभावो को बढाया जा सकता है। जिसके कुछ उपाय निम्नानुसार वर्णन किये जा रहा है ऐसे जातकगण जिनकी कुण्डली में मांगलिक दोष है वे इससे पूरी तरह लाभान्वित होंगे ।
मंगल ग्रह शान्ति :– चुंकि मंगल एक उग्र एवं विस्फोटक ग्रह है, यदि मंगल आपकी लग्न कुण्डली को प्रभावित कर रहा है तो इसकी शान्ति कराना उतना ही आवश्यक है, जिस तरह एक व्यक्ति बिमार पडने पर औषधियो को लेने पर ही ठीक होता है, उसी तरह मंगल दोष निवारण के प्रभावी उपाय निम्नलिखित है:
मंगल ग्रह की शांति भात पूजन द्वारा
सम्पूर्ण विश्व में भारत देश के अंर्तगत मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में एक मात्र मंग्रल ग्रह का मंदिर है, जहॉं ब्रम्हाण्ड से मंगल ग्रह की सीधी किरणे कर्क रेखा पर स्थित स्वयंभू शिवलिंग के उपर पढती है, जिससे यह शिवलिंग मंगल ग्रह के प्रतीक स्वरूप में जाना जाता है तथा यहॉ पर पूजन, अभिषेक, जाप व दर्शन से मंगलदोश का निवारण होता है।
मंगल दोश निवारण भात पूजन द्वारा एक मात्र अवंतिका ( उज्जैन ) में ही सम्पन्न कराया जाता है। यहॉ विधिवत् भात पूजन कराने से मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव में कमी आकर शुभ फलो की वृद्धि होती है।
पूजन की विधि
भात पूजन में सर्वप्रथम गणेश गौरी पूजन के पश्चात नवग्रह पूजन, कलश पूजन एवं शिवलिंग रूप भगवान का पंचामृत पूजन एवं अभिषेक वैदिक मंत्रोचार द्वारा किया जाता है , पश्चात भगवान को भात अर्पित कर आरती एवं पूजन किया जाता है। जिससे पूजन कराने वाले को विशेष शुभ फलो की प्राप्ति होती है। भात पूजन मंग्रह दोष निवारण का प्रभावी एवं त्वरित उपाय है । 

 यदि कन्या की कुंडली में 'मंगल दोष', 'वैधव्य दोष' या 'विष योग' हो तो उपचार है कुंभ विवाह। यदि कन्या की कुंडली में वैधव्य, संबंध विच्छेद अथवा बहुविवाह योग हो तो उसका समाधान अनिवार्य है। इसी प्रकार कन्या की कुंडली में वैधव्य योग भी विचारणीय है।
1. जिस कन्या की कुंडली में सप्तम भाव में मंगल पाप ग्रहों से युक्त हो तथा पाप ग्रह सप्तम भाव में स्थित मंगल को देखते हों तो बाल विधवा योग होता है।
2. लग्न एवं सप्तम भाव में पाप ग्रह हो तो 'वैधव्य योग' होता है।
3. सप्तम भाव में पापग्रह हो तथा चंद्रमा षष्ठ या सप्तम भाव में हो तो वैधव्य योग होता है।
4. पाप ग्रह से दृष्ट पाप ग्रह अष्टम में हो तो वैधव्य योग होता है।
5. सप्तमेश एवं अष्टमेश पाप ग्रहों से पीडि़त होकर षष्ठ या द्वादश भाव में हो तो वैधव्य योग होता है।
इत्यादि जितने भी वैधव्य कारक अरिष्ट योग, जैसे कि मांगलिक दोष या विषकन्या दोष-इन सभी से दूषित कन्या के सुखी दांपत्य हेतु शास्त्रों में कुंभ विवाह का परामर्श दिया हुआ है।
