Friday, May 16, 2014

लाफ्टर थेरेपी:हंसी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए: World Laughter Day : Laughter Therapy :

वर्ल्ड लाफ्टर डे: हा हा, ही ही

नवभारत टाइम्स | 

क्या आपको याद है कि आप आखिरी बार दिल खोलकर कब हंसे थे? ऐसी जोरदार हंसी कि हंसते-हंसते लोटपोट हो गए, कि मुंह थक गया, कि आंखों से आंसू बह निकले, कि पेट में बल पड़ गए... याद नहीं आया न! आजकल के तनाव के इस दौर में हंसी वाकई महंगी हो गई है। लोगों के पास सब चीजों के लिए वक्त है, हंसने-हंसाने के लिए नहीं, जबकि हंसी के फायदों की फेहरिस्त काफी लंबी है। एक्सपर्ट्स से बात करके आज वर्ल्ड लाफ्टर डे के मौके पर हंसी के फायदों के बारे में बता रही हैं प्रियंका सिंह :
हंसी से बड़ी कोई दवा नहीं. . . इस बात को हम हमेशा से सुनते आए हैं, लेकिन मानते शायद कम ही हैं क्योंकि बिना किसी खर्च के इलाज की बात आसानी से हजम नहीं होती। वैसे भी, जिंदगी की आपाधापी और तनाव ने लोगों को हंसना भुला दिया है। रिसर्च बताती हैं कि पहले लोग रोजाना करीब 18 मिनट रोजाना हंसते थे, अब 6 मिनट ही हंसते हैं जबकि हंसना बेहद फायदेमंद है। दिल खोलकर हंसनेवाले लोग बीमारी से दूर रहते हैं और जो बीमार हैं, वे जल्दी ठीक होते हैं। हंसी न सिर्फ हंसनेवाले, बल्कि उसके आसपास के लोगों पर भी पॉजिटिव असर डालती है इसलिए रोजाना हंसें, खूब हंसें, जोरदार हंसें, दिल खोलकर हंसें।
हंसी के फायदे तमाम
[ जारी है ]
- हंसी से टेंशन और डिप्रेशन कम होता है।
- यह नेचरल पेनकिलर का काम करती है।
- हंसी शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ाती है।
- हंसी ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करती है।
 जोरदार हंसी कसरत का भी काम करती है।
- शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ोतरी करती है।
- इससे काम करने की क्षमता बढ़ती है।
 यह आत्मविश्वास और पॉजिटिव नजरिए में इजाफा करती है।
- इसे नेचरल कॉस्मेटिक भी कह सकते हैं क्योंकि इससे चेहरा खूबसूरत बनता है।
- खुशमिजाज लोगों के सोशल और बिजनेस कॉन्टैक्ट भी ज्यादा होते हैं।
कैसे काम करती है हंसी
- हमारे शरीर में कुछ स्ट्रेस हॉर्मोन होते हैं, जैसे कि कॉर्टिसोल, एड्रेनलिन आदि। जब कभी हम तनाव में होते हैं तो ये हॉर्मोन शरीर में सक्रिय हो जाते हैं। इनका लेवल बढ़ने पर घबराहट होती है। ज्यादा घबराहट होने पर सिर दर्द, सर्वाइकल, माइग्रेन, कब्ज हो सकती है और शुगर लेवल बढ़ सकता है। हंसने से कॉर्टिसोल व एड्रेनलिन कम होते हैं और एंडॉर्फिन, फिरॉटिनिन जैसे फील गुड हॉमोर्न बढ़ जाते हैं। इससे मन उल्लास और उमंग से भर जाता है। इससे दर्द और एंग्जाइटी कम होती है। इम्युन सिस्टम मजबूत होता है और बुढ़ापे की प्रक्रिया धीमी होती है।
- जितनी देर हम जोर-जोर से हंसते हैं, उतनी देर हम एक तरह से लगातार प्राणायाम करते हैं क्योंकि हंसते हुए हमारा पेट अंदर की तरफ चला जाता है। साथ ही हम लगातार सांस छोड़ते रहते हैं, यानी शरीर से कार्बनडाइऑक्साइड बाहर निकलती रहती है। इससे पेट में ऑक्सिजन के लिए ज्यादा जगह बनती है। दिमाग को ढंग से काम करने के लिए 20 फीसदी ज्यादा ऑक्सिजन की जरूरत होती है। खांसी, नजला, जुकाम, स्किन प्रॉब्लम जैसी एलर्जी ऑक्सिजन की कमी से बढ़ जाती हैं। हंसी इन बीमारियों को कंट्रोल करने में मदद करती है। साथ ही, शुगर, बीपी, माइग्रेन, जैसी बीमारियां (जिनके पीछे स्ट्रेस बड़ी वजह होती है) होने की आशंका भी कम होती है क्योंकि करीब 60-70 फीसदी बीमारियों की वजह तनाव ही होता है। हंसी पैनिक को कंट्रोल करती है, जिसकी बदौलत रिकवरी तेज होती है।
- जब हम जोर-जोर से हंसते हैं तो झटके से सांस छोड़ते हैं। इससे फेफड़ों में फंसी हवा बाहर निकल आती है और फेफड़े ज्यादा साफ हो जाते हैं।
- हंसने से शरीर के अंदरूनी हिस्सों को मसाज मिलती है। इसे इंटरनल जॉगिंग भी कहा जाता है। हंसी कार्डियो एक्सरसाइज है। हंसने पर चेहरे, हाथ, पैर, और पेट की मसल्स व गले, रेस्पिरेटरी सिस्टम की हल्की-फुल्की कसरत हो जाती है। 10 मिनट की जोरदार हंसी इतनी ही देर के हल्की कसरत के बराबर असर करती है। इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और मसल्स रिलैक्स होती हैं।
- जब हम हंसते हैं तो कोई भी तकलीफ या बीमारी कम महसूस होती है क्योंकि जिस तरह के विचार मन में आते हैं, हमारा शरीर वैसे ही रिएक्ट करता है। हंसने से हम लगभग शून्य की स्थिति में आ जाते हैं यानी सब भूल जाते हैं।
- जिंदगी में दिन और रात की तरह सुख और दुख लगे रहते हैं। इनसे बचा नहीं जा सकता लेकिन अगर हम लगातार बुरा और नेगेटिव सोचते हैं तो दिमाग सही फैसला नहीं कर पाता और परेशानियां बढ़ जाएंगी। हंसने पर दिमाग पूरा काम करता है और हम सही फैसला ले पाते हैं।
क्या कहती हैं रिसर्च
अमेरिका के फिजियॉलजिस्ट और लाफ्टर रिसर्चर विलियम फ्राइ के मुताबिक जोरदार हंसी दूसरे इमोशंस के मुकाबले ज्यादा फिजिकल एक्सरसाइज साबित होती है। इससे मसल्स एक्टिवेट होते हैं, हार्ट बीट बढ़ती है और ज्यादा ऑक्सिजन मिलने से रेस्पिरेटरी सिस्टम बेहतर बनता है। ये फायदे जॉगिंग आदि से मिलते-जुलते हैं। जरनल ऑफ अमेरिकन मेडिकल असोसिएशन के मुताबिक, लाफ्टर थेरपी से लंबी बीमारी के मरीजों को काफी फायदा होता है इसलिए अमेरिका, यूरोप और खुद हमारे देश में भी कई अस्पतालों से लेकर जेलों तक में लाफ्टर थेरपी या हास्य योग कराया जाता है।
हास्य योग
लोगों को हंसना सिखाने में हास्य योग काफी पॉप्युलर हो रहा है। हास्य और योग को मिलाकर बना है हास्य योग, जिसमें प्राणायाम (लंबी-लंबी सांसें लेते) के साथ हंसी के अलग-अलग कसरत करना सिखाया जाता है। हास्य योग के तहत जोर-जोर से ठहाके मारकर, बिना किसी वजह के बेबाक हंसने की प्रैक्टिस की जाती है। इसमें शरीर के आंतरिक हास्य को बाहर निकालना सिखाया जाता है, जिससे शरीर सेहतमंद होता है। शुरुआत में नकली हंसी के साथ शुरू होनेवाली यह क्रिया धीरे-धीरे हमारे व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती है और हम बिना किसी कोशिश के हंसने लगते हैं। हास्य योग इस वैज्ञानिक आधार पर काम करता है कि शरीर नकली और असली हंसी के बीच फर्क नहीं कर पाता, इसलिए दोनों से ही एक जैसे फायदे होते हैं।
हास्य योग के छह चरण होते हैं।
आचमन : इस दौरान अच्छे विचार करें। सोचें कि मुझे अच्छा बनना है। मैं अच्छा बन गया हूं। मुझे अच्छे काम करने हैं और खुश रहना है। ठान लें कि हमें पॉजिटिव सोचना है, पॉजिटिव देखना है और पॉजिटिव ही बोलना है।
आचरण : इसमें जो चीज हमने आचमन में की है, उसे अपने आचरण में लाना होता है। मतलब, वे चीजें हमारे बर्ताव में आएं और दूसरे लोगों को नजर आएं।
हास्यासन : इसमें वे क्रियाएं आती हैं, जो हम पार्क में करते हैं। इन क्रियाओं को लगातार करने से हंसमुख रहना हमारी आदत बन जाती है।
संवर्द्धन : योग करने का लाभ करनेवाले को मिलता है, लेकिन हास्य योग का फायदा उसे भी मिलता है, जो इसे देखता है। अगर कोई हंस रहा है तो वहां से गुजरने वाले को भी बरबस हंसी या मुस्कान आ जाती है।
ध्यान : हास्य योग की क्रियाओं को करने से शरीर के अंदर जो ऊर्जा आई है, ध्यान के जरिए उसे कंट्रोल किया जाता है।