'बालवैधव्ययोगे तु कुंभ दुपतिमाादिभि:। कृत्वा लग्न तत: प्रश्चात् कन्योद्वाह्योति चापरे', अर्थात- घट विवाह के उपरांत ही विवाह करें। कुंभ विवाह की प्रक्रिया विवाह के ही शुभ मुहूर्त में (विवाह की घोषित तिथि से पहले कभी भी) शुभ लग्न के समय कन्या के सुखी और स्थाई दांपत्य जीवन हेतु विष्णु रूप कुंभ से विवाह करा लें। इस प्रक्रिया में गणपति, पुण्याहवाचन कुल देवता का पूजन कर ग्रह शांति करें। पुन: शाखोच्चार के साथ विष्णु रूप कलश का षोडशोपचार से पूजन करें और फिर उसी कलश की अग्नि सहित कन्या सात परिक्रमा करे, ब्राह्मण मंगलाष्टक का पाठ करें, तदुपरानत कन्या का अभिषेक कर आशीर्वाद दें। इस प्रकार शास्त्र विधि पूर्वक 'घट विवाह' करने से वह कन्या सुखी एवं सौभाग्यशालिनी हो जाती है। ज्ञातव्य है कि परमपुरुष परमात्मा विष्णु सब के पति हैं, अस्तु विष्णु से विवाह होने के कारण उक्त दोष का शमन हो जाता है। विवाह के पश्चात कन्या विवाह के समय पहने वस्त्राभूषण को परित्याग दे। अर्थात उक्त वस्त्राभूषण को धारण न करे

 कौन होते हैं मंगली, जानिए मंगली स्त्री-पुरुष से जुड़ी खास बातें
धर्म डेस्क |
कौन होते हैं मंगली, जानिए मंगली स्त्री-पुरुष से जुड़ी खास बातें
उज्जैन। आज भी जब किसी स्त्री या पुरुष के विवाह के लिए कुंडली मिलान किया जाता है तो सबसे पहले देखा जाता है कि वह मंगली है या नहीं। ज्योतिष के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मंगली है तो उसकी शादी किसी मंगली से ही की जानी चाहिए। इसके पीछे धारणाएं बताई गई हैं।
 क्या आप जानते हैं मंगली शब्द किन लोगों के लिए उपयोग किया जाता है। किन कारणों से कोई स्त्री या पुरुष मंगली होते हैं? मंगली होने के प्रभाव क्या-क्या होते हैं? यदि आप इन प्रश्नों के उत्तर नहीं जानते हैं तो यहां जानिए मंगली शब्द से जुड़ी खास बातें...
 मंगल से प्रभावित होते हैं मंगली
 ज्योतिष के अनुसार मंगली लोगों पर मंगल ग्रह का विशेष प्रभाव होता है। यदि मंगल शुभ हो तो वह मंगली लोगों को मालामाल बना देता है। मंगली व्यक्ति अपने जीवन साथी से प्रेम-प्रसंग के संबंध में कुछ विशेष इच्छाएं रखते हैं, जिन्हें कोई मंगली जीवन साथी ही पूरा कर सकता है। इसी वजह से मंगली लोगों का विवाह किसी मंगली से ही किया जाता है।
कौन होते हैं मंगली?

कुंडली में कई प्रकार के दोष बताए गए हैं। इन्हीं दोषों में से एक है मंगल दोष। यह दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में होता है वह मंगली कहलाता है। जब किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के 1, 4, 7, 8, 12 वें स्थान या भाव में मंगल स्थित हो तो वह व्यक्ति मंगली होता है।
मंगल के प्रभाव के कारण ऐसे लोग क्रोधी स्वभाव के होते हैं। ज्योतिष के अनुसार मंगली व्यक्ति की शादी मंगली से ही होना चाहिए। यदि मंगल अशुभ प्रभाव देने वाला है तो इसके दुष्प्रभाव से कई क्षेत्रों में हानि प्राप्त होती है। भूमि से संबंधित कार्य करने वालों को मंगल ग्रह की विशेष कृपा की आवश्यकता है।
 मंगल देव की कृपा के बिना कोई व्यक्ति भी भूमि संबंधी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। मंगल से प्रभावित व्यक्ति अपनी धुन का पक्का होता है और किसी भी कार्य को बहुत अच्छे से पूर्ण करता है।
हमारे शरीर में सभी ग्रहों का अलग-अलग निवास स्थान बताया गया है। ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह हमारे रक्त में निवास करता है।
मंगली लोगों की खास बातें...