मौन : मौन के चरण में हंसी को हम अंदर-ही-अंदर महसूस करते हैं।
हास्यासन में नीचे लिखी क्रियाओं को किया जाता है :
हास्य कपालभाति : जब लोग कपालभाति करते हैं तो उनके मन में तनाव होता है कि अगर हमने ऐसा नहीं किया तो हमारी बीमारी ठीक नहीं होगी। दुखी या तनावग्रस्त मन से किया गया कपालभाति उतना फायदेमंद नहीं होता। हास्य कपालभाति करने के लिए वज्रासन में बैठ जाएं। सीधा हाथ पेट पर रखें और हल्के से हां बोलें। ऐसा करने से सांस नाक और मुंह दोनों जगहों से बाहर आएगी और पेट अंदर जाएगा। आम कपालभाति में सांस सिर्फ नाक से बाहर जाती है, वहीं हास्य कपालभाति में सांस नाक और मुंह, दोनों जगहों से बाहर जाती है।
मौन हास्य : किसी भी आसन में बैठ जाएं। लंबा गहरा सांस लें। रोकें और फिर हंसते हुए छोड़ें। ध्यान रखें, बिना आवाज किए हंसना है। इसी क्रिया को बार-बार दोहराएं।
बाल मचलन : जैसे बच्चा मचलता है, कमर के बल रोलिंग करता है, उसी तरह इसमें हंसने की कोशिश की जाती है। पूरे मन को उमंग मिलती है।
ताली हास्य : बाएं हाथ की हथेली खोलें। सीधे हाथ की एक उंगली से पांच बार ताली बजाएं। फिर दो उंगली से पांच बार ताली बजाएं। इसी तरह तीन, चार और फिर पांचों उंगलियों से पांच-पांच बार ताली बजाते हुए जोरदार तरीके से हंसें। ताली बजाने से हाथ के एक्युप्रेशर पॉइंट्स पर प्रेशर पड़ता है और वे एक्टिवेट हो जाते हैं।
बेहद आसान है हास्य योग
अगर ऊपर बताए गए स्टेप्स मुश्किल लगते हैं तो सीधे-सीधे हास्य के व्यायाम कर सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं नमस्ते हास्य (एक-दूसरे की आंखों में आंखें डालकर हंसते जाएं), तू-तू, मैं-मैं हास्य (एक-दूसरे की ओर उंगली से लड़ने का भाव बनाते हुए हंसते जाएं), प्रशंसा हास्य (अंगूठे और उंगली को मिलाकर एक-दूसरे की तारीफ का भाव रखते हुए हंसते जाएं), मोबाइल फोन हास्य (मोबाइल की तरह कान पर हाथ लगाकर हंसते जाएं), लस्सी हास्य (हे... की आवाज निकालते हुए ऐसे करें मानो लस्सी के दो गिलास मिलाए और पी लिए। इसके बाद हंसते जाएं) आदि। बीच-बीच में लंबी सांसें लेते जाएं। इन तमाम अभ्यासों को करना काफी आसान है। यही वजह है कि हास्य योग इतना पॉप्युलर हुआ है।
कैसे सीखें : जो लोग हास्य योग सीखना चाहते हैं, वे जगह-जगह पार्कों में लगनेवाले शिविरों से सीख सकते हैं। ये शिविर फ्री होते हैं। इसके बाद रोजाना घर पर प्रैक्टिस की जा सकती है। एक सेशन में करीब 15 से 40 मिनट का वक्त लगता है।
रखें ध्यान
पार्क में खाली ठहाके लगाने से कुछ नहीं होता। वहां तो ठहाके लगा लिए और बाहर आए तो फिर से टेंशन ले ली तो सब किया बेकार हो जाता है। जरूरी है कि हम हंसी को अपनी जिंदगी और अपनी पर्सनैलिटी का हिस्सा बनाएं। शुरुआत में यह मुश्किल लगता है लेकिन अभ्यास से ऐसा किया जा सकता है। जिस चीज का बार-बार अभ्यास किया जाता है, वह धीरे-धीरे नेचरल बन जाती हूं। शुरुआत में नकली लगनेवाली जोरदार ठहाके वाली हंसी धीरे-धीरे हमारी आदत में शुमार हो जाती है।
खुद भी सीख सकते हैं हंसना
जो लोग पार्क आदि में जाकर दूसरों के साथ हंसना नहीं सीख सकते, वे अकेले में घर के अंदर भी हंसी की प्रैक्टिस कर सकते हैं। वे रोजाना 15 मिनट के लिए शीशे के सामने खड़े हो जाएं और बिना वजह जोर-जोर से हंसें। हंसी का असली फायदा तभी है, जब आप कुछ देर तक लगातार हंसें। इसके अलावा, बच्चों और दोस्तों के साथ वक्त गुजारना भी हंसने का अच्छा बहाना हो सकता है। कई बार डॉक्टर भी अपने मरीजों को लाफ्टर थेरपी की सलाह देते हैं। इसमें सबसे पहले खुद के चेहरे पर मुस्कान लाने को कहा जाता है। कार्टून शो, कॉमिडी शो या जोक्स आदि भी देख-सुन सकते हैं। हालांकि यह हंसी कंडिशनल होती है और सिर्फ एंटरटेनमेंट और रिलैक्सेशन के लिए होती है। इसका सेहत पर कोई असर नहीं पड़ता। असली फायदा लंबी और बिना शर्त की हंसी से ही होता है। लोगों और खुद से परफेक्शन की उम्मीद न रखें, वरना हंसी के लिए जगह नहीं बन पाएगी। खुद को अपने करीबी लोगों की शरारतों और छेड़खानियों के लिए तैयार रखें।
कौन बरतें सावधानी
हार्निया, पाइल्स, छाती में दर्द, आंखों की बीमारियों और हाल में बड़ी सर्जरी कराने वाले लोगों को हास्य योग या हास्य थेरपी नहीं करनी चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओं को भी इसकी सलाह नहीं दी जाती। टीबी और ब्रोंकाइटिस के मरीजों को भी ख्याल रखना चाहिए कि उनकी हंसी से दूसरों में इन्फेक्शन न फैले।
अच्छी हंसी और खराब हंसी
अच्छी हंसी वह है, जो दूसरों के साथ हंसी जाए और खराब हंसी वह है, जो दूसरों पर हंसी जाए यानी उनका मजाक उड़ाकर हंसें। जब हम बेबाक, बिंदास, बिना तर्क, बिना शर्त और बिना वजह बच्चों की तरह हंसते हैं तो वह बेहद असरदार होती है। पांच साल से छोटे बच्चे दिन में 300-400 बार हंसते हैं और बड़े लोग बमुश्किल 10-15 बार ही हंसते हैं, इसलिए बच्चों की तरह बिना शर्त हंसें। रावण की तरह हंसना यानी दुनिया को दिखाने के लिए हंसना सही नहीं है। हंसना खुद के लिए चाहिए। इसी तरह अकेले हंसने का कोई मतलब नहीं है। हमारे आसपास के लोगों का हंसना भी जरूरी है। आजकल ज्यादातर लोग नकली हंसी हंसते हैं, जिसके पीछे अक्सर कोई स्वार्थ होता है, मसलन ऑफिस में बॉस को खुश करने वाली हंसी। ऐसी हंसी का शरीर को कोई फायदा नहीं है। इसी तरह जब हम दूसरों का मजाक उड़ाते हुए हंसते हैं तो हंसी के जरिए अपनी फ्रस्टेशन निकालते हैं। यह सही नहीं है। ज्यादातर कॉमिडी शो और चुटकुलों के जरिए ऐसी ही हंसी को बढ़ावा मिलता है। शुरुआत में निश्छल हंसी हंसना मुश्किल है। ऐसा दो ही स्थिति में मुमकिन है। पहला : हमारी सोच बेहद पॉजिटिव हो और हम बेहद खुशमिजाज हों। दूसरा : हास्य योग के जरिए हम अच्छी हंसी सीख लें।
खुशी के लिए हंसी जरूरी
अक्सर लोग कहते हैं कि जिंदगी में इतने तनाव हैं, तो खुश कैसे रहें और खुश नहीं हैं तो हंसें कैसे? लेकिन सही तरीका यह नहीं है कि हम खुश हैं, इसलिए हंसें, बल्कि हमें इस फॉर्म्युले पर काम करना चाहिए कि हम हंसते हैं, इसलिए खुश रहते हैं क्योंकि हंसने से बहुत-सी तकलीफें अपने आप खत्म हो जाती हैं। कह सकते हैं कि हंसी के लिए खुशी जरूरी नहीं है लेकिन खुशी के लिए हंसी जरूरी है। कई लोग बड़े खुशमिजाज होते हैं लेकिन साथ ही बड़े संवेदनशील भी होते हैं और अक्सर छोटी-छोटी बातों तो लेकर टेंशन ले लेते हैं। ऐसे लोग या तो दोहरी शख्सियत वाले होते हैं, मसलन होते कुछ हैं और दिखते कुछ और। वे सिर्फ खुशमिजाज दिखते हैं, होते नहीं हैं। या फिर ऐसे लोगों का रिएक्शन काफी तेज होता है। वे अक्सर बिना सोचे-समझे अच्छी और बुरी, दोनों स्थिति पर रिएक्ट कर देते हैं। दूसरी कैटिगरी के लोगों को हास्य योग से काफी फायदा होता है। उन्हें माइंड को कंट्रोल करना सिखाया जाता है।
- रोते गए मरे की खबर लाए यानी दुखी मन से करेंगे तो काम खराब ही होगा।
- घर से मस्जिद है बहुत दूर, चलों यूं कर लें किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए - निदा फाजली
- हंसी छूत की बीमारी है। एक को देख, दूसरे को आसानी से लग जाती है।
एक्सपर्ट्स पैनल
डॉ. मदन कटारिया, फाउंडर, लाफ्टर योग क्लब्स मूवमेंट
जितेन कोही, हास्य योग गुरु
डॉ. रवि तुली, एक्सपर्ट, होलेस्टिक मेडिसिन  

ईश्वर का वरदान है हंसी!