मंगली होने का विशेष गुण यह होता है कि मंगली कुंडली वाला व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को पूर्ण निष्ठा से निभाता है। कठिन से कठिन कार्य वह समय से पूर्व  ही कर लेते हैं। नेतृत्व की क्षमता उनमें जन्मजात होती है।
ये लोग जल्दी किसी से घुलते-मिलते नहीं परंतु जब मिलते हैं तो पूर्णत: संबंध को निभाते हैं। अति महत्वाकांक्षी होने से इनके स्वभाव में क्रोध पाया जाता है। परंतु यह बहुत दयालु, क्षमा करने वाले तथा मानवतावादी होते हैं। गलत के आगे झुकना इनको पसंद नहीं होता और खुद भी गलती नहीं करते।
ये लोग उच्च पद, व्यवसायी, अभिभाषक, तांत्रिक, राजनीतिज्ञ, डॉक्टर, इंजीनियर सभी क्षेत्रों में यह विशेष योग्यता प्राप्त करते हैं। विपरित लिंग के लिए यह विशेष संवेदनशील रहते हैं, तथा उनसे कुछ विशेष आशा रखते हैं। इसी कारण मंगली कुंडली वालों का विवाह मंगली से ही किया जाता है।
ग्रहों का सेनापति है मंगल
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नौ ग्रह बताए गए हैं जो कुंडली में अलग-अलग स्थितियों के अनुसार हमारा जीवन निर्धारित करते हैं। हमें जो भी सुख-दुख, खुशियां और सफलताएं या असफलताएं प्राप्त होती हैं, वह सभी ग्रहों की स्थिति के अनुसार मिलती है। इन नौ ग्रहों का सेनापति है मंगल ग्रह। मंगल ग्रह से ही संबंधित होते है मंगल दोष। मंगल दोष ही व्यक्ति को मंगली बनाता है।
पाप ग्रह है मंगल
मंगल ग्रह को पाप ग्रह माना जाता है। ज्योतिष में मंगल को अनुशासन प्रिय, घोर स्वाभिमानी, अत्यधिक कठोर माना गया है। सामान्यत: कठोरता दुख देने वाली ही होती है। मंगल की कठोरता के कारण ही इसे पाप ग्रह माना जाता है। मंगलदेव भूमि पुत्र हैं और यह परम मातृ भक्त हैं। इसी वजह से माता का सम्मान करने वाले सभी पुत्रों को विशेष फल प्रदान करते हैं। मंगल बुरे कार्य करने वाले लोगों को बहुत बुरे फल प्रदान करता है।
मंगल के प्रभाव
मंगल से प्रभावित कुंडली को दोषपूर्ण माना जाता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल अशुभ फल देने वाला होता है उसका जीवन परेशानियों में व्यतीत होता है। अशुभ मंगल के प्रभाव की वजह से व्यक्ति को रक्त संबंधी बीमारियां होती हैं। साथ ही, मंगल के कारण संतान से दुख मिलता है, वैवाहिक जीवन परेशानियों भरा होता है, साहस नहीं होता, हमेशा तनाव बना रहता है।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ज्यादा अशुभ प्रभाव देने वाला है तो वह बहुत कठिनाई से जीवन गुजरता है। मंगल उत्तेजित स्वभाव देता है, वह व्यक्ति हर कार्य उत्तेजना में करता है और अधिकांश समय असफलता ही प्राप्त करता है।
मंगल का ज्योतिष में महत्व: ज्योतिष में मंगल मुकदमा ऋण, झगड़ा, पेट की बीमारी, क्रोध, भूमि, भवन, मकान और माता का कारण होता है। मंगल देश प्रेम, साहस, सहिष्णुता, धैर्य, कठिन, परिस्थितियों एवं समस्याओं को हल करने की योग्यता तथा खतरों से सामना करने की ताकत देता है।
 मंगल की शांति के उपाय: भगवान शिव की स्तुति करें। मूंगे को धारण करें। तांबा, सोना, गेहूं, लाल वस्त्र, लाल चंदन, लाल फूल, केशर, कस्तुरी, लाल बैल, मसूर की दाल, भूमि आदि का दान।

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