वर्ल्ड लाफ्टर डे विशेष
Webdunia
हंसी को हर कोई अपनाना चाहता है। हंसी से किसी को दोस्त बना सकते हैं तो रोते को हंसा भी सकते हैं। गम या कई रोगों को दूर करना हो तो भी हंसी काम आती है। मई के पहले रविवार को मनाया जाने वाला 'वर्ल्ड लाफ्टर डे' यह संकेत देता है कि आज भले ही इसने योग और चिकित्सा के साथ हाथ मिला लिया है पर इसकी अहमियत हमारे जीवन में हमेशा बनी रहेगी। फिर चाहे अपनाने का तरीका कैसा भी हो।
बगीचे में सुबह जोर-जोर से ठहाके लगाकर हंसने वालों की आज कमी नहीं। विश्व हास्य योग महासंघ के संस्थापक अध्यक्ष ओमप्रकाश गुप्ता कहते हैं कि हंसी से तनाव तो दूर होता है और तनाव की वजह से होने वाले रोग भी दूर हो जाते हैं।
आज कई शहरों में अधिक हास्य क्लब संचालित हो रहे हैं जिसकी वजह एक नहीं कई हैं। हंसी के द्वारा व्यक्ति न केवल सेहतमंद रहता है वरन्‌ उनके व्यक्तित्व में भी बदलाव आता है। इंसान हंसने से चुस्त व सकारात्मक हो जाता है। हंसी तो ईश्वर द्वारा मानव को दिया सबसे बड़ा उपहार है।
हंसने से शरीर के सभी रिलेक्सेशन पॉइंट एक्टिवेट होते हैं, साथ ही हृदय और मस्तिष्क बेहतर कार्य करता है। हंसने से फेफड़े के हरेक भाग में प्राणवायु अच्छे से पहुंचती है, फेफड़ों का व्यायाम भी हो जाता है और रक्तसंचार भी अच्छे से होता है। डॉ. लोंढ़े बताते हैं कि एक बार वे बहुत व्यस्त थे और रोगियों की लंबी कतार लगी हुई थी। ऐसे में एक रोगी के साथ हुई हास्यास्पद चर्चा ने न केवल थकान दूर कर दी वरन्‌ चिड़चिड़ाहट भी काफूर हो गई।

डॉ. एके जैन के अनुसार नियमित हंसें और स्वस्थ रहें :-
निराशा- जोर-जोर से हंसें, क्योंकि अवचेतन मन में जो बात दबी है वह हंसी के माध्यम से बाहर आ जाती है।
गर्भावस्था- शुरू के तीन माह में मध्यम हंसी हंसें और बाद के छः महीने में ऐसा हंसें जिससे पेट के निचले भाग पर जोर नहीं पड़े।
गले की समस्या- जोर से हंस सकते हैं पर हंसी को धीरे-धीरे बढ़ाएं व धीरे-धीरे कम करें।
थायराइड, मोटापा व टांसिल्स- इस दौरान सिंहमुद्रा में हास्य आसन करें।
रक्त संचार- रक्त संचार को सुचारू करने के लिए हंसना सबसे बेहतर होगा।
अस्थमा, ब्लड प्रेशर व हृदय रोगी- धीमा हंसें व मंदमंद मुस्कुराएं।

 दिल खोलकर हंसें और तनाव भगाएं
आज हंसने मुस्कराने का दिन है. जी हां, आज वर्ल्ड लाफ्टर डे है. इस खास दिन पर हम आपके लिए लेकर आए हैं टेंशन फ्री हंसी. क्योंकि हंसना बेहतर सेहत के लिए बेहद जरुरी है.
भोर के समय आस-पास के पार्क पर नजर दौड़ाएं तो शायद आपको घेरे में खड़े कुछ पुरुष और महिलाएं बिना खास उद्देश्य के ठहाके लगाते दिख जाएंगे। दरअसल, यह तनाव भगाने का एक तरीका है जिसे ‘लाफ्टर थेरेपी’ कहा जा सकता है।
ऐसे लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है जो अपने तनाव को दूर करने के लिए ‘लाफ्टर थेरेपी’ का सहारा ले रहे हैं।
चिकित्सकों के अनुसार, भारत में लाफ्टर थेरेपी का आगाज 195 के आस-पास में हुआ और इस कड़ी में देश में अब तक 7,000 से ज्यादा लाफ्टर क्लब और इसके 1क् हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं।
इसी दिशा में हर साल मई के पहले रविवार को ‘वर्ल्ड लाफ्टर डे’ मनाया जाता है।
गुड़गांव और नोएडा जैसे राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र में ‘दि डेल्ही लाफ्टर क्लब’ के 27 क्लब और 10 हजार से ज्यादा सदस्य हैं।
‘लाफ्टर थेरेपी’ के तहत बिना किसी विशेष कारण के लगभग 2क् मिनट तक हंसने की क्रिया में लिप्त रहा जाता है, जबकि ‘लाफ्टर योगा थेरेपी’ नियमित अंतराल पर सामान्य श्वास व्यायाम और उत्तेजित हंसी का मिला-जुला रूप होता है।
‘दि डेल्ही लाफ्टर क्लब’ के अनुसार, इस थेरेपी को हाल के वर्षो में काफी लोकप्रियता मिली है।
दंत चिकित्सक और ‘दि डेल्ही लाफ्टर क्लब’ के प्रमुख उमेश सहगल ने बताया, ‘‘मैंने 2001 में मात्र 10 सदस्यों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में लाफ्टर क्लब शुरू किया था। लेकिन अब 10 हजार से ज्यादा सदस्य जुड़ चुके हैं।’’
उन्होंने बताया, ‘‘आनंदित करने वाली हंसी आंतरिक शारीरिक व्यायाम (इंटरनल जॉगिंग) के बराबर होती है, क्योंकि यह काफी हद तक रक्तचाप, तनाव को कम कर सकता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बना सकता है।’’
उन्होंने कहा कि साझी हंसी का यह उपक्रम तनाव दूर करने के सबसे प्रभावी विकल्पों में से एक है। कुछ महीनों बाद ‘झूठी हंसी’ सच्ची खिलखिलाहट में तब्दील हो जाती है।
दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘हंसी तत्काल राहत देती है और आपका अवसाद दूर हो जाता है। पुलिसिया जीवन में बहुत ज्यादा तनाव का सामना करना पड़ता है। मैं भी पिछले कुछ महीनों से ‘लाफ्टर योगा’ कर रहा हूं। वास्तव में मुझे बहुत सुख और शांति मिली है।’’
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जब कोई हंसता है तो मस्तिष्क के न्यूरो केमिकल्स सक्रिय होकर शरीर को बेहतर अहसास कराते हैं।
राष्ट्रीय मनोरोग चिकित्सा संस्थान के मनोचिकित्सक निखिल रहेजा कहते हैं, ‘‘मस्तिष्क का पूरा तंत्रिका तंत्र अनेक रसायन मुक्त करता है जो कि व्यक्ति के मिजाज, व्यवहार और शरीर को प्रभावित करता है।’’
फोर्टिस अस्पताल में हृदय संबंधी रोगों के चिकित्सक जेड.एस. मेहरावल ने बताया, ‘‘हंसी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। मांसपेशियों को आराम और मानसिक स्वास्थ्य आदि के लिहाज से इसके अनेक सकारात्मक लाभ हैं।’’

 जब दिल खोलकर खूब ठहाके लगाएंगे तो टेंशन को भूल जाएंगे
आईएएनएस |
नई दिल्ली। भोर के समय आस-पास के पार्क पर नजर दौड़ाएं तो शायद आपको घेरे में खड़े कुछ पुरुष और महिलाएं बिना खास उद्देश्य के ठहाके लगाते दिख जाएंगे। दरअसल, यह तनाव भगाने का एक तरीका है जिसे 'लाफ्टर थेरेपी' कहा जा सकता है।
ऐसे लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है जो अपने तनाव को दूर करने के लिए 'लाफ्टर थेरेपी' का सहारा ले रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार, भारत में लाफ्टर थेरेपी का आगाज 1995 के आस-पास में हुआ और इस कड़ी में देश में अब तक 7,000 से ज्यादा लाफ्टर क्लब और इसके 10 हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं।
इसी दिशा में हर साल मई के पहले रविवार को 'वर्ल्ड लाफ्टर डे' मनाया जाता है। गुड़गांव और नोएडा जैसे राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र में 'दि डेल्ही लाफ्टर क्लब' के 27 क्लब और 10 हजार से ज्यादा सदस्य हैं। 'लाफ्टर थेरेपी' के तहत बिना किसी विशेष कारण के लगभग 20 मिनट तक हंसने की क्रिया में लिप्त रहा जाता है, जबकि 'लाफ्टर योगा थेरेपी' नियमित अंतराल पर सामान्य श्वास व्यायाम और उत्तेजित हंसी का मिला-जुला रूप होता है।
'दि डेल्ही लाफ्टर क्लब' के अनुसार, इस थेरेपी को हाल के वर्षों में काफी लोकप्रियता मिली है। दंत चिकित्सक और 'दि डेल्ही लाफ्टर क्लब' के प्रमुख उमेश सहगल ने बताया कि मैंने 2001 में मात्र 10 सदस्यों के साथ राष्ट्रीय राजधानी में लाफ्टर क्लब शुरू किया था। लेकिन अब 10 हजार से ज्यादा सदस्य जुड़ चुके हैं।
उन्होंने बताया कि आनंदित करने वाली हंसी आंतरिक शारीरिक व्यायाम (इंटरनल जॉगिंग) के बराबर होती है, क्योंकि यह काफी हद तक रक्तचाप, तनाव को कम कर सकता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को सशक्त बना सकता है।
उन्होंने कहा कि साझी हंसी का यह उपक्रम तनाव दूर करने के सबसे प्रभावी विकल्पों में से एक है। कुछ महीनों बाद 'झूठी हंसी' सच्ची खिलखिलाहट में तब्दील हो जाती है। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हंसी तत्काल राहत देती है और आपका अवसाद दूर हो जाता है। पुलिसिया जीवन में बहुत ज्यादा तनाव का सामना करना पड़ता है। मैं भी पिछले कुछ महीनों से 'लाफ्टर योगा' कर रहा हूं। वास्तव में मुझे बहुत सुख और शांति मिली है।
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जब कोई हंसता है तो मस्तिष्क के न्यूरो केमिकल्स सक्रिय होकर शरीर को बेहतर अहसास कराते हैं। राष्ट्रीय मनोरोग चिकित्सा संस्थान के मनोचिकित्सक निखिल रहेजा कहते हैं कि मस्तिष्क का पूरा तंत्रिका तंत्र अनेक रसायन मुक्त करता है जो कि व्यक्ति के मिजाज, व्यवहार और शरीर को प्रभावित करता है।
फोर्टिस अस्पताल में हृदय संबंधी रोगों के चिकित्सक जेड.एस. मेहरावल ने बताया कि हंसी संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। मांसपेशियों को आराम और मानसिक स्वास्थ्य आदि के लिहाज से इसके अनेक सकारात्मक लाभ हैं।

  तनाव से बचने के लिए दिल खोलकर हंसें
सुबह के समय आपको पार्क में कुछ लोग बिना किसी खास उद्देश्य के ठहाके लगाते दिख जाएंगे। दरअसल, यह तनाव भगाने का तरीका है जिसे जिसे ‘लाफ्टर थेरेपी’ कहते है। ऐसे लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है जो अपने तनाव को दूर करने के लिए ‘लाफ्टर थेरेपी’ का सहारा ले रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार, भारत में लाफ्टर थेरेपी का आगाज 195 के आस-पास में हुआ और इस कड़ी में देश में अब तक 7,000 से ज्यादा लाफ्टर क्लब और इसके एक हजार से ज्यादा सदस्य बन चुके हैं। इसी दिशा में हर साल मई के पहले रविवार को ‘वर्ल्ड लाफ्टर डे’ मनाया जाता है। ‘लाफ्टर थेरेपी’ के तहत बिना किसी विशेष कारण के लगभग दो मिनट तक हंसने की क्रिया में लिप्त रहा जाता है, जबकि ‘लाफ्टर योगा थेरेपी’ नियमित अंतराल पर सामान्य श्वास व्यायाम और उत्तेजित हंसी का मिला-जुला रूप होता है। ‘दि डेल्ही लाफ्टर क्लब’ के अनुसार, इस थेरेपी को हाल के वर्षो में काफी लोकप्रियता मिली 

 जिंदगी लौट आएगी हंसकर देखिए
प्रीति सेठ
सौ दर्दों की एक दवा है हंसना। यह हंसी आपकी चिंता और तनाव को दूर करने के साथ आपको एनर्जी से भर देती है। इम्यून सिस्टम को दुरुस्त और दिल को महफूज रखने में भी पीछे नहीं है यह। और तो और धमनियों को फैलाकर सांस की नलियों और फेफड़ों को भी मजबूत करती है हंसी। एक हंसी कैसे शरीर और दिमाग के साथ आपके सामाजिक जीवन को भी बदल देती है, बता रही हैं प्रीति सेठ
लाफ्टर थेरेपी भले हाल में लोकप्रिय हुई है लेकिन यह थेरेपी सदियों पुरानी है। पुराने जमाने में राज दरबार में रखे गए विदूषक और बहरूपिए भी इसी थेरेपी को कारगर करने के लिए रखे जाते थे। रोजमर्रा की भगदौड़ भरी जिंदगी से खुशियों और चैन का नाता कब का टूट गया, पता ही नहीं चला। इसी का नतीजा है ढेर सारी बीमारियां। कहीं डिप्रेशन ने डसा है तो कहीं तनाव हावी है। हम ठीक से जीना भी भूलते जा रहे हैं। फिर कैसे याद रहे खुलकर हंसना और मुस्कुराना। शोधकर्ताओं का कहना है कि हंसी को गंभीरता से लेकर देखिए आपकी जिंदगी बदल जाएगी। आपकी असंख्य बीमारियों के साथ आपकी रचनात्मकता और ऊर्जा का भंडार छिपा है आपकी हंसी में।
तनाव से मुक्ति
फ्रेंच न्यूरोलॉजिस्ट हेनरी रूबेनस्टेन का मानना है कि एक मिनट की हंसी शरीर को जितना सहज बताती है, उतना सहज होने के लिए अन्य कोशिशों में कम से कम 45 मिनट लग जाते हैं। वास्तव में खुलकर हंसने से इंसानी शरीर की ब्लड वैसल्स (धमनियों) में फैलाव आता है जिससे खून तेजी से शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचता है। खुशी और चैन से एंडोरफिन और कॉर्टिसोल जैसे रसायनों का रिसाव होता है जिनका मुख्य काम फील गुड कराना है।
इम्यून सिस्टम पर असर
इम्यून सिस्टम का महत्वपूर्ण रोल है हमारे शरीर को ठीक रखने में। नेगेटिव थिंकिंग यानी नकारात्मक भाव हमारे अंदर तनाव, अवसाद और गुस्से को जन्म देते है। इनसे हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर तो होती ही है, साथ ही बाहरी रोगों से लड़ने और उन्हें ङोलने की ताकत को भी कम कर देता है। लेकिन यहीं पर हंसने और खुश रहने से हमारे शरीर के प्राकृतिक किलर सेल्स यानी एंटीबॉडीज़ मजबूत होते हैं।
बीपी कंट्रोल
हंसने से ब्लड वैसल्स में हुए फैलाव से खून का बहाव तेज होता है। हार्ट चैंबर में खून का दौरा ठीक होने से कार्डियो वेस्क्युलर समस्याओं से बचाव होता है। खुलकर हंसने से व्यक्ति के विचार छूट जाते हैं। वह सब भूलकर फील गुड फैक्टर में खो जाता है। इससे भी ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है।
दर्द से छुटकारा
फ्लोरिडा के अस्पताल में सर्जरी के बाद के कुछ रोगियों पर किए गए प्रयोगों ने यह स्पष्ट दिखाया कि हंसी-खुशी की क्लास ने बिना दर्द निवारक दवाओं के उनको दर्द से राहत दिलाई और कुछ देर के लिए वे अपना दुख-दर्द भूल गए।
लाफ्टर क्लब
हंसने के फायदों को देखते हुए पहला लाफ्टर क्लब मुंबई में 1995 में डॉ मदन कटियार ने आरंभ किया था। आज संसार भर में पांच हजार लाफ्टर क्लब हैं, जिनके लाखों सदस्य हैं। भारत में इनकी संख्या तीन सौ से ज्यादा है। दिल्ली में भी ऐसे क्लबों की कमी नहीं। आप भी अपनी कॉलोनी में ऐसा क्लब बना सकते हैं और हंसी का पूरा लाभ उठा सकते हैं।
सावधानी
ध्यान रहे कि हंसने-हंसाने में चूक न हो जाए इसलिए इस चेकलिस्ट पर नजर डालें
आपके मजाक दूसरे पर भारी न पड़ जाएं
क्या वैसा करना जरूरी था
क्या वह हरकत नागवार थी
कहीं स्थिति खतरनाक न हो जाए
याद रखें
याद रखिए कि जब आप हंसते हैं तो सब भूल जाते हैं। ऐसे समय में आप तनाव, गुस्सा और अवसाद की स्थिति में नहीं हो सकते। हंसी नहीं आ रही और केवल मुस्कुरा ही पाते हैं तो भी चिंता नहीं कीजिए। इसे इस मंजिल की पहली सीढ़ी मानें।
लाफ्टर थेरेपी के लाभ अनेक
शारीरिक


तनाव दूर करने में मदद
इम्यून सिस्टम को मजबूती देना
एंडोरफिन का रिसाव जो आपको रखे खुश
दिल की सुरक्षा
मसल्स को सहज करने में सहायक
चेहरे की मांसपेशियां भी होती हैं सक्रिय
वजन घटाने में भी मदद मिलती है
मानसिक
मन को खुश कर जीवन में खुशी का एहसास कराती है
यह भय, झिझक व तनाव को दूर करती है
पॉजिटिव फीलिंग को बढ़ाना
स्मरण शक्ति बढ़ती है
सामाजिक
संबंधों को ताकत मिलती है
दूसरों को आपकी तरफ आकर्षित करने में मदद मिलती है
टीम वर्क को बढ़ावा मिलता है
मतभेद दूर करने में मदद मिलती है
ग्रुप बॉडिंग को बढ़ावा देती है यह थेरेपी
हंसने के लिए
कॉमेडी फिल्म या टीवी शो देखें
कॉमिक बुक पढें
लाफ्टर क्लब के सदस्य बनें
फनी लोगों से मिलें
अच्छे जोक या फनी स्टोरी शेयर करें
दोस्तों के साथ नाइट पार्टी का आनन्द उठाएं
लाफ्टर योग करें
बच्चों के साथ कुछ समय बिताएं, साथ खेलें या बातें करें
पिछली फनी याद को ताजा करें
कभी-कभी फनी हरकत करने में भी परहेज नहीं करें
पेट के साथ खेलकर हंसी को महसूस करें
दूसरों की फनी बातें पूछें

Note-यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है वह मेरी अपनी नहीं है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें।मैं हर इंसान के लिए ज्योतिष के ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ।

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